लीगल राइट ऑब्जर्वेटरी ( LRO) ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए दावा किया है कि वकील कॉलिन गोंसाल्वेस की संस्था (एचआरएलएन) को 4 यूरोपीय चर्चों से 50 करोड़ रुपये मिले। इन रुपयों का इस्तेमाल दिल्ली दंगा के आरोपियों तथा शाहीन बाग प्रदर्शन से जुड़े लोगों को कानूनी मदद देने के लिए और बचाव पर खर्च किए गए।
यदि यह दावा सही है तो यह साबित हो जाता है कि किस तरह देश के खिलाफ विदेशी ताकते भारत में रह रहे देशद्रोहियों को अवैध गतिविधियों में मदद पहुंचाती है। आरोप है कि आज दिल्ली दंगे के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक उमर खालिद के बचाव में जो लोग ट्वीटर से लेकर सड़क तक धमाल मचा रहे हैं, उन्हें फॉरन फंडिंग मिली है।
लीगल राइट ऑब्जर्वेटरी (LRO) ने केंद्र सरकार से इस बाबत जांच की मांग करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। ट्विट्स की सीरीज में LRO ने दावा किया है कि भारत विरोधी और पेशे से वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने विदेशी ताकतों के पैसे के दम पर किस तरह दंगे भड़काने वालेे का साथ दिया, इसका खुलासा हो जाता है। विदेशों से भारत-विरोधी ताकतों से फंड लेकर नागरिक कानून के विरोध में हुए आंदोलन का हिस्सा हुए लोगों को बचाया गया जबकि आरोपी वकील के NGO ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (HRLN) को सीएए दंगाइयों और कार्यकर्ताओं के बचाव के उद्देश्य से चार यूरोपीय चर्चों से 50 करोड़ रुपये दिए गए।
इस खुलासे से विदेशी चर्च और भारत में उसके प्रतिनिधि कॉलिन गोंसाल्वेस के बीच सांठगांठ का पर्दाफाश हुआ है । ऐसे लोग पैसे के लिए भारत के साथ खुलकर गद्दारी कर रहे हैं, और अपनी बोली लगा रहे हैं। इन्हीं में से अधिकांश लोग वो हैं, जिन्होंने साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद उस समय केेे तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में पीएम मोदी के खिलाफ नफरतभरी मुहिम चलाया था।
LRO ने बताया है कि कॉलिन गोंसाल्विस पूरे भारत में सीएए विरोधी दंगों के पीछे का दिमाग थे। अब इस रहस्योद्घाटन के साथ यह साबित होता है कि चर्च और गैर सरकारी संगठन भारत में किस तरह अशांति पैदा करने के लिए साजिश रच रहे हैं।
यूरोपीय चर्च संगठनों ने HRLN को अपने ‘सामाजिक-कानूनी सूचना केंद्र के संरक्षक’ के रूप में पैसा देकर वित्त पोषित किया था, जिसका काम अदालतों में दंगाइयों का बचाव करना था। इसके पक्ष में LRO ने दावा किया है कि HRLN ने अपनी वेबसाइट पर खुले तौर पर दावा किया है कि उसके वकीलों ने देश भर में नागरिक कानून के बाद दिल्ली में हुए दंगों में शामिल आरोपियों का बचाव किया है। HRNL ने ही दिल्ली दंगों में मुख्य दंगा आरोपी सफुरा जरगर का भी बचाव किया था।
LRO ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस संबंध में लिखा है कि UAPA लगाकर कॉलिन गोंसाल्वेस और HRLN के अन्य निदेशकों पर गिरफ्तारी और मुकदमा चलाए जाने की जरूरत है। LRO का कहना है कि सीएए दंगाइयों का बचाव करने के लिए जिस तरह से चर्च -वकील गठजोड़ का खुलासा किया है, उससे बड़े तार जुड़ते दिख रहे हैं।
खुलासे में बताया गया है कि HRNL ने सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों को डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया था ताकि उच्च न्यायालयों में विभिन्न मुकदमों में अपने पक्ष में न्याय को प्रभावित किया जा सके। इससे साबित होता है कि HRLN ने चर्च समूहों से करोड़ों लेकर देश में अशांति फैलाने, दंगा और अराजकता को उकसाने में राजद्रोह का गंभीर कार्य किया है।
यह कॉलिन गोंसाल्वेस के खिलाफ UAPA लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला है, जो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित इसके सभी निदेशकों पर भी लागू होता है। LRO ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिए गए अपने शिकायती पत्र में कहा कि इन सभी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
कॉलिन के बारे में बताया जाता है कि वह सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से कथित मानवाधिकार से जुड़े मसलों की पैरवी करते रहे हैं। उनको अल्टरनेटिव नोबेल पुरस्कार मिल चुका है जबकि उन्होंने ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (एचआरएलएन) संस्था का निर्माण किया, जिसकी देश भर में शाखाएं हैं।
दावा यह भी किया गया है उन्होंने मुंबई आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और यह शख्स विवादास्पद व्यक्ति हर्ष मंदर का कानूनी सलाहकार भी रहा है।
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