प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं बैठक को संबोधित किया. चूंकि कोविड 19 के चलते यह बैठक इस बार वर्चुयली संपन्न हुई, इसीलिये संबोधन पूर्व रिकार्डिड वीडियो के माध्यम से किया गया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सारगर्भित संबोधन में भारत और विश्व से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये जिनके बारे में आगे हम आपको विस्तार से बतायेंगे. लेकिन उनके वक्तव्य का अहम केंद्र्बिंदु रहा संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका. उन्होने इस बात पर सवाल उठाया कि जब भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है जहां इतने धर्मों, संस्कृतियों की विविधता देखने को मिलती है और जब उसने संयुक्त राष्ट्र संघ के पीसकीपिंग मिशन में अब तक सबसे ज़्यादा अहम भूमिका निभाई है, तो आखिर इसकी क्या वजह है कि उसे संयुक्त राष्ट्र में अब तक वो महत्व नहीं मिलता जिसका वो हकदार है.
उन्होने बिना किसी लाग लपेट के बड़े ही शालीन तरीके से संयुक्त राष्ट्र संघ की आलोचना भी की और इस बात पर ज़ोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र में अब रिफार्म की यानि परिवर्तन की बहुत अधिक आवश्यकता है. लगभग 20 मिनट के अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री मोदी ने जिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की, वे इस प्रकार हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ में रिफार्म की आवश्यकता : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिस समय संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी, तब की दुनिया और इस समय की दुनिया में ज़मीन आसमान का अंतर है. इसीलिये उसी पुराने बने बनाये ढर्रे पर चलना अब उचित नहीं होगा. यह सच है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की बहुत सी उपलब्धियां रही हैं लेकिन उसकी बहुत से कमियां भी है जिन पर उसे काम करना होगा. उन्होने आगे कहा कि भले ही तीसरा विश्व युद्ध अभी तक नहीं हुआ लेकिन कितने ही प्रकार के गृह युद्ध हो गये, विश्व भर में आतंकवाद पनप रहा है जिससे कितने ही मासूम लोगों की जानें जा रही हैं. इन सब समस्याओं को सुलझाना भी संयुक्त राष्ट्र संघ के लिये बेहद आवश्यक है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की डिसीज़न मेकिंग में अभी भी क्यो नहीं मिली भारत को जगह : हालांकि उन्होने प्रत्यक्ष रूप से यहां भारत के यू एन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की बात नहीं कही लेकिन संकेत साफ हैं. उन्होने कहा कि आखिर क्या वजह है कि संयुक्त राष्ट्र के इतने मिशंस में , खासकर कि उनके पीसकीपिंग मिशन में इतना योगदान देने के बाद भी भारत को उसकी डिसीज़न मेक्किंग से अलग थलग रखा जा रहा है? आपको यहां बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को लेकर बाकी सभी देश भारत के पक्ष में हैं लेकिन जब भी वोटिंग का समय आता है, चीन अपनी वेटो पावर का इस्तेमाल कर अड़्गा लगा देता है.
कोरोना वायरस को लेकर की संयुक्त राष्ट्र संघ की आलोचना – प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के समय तो संयुक्त राष्ट्र संघ को सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये, इस महामारी से उबरने हेतु पूरे विश्व का नेतृत्व करना चाहिये. लेकिन क्या वह ऐसा कर रहा है? यानि प्रधानमंत्री ने बिना कोई नाम लिये, कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन की मिलीभगत पर भी टिप्पणी कर दी.
महामारी के मुश्किल समय में भारत ने सबका सहयोग दिया – प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि किस प्रकार इतने कठिन समय में भी भारत की फार्मा इंड्रस्ट्री ने 150 देशों को दवाइयां भेजी हैं. उन्होने यह भी कहा कि वे आज पूरे विश्व को आश्वासन देना चाहते हैं कि भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और डिलीवरी क्षमता पूरे विश्व को इस संकट से बाहर लाने में समर्थ होगी.
भारत अपना हर हित दूसरे के हितों से जोड़्कर सोचता है – प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जब किसी की तरफ दोस्ती का हाथ बढाता है तो वह किसी तीसरे के खिलाफ नही होती. भारत की नीतियां हमेशा इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं. नेबरहुड फर्सट से लेकर लुक ईस्ट पांलिसी तक और इंडो पैसिफिक के प्रति भी भारत के विचारों में इसी दर्शन की झलक दिखाई पड़्ती है.
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया : प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वक्तव्य में बताया कि किस प्रकास भारत ने अंतराष्ट्रीय सोलर एलयेंस जैसे प्रोजेक्ट्स की अगुआई की और साथ ही यू एन को अंतराष्ट्रीय योगा दिवस और अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में ये महत्वपूर्ण दिवस भी दिये.
भारत ने अपने नागरिकों के जीवन में मूलभूत बदलाव किये – प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि किस प्रकार जन धन योजना के अंतर्गत करोड़ो देशवासियों के बैंक अकाउंट खुल गये. और यह सब भारत ने पांच साल के भीतर ही कर दिखाया. उन्होने स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का भी उल्लेख किया. साथ ही आयुष्मान भारत योजना के बारे में भी बताया जिससे इतने गरीबों और असहायों का मुफ्त इलाज संभव हो सका.