विपुल रेगे। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के काम करने का अंदाज़ निराला है। वे किसी बात की औपचारिक घोषणा नहीं करते लेकिन ‘सिस्टमेटिक लीक’ के जरिये मीडिया में खबर पहुंचा ही देते हैं। ताज़ा मामला ‘आदिपुरुष’ का है। ऐसी ख़बरें छनकर आ रही है कि बॉक्स ऑफिस पर ‘आदिपुरुष’ का बुरा हाल देखकर नेटफ्लिक्स डील की तय रकम देने से मुकर गया है। नेटफ्लिक्स पूर्व में भी दूसरी फिल्मों के साथ ऐसा कर चुका है।
‘आदिपुरुष’ को लेकर ‘कोईमाई’ में एक रिपोर्ट छापी गई है। रिपोर्ट में नेटफ्लिक्स के डील करने के तरीके पर प्रकाश डाला गया है। बताया गया है कि जब कोई फिल्म निर्माता नेटफ्लिक्स को फिल्म बेचने जाता है तो उसे बताना होता है कि उसकी फिल्म लगभग कितना कलेक्शन थियेटर्स से उठा सकती है। निर्माता अपनी फिल्म को लेकर जो अनुमानित राशि बताता है, उसी के आधार पर नेटफ्लिक्स फिल्म खरीदने की कीमत तय करता है। यदि फिल्म निर्माता के बताए अनुमान पर फिल्म फेल हो जाती है तो नेटफ्लिक्स फिल्म की कीमत कम कर देता है। ऐसा लगभग सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स कर रहे हैं।
यदि निर्माता को प्रस्ताव मंजूर होता है तो ठीक, वर्ना उसे नया खरीदार खोजना पड़ता है। रिपोर्ट्स के अनुसार नेटफ्लिक्स ने ‘आदिपुरुष’ की कीमत 250 करोड़ तय की थी। ये राशि फिल्म निर्माता के बताए अनुमान पर तय की गई थी लेकिन फिल्म औंधे मुंह गिर पड़ी। बताया जा रहा है कि फिल्म की बुरी गत होने के बाद नेटफ्लिक्स ने पैसा कम कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार फिल्म को अब लगभग 100 से 125 करोड़ ही मिल रहे हैं। अभी ये पता नहीं चला है कि फिल्म निर्माताओं ने इस नई डील के लिए सहमति दी है या नहीं। पिछले वर्ष आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ के साथ ऐसा ही कुछ किया गया था। रिलीज से पहले नेटफ्लिक्स ने फिल्म की कीमत 150 करोड़ तय की थी लेकिन फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही। इसके बाद नेटफ्लिक्स ने इस कचरा फिल्म का सौदा केवल 50 करोड़ में किया।
इन दो प्रकरणों से स्पष्ट है कि नेटफ्लिक्स पर फिल्म का सौदा करना एक जुआ है, जिसे आप कभी भी हार सकते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म के साथ रिलीज से पहले ही डील करना विवशता है और नियमों के अंतर्गत आता है। थियेटर रिलीज में आप अपना कचरा माल सुंदर पैकेजिंग में डिलीवर कर पैसा कमा सकते हैं लेकिन ओटीटी पर ऐसा नहीं किया जा सकता। यदि उन्हें लगता है कि फिल्म में गुणवत्ता है तो वे स्वयं फिल्म निर्माता के पास जा सकते हैं। एस.एस.राजामौली की ‘आरआरआर’ महंगे दामों में ओटीटी पर बेची गई थी। बताया जाता है कि ZEE5 और नेटफ्लिक्स ने ‘आरआरआर’ के लिए 350 करोड़ का सौदा किया था और ये सौदा रिलीज के बाद बदला भी नहीं।
स्पष्ट है कि नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफॉर्म ‘रिपीट रन’ पर ही पैसा लगाते हैं। सिनेमाई भाषा में ‘रिपीट रन’ का अर्थ होता है, जो फिल्म बार-बार देखे जाने लायक हो। जाहिर है कि ‘आदिपुरुष’ तो एक बार भी देखे जाने लायक नहीं है। ऐसे में नेटफ्लिक्स सौ करोड़ भी इस फिल्म के लिए देता है तो अपना नुक़सान ही कर रहा है। ‘आदिपुरुष’ की वर्तमान स्थिति बड़ी दयनीय है। एक कचरा फिल्म को प्रमोशन के जरिये बेचकर निर्माता ने माल बनाने की कोशिश तो की लेकिन ‘माउथ पब्लिसिटी’ ने उसकी एक न चलने दी। रिलीज के अठारहवें दिन हिन्दी पट्टी में ये फिल्म केवल 15 लाख ही बटोर सकी। अगले सप्ताह तक ये फिल्म थियेटर्स से गायब हो चुकी होगी। ये एक ऐसी फिल्म थी, जिसने ‘विन-विन’ सिचुएशन बनने ही नहीं दी। इस फिल्म ने दर्शक को असहनीय तनाव दिया, थियेटर्स को नुक़सान दिया, ओटीटी को चूना लगाया और अपनी जेब ऊपर तक भर ली।