विपुल रेगे। चीन की सरकार ने अपने देश में स्थापित मस्जिदों को तोड़ने के लिए एक बड़ा अभियान शुरु किया है। ह्यूमन राइट वॉच ग्रुप की एक रिपोर्ट बता रही है कि वहां की सरकार ने मस्जिदों की निगरानी करना शुरु कर दिया है। चीन में दो करोड़ मुस्लिम रहते हैं लेकिन उनकी इस दशा पर अरब देश चुप हैं। यहाँ तक कि चीन की दया पर पल रहा पाकिस्तान भी मस्जिदों के विध्वंस पर कुछ नहीं बोल रहा। चीन की विध्वंसकारी नीति पर अरब देशों का मौन रहस्यमयी है। भारत में जिस स्तर का तुष्टिकरण देखने को मिल रहा है, उसको देखते हुए यहाँ चीन जैसी कार्रवाई होना एक दिवास्वप्न है।
भारत में राजमार्गों के विकास के लिए मंदिरों की बलि दी जाती है, ये निर्विवाद तथ्य है। बहुत से मंदिर विकास के नाम पर तोड़ दिए जाते हैं। वाराणसी में विकास के नाम पर बहुत से प्राचीन मंदिरों को तोड़ दिया गया। भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति सभी दलों के नेताओं के रक्त में डीएनए की भांति स्थायी रुप से मौजूद है।
दो दिन पहले की बात है। इन्दौर के पास एक पहाड़ी इलाके में इंदौर-खंडवा-एदलाबाद राजमार्ग बनाने के लिए एक मंदिर की बलि देना तय हो गया था। कंपनी वाले आकर मंदिर की दीवार पर लाल निशान लगा गए थे। ये मंदिर जंगलेश्वर महादेव का है। स्थानीय ग्रामीणों ने पुरज़ोर विरोध किया, तब जाकर कंपनी मार्ग बदलने के लिए तैयार हुई। ये सारे भारत में किया जा रहा है लेकिन मस्जिदों और मज़ारों को हाथ तक नहीं लगाया जाता।
देश में ऐसी कई सड़के हैं, जहाँ अवैध मज़ारे देखने को मिलती है लेकिन बुलडोज़र कभी नहीं चलता। यहाँ बुलडोज़र और हथौड़े मंदिरों पर ही चलाए जाते हैं। चीन में सरकार मस्जिदे तोड़ रही है और भारत की सरकार विकास के नाम पर तीर्थों को रौंदती जा रही है। अब तो सरकार की निगाह कृष्ण भूमि मथुरा पर जा टिकी है। चीन के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में लगभग 1300 मस्जिदों को तोड़ने के समाचार हैं। और भारत का ये हाल है कि यहाँ सरकार अवैध मज़ारों और मस्जिदों को हाथ तक नहीं लगाती, उल्टे उन्हें सरंक्षण प्रदान करती है।
इस मामले में भाजपा पहले पार्टी विद डिफ़रेंस की बात करती थी लेकिन केंद्र में आने के बाद उसका रवैया भी कांग्रेस जैसा हो गया। चीन की कम्युनिस्ट सरकार साफ़ कहती है कि कट्टरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ह्यूमन राइट वॉच ग्रुप का कहना है कि चीन में एक व्यवस्था के तहत इस्लाम का खात्मा किया जा रहा है। अरब देशों की चुप्पी का एक कारण ये बताया जा सकता है कि चीन ताकतवर है और अपने निजी मामलों में किसी की नाक घुसेड़ना उसे पसंद नहीं है।
ऐसा करने के लिए सरकार के पास मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है, जो भारत की सरकारों में स्वतंत्रता के बाद से ही देखी नहीं गई है। ज्ञानवापी परिसर का उदाहरण यहाँ बखूबी दिया जा सकता है। अब तो ये सिद्ध हो चुका है कि बाहर से आए एक सिरफिरे इस्लामी राजा ने मंदिर तोड़कर वहां अपना ‘अतिक्रमण’ जमाया। आज उस अतिक्रमण को साफ़ करने के बजाय सरकार को उसे सरंक्षण देना पड़ रहा है। निश्चित ही यहाँ चीन जैसी नीति की आवश्यकता है। चाहे मंदिर हो या मस्जिद, यदि अवैध ढंग से निर्माण किया गया हो तो, हटाना ही श्रेष्ठ उपाय है। हालांकि भारत में तो आपको रेलवे स्टेशन पर मज़ारे और मस्जिद देखने को मिल जाएगी। ये ‘अघोषित’ एकतरफा छूट एक ही समुदाय को भरपूर ढंग से दी गई है। चीन यदि ताकतवर देश है तो भारत भी कुछ कम नहीं है। बस हमारी डरपोक नेता नगरी में संकल्प और इच्छाशक्ति की बहुत बड़ी कमी है।