किसान बिल के विरोध में केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए कुंडली सिंघु बॉर्डर पर संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस तरह की मामले की सूचना मिलते ही हरियाणा पुलिस मौके पर पहुंचीं। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए दे दिया । पुलिस को घटना स्थल से पंजाबी भाषा में लिखे गए किसानों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
पुलिस के अनुसार बुधवार दोपहर को पुलिस को सूचना मिली कि सिंघु बॉर्डर से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर हरियाणा में एक व्यक्ति ने खुद को गोली मार ली है। इस तरह की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की शिनाख्त संत बाबा राम सिंह के रूप में हुई है। वह सींगड़ा स्थित गुरुद्वारा नानकसर के संत बताए जा रहे हैं।
पुलिस को मृतक के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जो पंजाबी भाषा में लिखा है। नोट में लिखा है कि मैंने किसानों का दुख देखा है। अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है, जो कि जुल्म है, जो जुल्म करता है वह पापी है, जुल्म सहना भी पाप है। किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है। किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है।
किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है। यह जुल्म के खिलाफ आवाज है। यह किसानों के हक के लिए आवाज है, वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह। इस घटना पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वह एक बहुत बड़े महापुरुष थे। उन्होंने पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगाया। आज उन्होंने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने लिखा है कि मेरे से किसानों का दर्द देखा नहीं जाता, किसान सड़क पर बैठा है।
बाबा राम सिंह जिले के सींगड़ा स्थित गुरुद्वारा नानकसर के संत बताए जा रहे हैं, जिनके काफी समर्थक हैं। विदेश में भी उनके अनुयायी हैं। लोगों की मानें तो बाबा राम सिंह किसान आंदोलन में सक्रिय सहभागिता कर रहे थे। वह पांच दिन पूर्व सिंघु बॉर्डर गए थे तो उन्होंने पांच लाख रुपये की मदद दी थी और कल पांच हजार कंबल बंटवाए थे। बीती रात करनाल आए थे और आज सुबह बॉर्डर पर लौट गए थे।
बकौल जोगा सिंह, वह काफी परेशान लग रहे थे। खासकर, धरने पर बैठे बुजुर्गों, महिलाओं को लेकर उन्हें काफी चिंता थी। बाबा राम सिंह ने अपनी सुरक्षा के लिए लाइसेंसी हथियार रखा हुआ था लेकिन आत्महत्या किस हथियार से की, यह अभी साफ नहीं हो पाया है। गौरतलब हो कि 21 दिन से किसान हरियाणा-दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं और बढ़ती ठंड की वजह से किसानों की मौत की संख्या भी बढ़ती जा रही है ।
केंद्र सरकार इस कानून में संशोधन को तैयार है लेकिन तथाकथित आंदोलनकारी इस बिल को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। बताया जाता है कि विरोधी दलों के उकसावे पर किसानों के भेष में बिचौलियों और आढ़तियों ने देशभर के किसानों को भ्रमित करने के लिए धरना चालू कर रखा है लेकिन ठंड में मौत का सिलसिला लगातार जारी है ।
इससेे पहले 16 दिसंबर की सुबह ही पंजाब के पटियाला जिले के रहने वाले पाला नाम के किसान की मौत हुई थी । शुरुआती जांच के मुताबिक बढ़ती ठंड और हार्ट अटैक की वजह से पाला नामक किसान की मौत हुई है।15 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर के उषा टॉवर के सामने एक किसान की मौत हो गई थी और इस मृतक किसान की पहचान गुरमीत के रूप में हुई। इसी दिन देर रात को करनाल में सड़क हादसे में 2 लोग की मौत हुई जो किसान आंदोलन से घर वापस जा रहे थे ।
14 दिसंबर सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे मक्खन सिंह नाम के किसान की मौत हो गई थी जबकि 6 दिसंबर को सिरसा के कलांवली के कमलजीत नाम के किसान की मौत हो गई। इसी तरह सिंघु बॉर्डर पर धरना देकर ट्रैक्टर पर सवार होकर पटियाला लौट रहे पंजाब के दो किसानों की हरियाणा के करनाल जिले में एक ट्रक की चपेट में आने से मंगलवार सुबह मौत हो गई थी। पुलिस ने बताया था कि तरौरी फ्लाईओवर पर हुई इस घटना में एक अन्य किसान को भी गंभीर चोटें आई ।
दबाव की राजनीति कर रहे हैं, ये ठीक नहीं है
किसानों के हितों की रक्षा के लिए बने कानून को बिना पढ़े जाने गलत ठहराया जा रहा है…
प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें…..