अर्चना कुमारी किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। जिसमें केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों पर किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया गया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि हरियाणा पंजाब यूपी और मध्य प्रदेश की सरकारों ने किसानों के विरुद्ध अश्रु गैस व रबड़ की गोलियों जैसे आक्रामक व हिंसक कदम उठाए। जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई।
वैसे आंदोलन को लेकर 29 फरबरी तक किसान दिल्ली कूच को टाला है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों पर किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया गया ।
सिख चैंबर आफ कामर्स के प्रबंध निदेशक एग्नोस्टोस थियोस द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग रहे कई किसान संघों के प्रदर्शन के आह्वान के बाद केंद्र सरकार व कुछ राज्यों ने धमकी दी है।
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं की किलेबंदी कर दी है।इसके अलावा विभिन्न राज्य सरकारों ने कुछ प्रदर्शनकारियों को जबरदस्ती गिरफ्तार या हिरासत में ले लिया है और केंद्र सरकार ने अनुचित रूप से निषेधाज्ञा की कार्रवाई की है। जिनमें इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स को ब्लाक करना, यातायात डायवर्ट करना और सड़कों को बंद करना शामिल है।
आरोप लगाया गया है कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने किसानों के विरुद्ध अश्रु गैस व रबड़ की गोलियों जैसे आक्रामक व हिंसक कदम उठाए है। जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। चिकित्सीय सहायता के अभाव में चोटें घातक हो गईं। जिससे कुछ मौतें भी हुई हैं।
दिल्ली की सीमाओं की किलेबंदी से स्थिति हिंसक हो गई है और इससे किसान विरोध प्रदर्शन के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। शांतिपूर्ण किसानों को सिर्फ अपने लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक अधिकारों के प्रयोग के लिए अपनी ही सरकार द्वारा आतंकियों जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार, चार राज्यों एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे देशभर के किसानों की उचित मांगों पर विचार करें जो शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। साथ ही यह निर्देश देने की मांग भी की गई है कि प्रतिवादी प्रदर्शनकारी किसानों के साथ उचित एवं सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करें और स्वतंत्र आवागमन की अनुमति प्रदान करें।
याचिका में पुलिस द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की रिपोर्ट तलब करने के साथ-साथ पीड़ित किसानों व उनके परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की गई।