मदन झा। ‘शांति के तीर्थ यात्री’ के तौर पर भारत आए अमेरिका के आठ शिक्षाविद उस समय हैरान रह गए, जब उन्होंने सुलभ ग्राम का दौरा किया। दुनिया को उदारीकरण का पाठ पढ़ाने वाले देश अमेरिका के ये शिक्षाविद महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और कार्यों को देखने के लिए भारत की यात्रा पर हैं। भारत में उनका कार्यक्रम दिल्ली के अलावा गाँधी आश्रम सेवाग्राम, वर्धा (मुंबई) के अलावा गांधी जी से जुड़ी महत्वपूर्ण जगहों पर जाने का भी हैं।
अमेरिका के कार्डिनल स्ट्रिक यूनिवर्सिटी से जुड़े ये शिक्षाविद् सर्वेंट लीडरशिप प्रोग्राम के तहत सुलभ ग्राम पहुंचे तो वहां डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक द्वारा किए गए कार्यों को देखकर चकित रह गए। सुलभ संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक के सुधार और स्वच्छता कार्यक्रम को देखकर इन शिक्षाविदों ने कहा कि डॉक्टर पाठक ने अपने कार्य के माध्यम से न सिर्फ महात्मा गांधी, बल्कि शांति की अवधारणा को भी समझा जा सकता है। सुलभ-संग्रहालय में मध्य काल से लेकर अभी तक के विभिन्न मॉडलों के शौचालयों को देख अमेरिकी शिक्षाविदों के समूह की आंखें फटी रह गईं। संग्रहालय देखने के बाद इन शिक्षाविदों ने सुलभ परिवार की सामूहिक प्रार्थना में भी हिस्सा लिया।
अमेरिका की कार्डिनल स्ट्रिक यूनिवर्सिटी के जिस सर्वेंट लीडरशिप कार्यक्रम के तहत ये शिक्षा विद भारत आए हैं, उनका मकसद नेतृत्व में सेवा भाव जगाना है क्योंकि नेतृत्व तभी संभव है जब आप में सेवा भाव हो। इस समूह में शामिल प्रोफेसर नैन्सी स्टैनफोर्ड ब्लेयर ने कहा कि ‘डॉक्टर पाठक का काम उनके उदाहरण योग्य किए गए काम में पूरी तरह रूपायित होता है।’
इस अवसर पर सर्व सेवा संघ के सचिव जीवी.वीएस.डीएस.प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने अछूत लोगों के उद्धार के लिए किए जा रहे डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक के काम की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि “भारत में अछूतों और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए कई लोग काम कर रहे हैं। लेकिन डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का काम सबसे अलग और बेहतर है।” प्रसाद ने कहा कि “डॉक्टर पाठक ने अपने काम के जरिए महात्मा गांधी के सपने को सही मायने में साकार किया है।” सुलभ ग्राम में अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए सुलभ संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक ने गांधी जी के कार्यों और सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि “सर्वेंट लीडरशिप कार्यक्रम गांधी जी के सिद्धांतों को समझने में ना सिर्फ मददगार होगा, बल्कि उनकी सोच को उनके द्वारा बताए गए कार्यों में लागू करनेमें भी सहायक होगा।”
डॉक्टर पाठक ने कहा कि सरकार को भी सर्वेंट लीडरशिप यानी नेतृत्व भी सेवक के सिद्धांत के मुताबिक काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी का सिद्धांत भी यही है। इसी वजह से गांधीजी का खानपान, कपड़े पहने का तरीका और जीवन शैली सब आम लोगों की तरह थी। उनका भरोसा आम लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में था। डॉक्टर पाठक ने कहा कि “उन्होंने भी खुद गांधी जी के ही सिद्धांतों पर चलते हुए उन्हीं की तरह काम किया और अहिंसा के जरिए सामाजिक बदलाव लाने की कोशिश की है।”