अर्चना कुमारी। दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के पीछे कथित षड्यंत्र संबंधी मामले में जांच की स्थिति जानने के अनुरोध वाली कुछ आरोपियों की अर्जियों को दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को ‘महत्वहीन’’,‘अव्यवहार्य’’ और ‘अनुमानों पर आधारित’’ बताया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आरोपियों देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा, मीरान हैदर और अतहर खान द्वारा दायर इन अर्जियों की सुनवाई की।
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि प्रत्येक अर्जी कानून में किसी भी ऐसे प्रावधान का उल्लेख करने में विफल रही, जिसके तहत उन्हें स्वीकार किया जा सके। उन्होंने कहा कि ये अर्जियां ‘महत्वहीन’’ हैं, क्योंकि वे आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के दायरे से बाहर हैं। ये अर्जियां अव्यवहार्य और अनुमानों पर आधारित हैं।
ये अर्जियां इस धारणा पर आधारित हैं कि आरोप तय करना अंतिम होता है। अमित प्रसाद ने आरोपियों द्वारा अपनी अर्जियों में उद्धृत निर्णयों को लेकर कहा कि कोई भी निर्णय अर्जी पर इस तरह से विचार करने की कोई शक्ति नहीं देता और न ही सीआरपीसी से परे जाने की कोई शक्ति देता है। उन्होंने कहा, ये अर्जियां और कुछ नहीं, बल्कि सुनवाई को पटरी से उतारने की कोशिश हैं।’इससे पहले, हैदर ने सोमवार को दायर अपनी अर्जी में दिल्ली पुलिस से यह बताने का अनुरोध किया था कि क्या मामले में जांच पूरी हो गई है, जबकि खान ने जांच पूरी होने तक आरोपों को लेकर बहस टालने या स्थगित करने का अनुरोध किया था।
देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा ने जांच एजेंसी को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में आरोप तय करने या नहीं करने को लेकर बहस शुरू होने से पहले अपनी जांच की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिए जाने का 14 सितंबर को अनुरोध किया था।
न्यायाधीश रावत ने मामले में आगे की कार्रवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया। इन दंगों के ‘‘मुख्य साजिशकर्ता’’ होने के आरोप में इन आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।