अर्चना कुमारी। दारुल उलूम अनाथालय का सच दिखाने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो पर कर्नाटक में मुकदमा दर्ज किए जाने की खबर है। उन्होने बेंगलुरू में दारुल उलूम अनाथलय का सच सामने लाया था। जहां पर बच्चों को तालिबानी तरीके से रखा जा रहा था।
यतीमखाना में जानवरों की तरह ठूँसे गए अनाथ बच्चों के बारे में खुलासा होने पर कांग्रेस सरकार घबरा गई और उन पर मामला दर्ज करा दिया। सूत्रों ने बताया इस दारूल उलूम सैय्यादिया नाम के यतीमखाने में खुलेआम बाल अधिकारों का उल्लघंन कर बच्चों को मानसिक यातना दी जा रही थी। यहाँ रहने वाले अधिकाश बच्चे मौलवी से इतना खौफ खाए हुए थे कि उसके आते ही हिलना-डुलना बंद कर आँखें बंद कर लेते थे। यहाँ बच्चों को पूरे दिन बगैर किसी खेलकूद के मस्जिद में रखा जाता है।
इस तरह का खुलासा होते ही सरकार की आलोचना शुरू हो गई थी और खुद को फंसता देख कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की औचक निरीक्षण रिपोर्ट को फर्जी करार देते हुए आयोग को घेरे में ले लिया। उससे पहले आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेकर कर्नाटक सरकार के चीफ़ सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया था। सनद रहे अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बेंगलुरू में अवैध तरीके से चलाए जा रहे दारूल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना का औचक निरीक्षण किया था।
इस ग़ैर पंजीकृत निरीक्षण के दौरान यहाँ कई अनियमितताएँ पाई गई। इसका सारा डिटेल अध्यक्ष ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया था।उनका दावा था यतीम खाना में 200 अनाथ बच्चों को रखा गया । जानवरों की तरह 100 वर्ग फ़िट के कमरे में 8 बच्चों को रखा गया था। इस तरह के 5 कमरों में 40 बच्चे और कॉरिडोर में 16 बच्चे रहते हैं।बाक़ी बचे 150 बच्चों को मस्जिद के नमाज़ पढ़ने वाले 2 अलग-अलग हाल में रात को सुलाया जाता हैं।
ये सभी बच्चे दिन भर इन्हीं नमाज़ वाले हाल में रहकर मदरसे की इस्लामिक दीनी तालीम लेते हैं। यतीमखाने में रहने वाले बच्चे बेहद छोटे हैं। इन मासूमों के लिए यहाँ न कोई खेल का सामान है और न ही ये बच्चे टेलीविजन देख सकते हैं। ये बच्चे इतने डरे हुए हैं कि मौलवी को आता देख सारे के सारे वहीं खड़े होकर आँख बंद कर लेते हैं। न इन बच्चों के खाने का ठिकाना है, न आराम का और न मनोरंजन के लिए कोई इंतजाम है। बस इन्हें सारे वक्त मस्जिद के अंदर रखा जाता । इस खुलासे के बाद यहां बदलाव के बजाय उस पर पर्दा कर दिया गया।