Movie Review : दसवीं तो पास हो गए लेकिन बॉक्स ऑफिस पर अटक गए गंगाराम
थियेटर में दसवीं पानी भी नहीं मांग पाती, ये आज के बॉक्स ऑफिस का सत्य है।
थियेटर में दसवीं पानी भी नहीं मांग पाती, ये आज के बॉक्स ऑफिस का सत्य है।
परेश रावल का समर्पण न होता तो ये फिल्म रिलीज का मुंह नहीं देख पाती।
रुद्र का किरदार जैसे अजय देवगन के लिए ही बनाया गया था।
अजय देवगन ओटीटी पर डेब्यू करने जा रहे हैं।
बॉबी देओल का समर्पित अभिनय कचरे की टोकरी में ही जाकर गिरा है।
आधे-अधूरे अंत के साथ मिथ्या समाप्त हो जाती है।
युवा दर्शकों को ये वेब सीरीज अवश्य देखनी चाहिए।
विजय मिश्रा का कैमरा संचालन रक्तांचल की सुंदरता बढ़ाता है
ये बहुत स्ट्रांग विलेन है जो अंतिम समय तक चुनौती बना रहता है।
कुछ पर्यटक ऐसे द्वीप पर पहुँच गए हैं, जहाँ उनकी आयु प्रति घंटे कम होती जा रही है।
‘मिन्नल मुरली’ छोटा ही सही, लेकिन महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाएगा।
निर्देशन में ऐसी ग्रिप नहीं है कि एक चलताऊ कहानी को देखने लायक बना सके।
पॉल एट्रेडीज ओशियन ग्रह के राजवंश का उत्तराधिकारी है।
उनके एक्शन सीक्वेंस फिल्म की जान बनकर उभरते हैं।
इतिहासकारों ने मुगलों के शाही परिधानों पर लगे धब्बे छुपा लिए थे।
महिलाओं के शौर्य पर दलित का मुद्दा छाया रहता है।
परेश रावल उनकी फिल्मों की यूएसपी हुआ करते थे।
जहाँ फरहान अख्तर मुख्य भूमिका में हो, मनोरंजन की अपेक्षा रखना पाप है।