अर्चना कुमारी। देश की राजधानी में आंतकवादी गतिविधि होती रही है और 1996 लाजपत नगर बम धमाका मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया । अदालत का कहना है कि चार दोषियों को बिना माफी के उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। बताया जाता है कि जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच का फैसला बृहस्पतिवार को आया।
इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने धमाके के दोषी नौशाद की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। अदालत का कहना है कि दिल्ली हाईकोर्ट से बरी हुए दो आरोपियों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों दोषियों को तुरंत सरेंडर करने के आदेश दिया। कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे चौथे दोषी की सजा भी बरकरार रखा है।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को बिना माफी के पूरी जिंदगी जेल में रहने की सजा सुनाई, जो एक अहम फैसला बताया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2012 में दो आरोपियों मोहम्मद अली भट और मिर्जा निसार हुसैन को बरी करने का आदेश दिया था।दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में मोहम्मद नौशाद की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने चौथे दोषी जावेद अहमद खान उर्फ छोटा की उम्रकैद की सज़ा बरकरार रखी गई।निचली अदालत ने इस मामले में तीन आरोपियों को मौत की सजा दी थी जबकि एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।