श्वेता पुरोहित-
एक व्यक्ति एक साधक के पास आकर बोला- ‘क्या कारण है कि आज धर्म का प्रभाव नहीं होता ?’ साधक ने पूछा- ‘राजगृह यहाँसे कितनी दूर है?’ उसने कहा -‘दो सौ मील।’
साधक ने फिर पूछा-‘तुम जानते हो?’ उत्तर मिला-‘हाँ, मैं जानता हूँ।’ साधक ने अगला प्रश्न किया-‘क्या तुम अभी राजगृह पहुँच गये।’ व्यक्ति ने उत्तर दिया- ‘अभी वहाँ कैसे पहुँचूँगा?’ अभी तो मैं यहाँ हूँ। चलूँगा तब तो पहुँचूँगा।
साधक ने मुसकराते हुए बताया- ‘तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल गया है। तुम राजगृह को जानते हो, पर जबतक तुम उस ओर प्रस्थान नहीं करोगे, तबतक राजगृह नहीं पहुँच सकोगे। यही बात धर्म के लिये है। लोग धर्म को जानते हैं, पर जबतक उसके नियमपर नहीं चलेंगे, उस ओर आगे नहीं बढ़ेंगे, तबतक धर्मका प्रभाव कैसे होगा ?’