देश के वामियों और कांगियों द्वारा लाख अड़चनें खड़ी करने के बावजूद भारत ने आज अवैध रूप से रह रहे 7 रोहिंग्याओं को म्यांमार के हवाले कर दिया। इन सातों रोहिंग्या मुसलमानों ने अवैध रूप से भारत में घुसपैठ किया था। इसी कारण इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था। ये सातों 2012 से असम की जेल में बंद थे। हालांकि प्रशांत भूषण ने इन रोहिंग्याओं को भारत में रोकने के लिए काफी जतन किए और उनको भारत से न भेजे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने उन्हें डांट लगाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन कांग्रेस है कि रोहिंग्याओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने से बाज नहीं आ रही। रोहिंग्याओं के साथ कांग्रेस का संबंध इतना मजबूत दिखता है कि कोणार्क की एक तस्वीर पर अय्यर मित्र की भद्दी टिप्पणी भी उसे अच्छी लगती है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी इसी टिप्पणी के लिए कहा है कि उसकी जगह कहीं और नहीं बल्कि जेल में होनी चाहिए।
मुख्य बिंदु
* वोट बैंक पर असर पड़ने के कारण ही रोहिंग्याओं को भारत में रखना चाहती है कांग्रेस पार्टी
* भारत सरकार म्यांमार से आए रोहिंग्या घुसपैठियों को देश की सुरक्षा के लिए मान रही है खतरा
सवाल उठता है कि जब यह पहले ही साबित हो चुका है कि वे सातों ने अवैध रूप से भारत में घुसपैठ किया था, और म्यांमार को भी उसे वापस लेने में कोई आपत्ति नहीं है। ऐसे में उन सातों को वापस भेजने से प्रशांत भूषण तथा कांगियों वामियों के पेट का पानी क्यों डोलने लगा है? रोहिंग्याओं के जाने से वे लोग इतने बेचैन क्यों हो उठे हैं? इनलोगों की छटपटाहट को देखते हुए शंका होने लगी है कि कहीं भारत में रोहिंग्या मुसलमानों के घुसपैठ के पीछे इन्हीं लोगों की मिलीभगत तो नहीं? जिस प्रकार प्रशांत भूषण जैसों का एक वर्ग बांग्लादेशी तथा रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में खड़े होते हैं इससे किसी अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र होने की शंका लाजिमी है। सरकार को घुसपैठियों के साथ घर के अंदर के लोगों पर इस संदर्भ में कड़ी नजर रखनी चाहिए।
गौरतलब है कि कोर्ट में यह बहुत पहले ही साबित हो चुका था कि ये सातो रोहिंग्या के रखाइन प्रांत के रहने वाले हैं। इनलोगों ने अवैध रूप से भारत में घुसपैठ किया था। तब से वे लोग असम की जेल में बंद थे। मालूम हो कि अभी भी भारत में अवैध रूप से 40 हजार से अधिक रोहिंग्या घुसपैठिये रह रहे हैं। वैसे तो यूएनए में सिर्फ 16 हजार रोहिंग्या ही पंजीकृत हैं। भारत इन रोहिंग्याओं को अपने देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। क्योंकि इनके तार आतंकवादी संगठनों से जुड़ हैं। वहीं वामी कांगी इसे अपना वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि उन्हें अभी से अपना वोट बैंख खिसकता नजर आने लगा है। इसीलिए प्रशांत भूषण सरीखे सुप्रीम कोर्ट के वकील रोहिंग्याओं को किसी सूरत में रोकने पर आमादा हैं।
प्रशांत भूषण ही नहीं बल्कि इस खेल में कांग्रेस भी शामिल है। इन लोगों को कांग्रेस ही तो मंच प्रदान कर रही है। तभी तो कांग्रेस ने रोहिंग्याओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी आलोचना की है। कांग्रेस का कहना है कि आखिर सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार क्यों किया? कांग्रेस ने अब सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ स्टैंड लिया है तो उसकी आरती उतारने वाले अब सुप्रीम कोर्ट और सरकार के खिलाफ भजन गाना शुरू कर देंगे। इसी प्रकार कांग्रेस ने अभिजीत अय्यर मित्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी नागवार गुजरी है।
गौरतलब है कि अभिजीत अय्यर मित्र ने कोणार्क मंदिर की एक तस्वीर को लेकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अभिजीत अय्यर मित्र के खिलाफ कड़े लहजे में कहा था कि उसकी जगह कहीं और नहीं बल्कि जेल में होनी चाहिए। कांग्रेस को अय्यर मित्र पर सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भी बुरी लग गई। अय्यर की धार्मिक भावनाओं को ठेंस पहुंचाने वाली टिप्पणी कांग्रेस को मजाकिया लगती है। इस प्रकार कांग्रेस रोहिंग्याओं के समर्थकों को मंच उपलब्ध करा रही है।
URL: Supreme Court deportation seven rohingya refugees myanmar
Keywords: Supreme Court, deportation, Seven, Rohingya Refugees, Myanmar, prashant bhushan, सुप्रीम कोर्ट, सात रोहिंग्या शरणार्थी, म्यांमार, प्रशांत भूषण,