अर्चना कुमारी । भारत के टुकड़े टुकड़े करने की सोच रखने वाले शरजील इमाम अभी जेल में बंद रहेगा। क्योंकि कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने शरजील की जमानत खारिज करने के आदेश दिए जबकि करीब 2 साल पहले उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों में मुस्लिम लोगों को उकसाने और भड़काने के आरोपियों में से एक शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह समेत अन्य धाराओं के तहत आरोप तय हो चुका है। सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने शरजील की जमानत याचिका पर सुनवाई की और जमानत याचिका खारिज कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि अदालत ने जांच एजेंसियों की इस दलील को माना कि मामले की मौजूदा हालात इमाम को जमानत पर रिहा करने के अनुकूल नहीं हैं। गौरतलब है कि शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह समेत अन्य धाराओं के तहत आरोप तय हो चुका है। इस मामले में शरजील इमाम की तरफ से निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन ज्ञात रहे कि दिल्ली पुलिस ने भी दलील दी थी कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, शरजील इमाम को जमानत न दी जाए, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो यह आरोपी कानून की प्रक्रिया से बच सकता है और गवाहों को धमकी भी दे सकता है।
सनद रहे कि 24 जनवरी को पूर्वी दिल्ली की एक अदालत ने, शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह सहित आईपीसी की कई संगीन धाराओं में आरोप तय किए थे और कोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 में दिए गए उत्तेजक भाषणों के लिए शरजील इमाम को ट्रायल का सामना करना होगा। आरोप है कि उसने अपने भाषण में असम को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले चिकेन नेक क्षेत्र को अलग करने की बात कही थी।
इस पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शरजील के खिलाफ, अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत भी केस दर्ज किया था।इस पर शरजील का कहना था कि उसने केवल लोगों से शांतिपूर्ण ढंग से चक्का जाम करने की बात कही थी, लेकिन पुलिस ने शरजील के भाषण का वीडियो क्लिप कोर्ट में पेश करते हुए आरोपों की पुष्टि की।
आरोप पत्र में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए लगातार भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई और इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में दुष्प्रचार किया गया कि उनकी नागरिकता चली जाएगी ।
गौरतलब है कि आरोपी को बिहार से गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से वह लगातार जेल में बंद है । सूत्रों का दावा है इमाम के वकील तनवीर अहमद मीर ने इमाम के लिए दलील देते हुए कहा कि उस पर लगाए गए साजिश के आरोप गलत हैं क्योंकि उसकी गिरफ्तारी हिंसा से पहले ही हो गई थी और हिंसा बाद में हुई।
वकील मीर ने कोर्ट में कहा,हम ऐसी व्यवस्था को बर्दाश्त नहीं कर सकते जहाँ साजिशें अंतहीन हो जाती हैं और अनंत काल तक चलती ही रहती हैं।इस सुनवाई के वक्त इमाम की बेल याचिका के विरोध में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जैसा कि साजिश की बात बार-बार तनवीर दोहरा रहे हैं, हकीकत में कि इमाम की गिरफ्तारी पहले साजिश के लिए नहीं बल्कि देशद्रोह वाले भाषण के लिए हुई है। इसलिए इमाम के वकील बार-बार ‘ साजिश’ कहकर बहस को गुमराह न करें।
दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि मामले की मौजूदा हालत इमाम को जमानत पर रिहा करने के लिए अनुकूल नहीं हैं।