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संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही

SC: गरीबों के आरक्षण पर फिर “सुप्रीम” मुहर, संविधान पीठ ने खारिज की EWS पर सभी पुनर्विचार याचिकाएं

Courtesy Desk
Last updated: 2023/05/17 at 5:19 PM
By Courtesy Desk 106 Views 5 Min Read
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EWS आरक्षण पर फिर मुहर लगाने वाला यह फैसला प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस दिनेश महेश्वरी जस्टिस एस. रविंद्र भट जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने पुर्नविचार याचिकाओं पर चैंबर में सर्कुलेशन के जरिये विचार करने के बाद गत नौ मई को दिया।

नई दिल्ली, माला दीक्षित। सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को सही ठहराने वाले फैसले पर पुनर्विचार की मांग खारिज कर दी है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि फैसले में प्रत्यक्ष रूप से कोई खामी नजर नहीं आती।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सात नवंबर, 2022 को तीन-दो के बहुमत से फैसला देते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के संवैधानिक प्रविधान 103वें संविधान संशोधन को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट में करीब एक दर्जन याचिकाएं दाखिल हुईं थीं जिनमें ईडब्लूएस आरक्षण को सही ठहराने वाले फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी।

EWS आरक्षण पर फिर मुहर लगाने वाला यह फैसला प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने पुर्नविचार याचिकाओं पर चैंबर में सर्कुलेशन के जरिये विचार करने के बाद गत नौ मई को दिया। लेकिन आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल करने में हुई देरी तो माफ कर दी, लेकिन पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग ठुकरा दी। संविधान पीठ ने कहा कि उन्होंने पुनर्विचार याचिकाएं देखीं, उन पर विचार किया और पाया कि फैसले में प्रत्यक्ष तौर पर कोई खामी नहीं है।

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जस्टिस ललित की जगह पीठ में शामिल हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

सात नवंबर, 2022 का फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय पीठ में जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला ने आर्थिक आधार पर आरक्षण को सही ठहराया था, जबकि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि पुनर्विचार याचिका पर वही पीठ चैंबर में सर्कुलेशन के जरिये मामले पर विचार करती है जिसने फैसला सुनाया होता है। लेकिन इस मामले में जस्टिस ललित सेवानिवृत्त हो चुके हैं इसलिए पुनर्विचार याचिकाओं पर जस्टिस ललित की जगह प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पीठ में शामिल हुए थे।

जस्टिस ललित व जस्टिस भट ने माना था भेदभावपूर्ण

जस्टिस जेबी पार्डीवाला ने जस्टिस महेश्वरी और जस्टिस त्रिवेदी के फैसले से सहमति जताई थी। जस्टिस पार्डीवाला ने कहा था कि निहित हितों के लिए आरक्षण अनंतकाल तक जारी नहीं रहना चाहिए। जबकि जस्टिस ललित और जस्टिस भट ने ईडब्लूएस आरक्षण से एससी-एसटी और ओबीसी को बाहर रखने को भेदभावपूर्ण माना था।

कहा था, संविधान के मूल ढांचे का नहीं होता उल्लंघन

सात नवंबर, 2022 को जस्टिस महेश्वरी ने ईडब्लूएस आरक्षण को संविधान सम्मत घोषित करते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं थीं। उन्होंने कहा था कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देना और उस आरक्षण से एससी-एसटी और ओबीसी को बाहर रखने से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं होता। यह संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता है। जस्टिस मेहेश्वरी ने यह भी कहा था कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा का उल्लंघन होने के आधार पर भी इस आरक्षण को संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध नहीं कहा जा सकता क्योंकि 50 प्रतिशत की सीमा गैर-लचीली नहीं है।

बराबरी के सिद्धांत का भी नहीं होता उल्लंघन

जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने जस्टिस महेश्वरी के फैसले से सहमति जताते हुए कहा था कि विधायिका लोगों की जरूरतों को समझती है। वह लोगों के आर्थिक बहिष्कार से अवगत है। इस संविधान संशोधन के जरिये राज्य सरकारों को एससी-एसटी और ओबीसी से अलग अन्य के लिए विशेष प्रविधान कर सकारात्मक कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। संविधान संशोधन में ईडब्लूएस का एक अलग वर्ग के रूप में वर्गीकरण एक उचित वर्गीकरण है। इससे बराबरी के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता। उन्होंने फैसले में जनहित को देखते हुए आरक्षण की अवधारणा पर फिर विचार का सुझाव दिया था।

साभार

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TAGGED: EWS, Justice D Y Chandrachud, Supreme Court, supreme court judgement, Supreme Court news, Supreme Court Of India
Courtesy Desk May 17, 2023
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