चुनाव आयोग ने तारीख़ों की घोषणा कर दी हैं. मतदान दो चरणों में एक और पाँच दिसंबर को होगा और आठ दिसंबर को मतगणना की जाएगी.
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 100 के आँकड़े तक भी नहीं पहुँच पाई थी. पार्टी को 99 सीटें मिली थीं. साथ ही कांग्रेस ने उस समय के चुनावों में 77 सीटें जीती थीं, लेकिन सत्ता तक नहीं पहुँच पाई थी. इस चुनाव में पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रहे भाजपा और कांग्रेस तो हैं ही, लेकिन आम आदमी पार्टी की सक्रियता के कारण इस बार चुनाव त्रिकोणीय हो गया है.
इस बार चुनाव में महंगाई, शिक्षा, बेरोज़गारी और विकास के मुद्दों पर चर्चा हो रही है.

एक तरफ़ गुजरात में सत्ताधारी बीजेपी ‘विकास के मुद्दे’ पर जीत का भरोसा जता रही है, वहीं कांग्रेस और ‘आप’ महंगाई, भ्रष्टाचार और प्रशासन में सख़्ती के कारण ‘जनता के ग़ुस्से’ की बात कर रही हैं.
तो आइए इस रिपोर्ट में आँकड़ों के ज़रिए गुजरात चुनाव को समझते हैं.

विधानसभा चुनाव में कितने वोटर?
- हाल ही में चुनाव आयोग ने गुजरात में मतदाताओं की अंतिम सूची जारी की, राज्य में कुल 4.90 करोड़ मतदाता हैं.
- पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.53 करोड़ है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 2.37 करोड़ है.
- नए मतदाताओं की संख्या में 11.62 लाख का इज़ाफ़ा हुआ है. तीसरे लिंग के मतदाताओं की संख्या भी बढ़कर 1,417 हो गई है. वैध मतदाताओं में चार लाख से अधिक विकलांग मतदाता हैं.
- सबसे ज़्यादा (59.9 लाख) मतदाता अहमदाबाद में हैं, जबकि सबसे कम (1.93 लाख) डांग में हैं.

पिछले चुनावों में क्या-क्या हुआ?

गुजरात में कांग्रेस ने 1985 में आख़िरी बार सत्ता का स्वाद चखा था. उसके बाद 1990 में जनता दल 70 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.
ये वही साल था जब बीजेपी का भी उभार हुआ था और उसने 67 सीटें जीतकर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 33 सीटें मिली थीं.
गुजरात विधानसभा चुनाव के विजेता (1980-2017)

इसके बाद के सालों में हुए गुजरात चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच की टक्कर बन गए, जिसमें बीजेपी को हर बार बहुमत हासिल हुई.
बीजेपी ने 1995 में 121 सीटें, 1998 में 117 सीटें और 2002 में सबसे ज़्यादा 127 सीटें जीती थीं.
इसके बाद बीजेपी ने 2007 में 116 और 2012 में 115 सीटों पर जीत हासिल की थी.
हालाँकि, 2017 का चुनाव काफ़ी दिलचस्प रहा था. दो दशकों में ऐसा पहली बार था जब बीजेपी की सीटें दो अंकों पर ही सिमट गई थीं. इस चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं जो 1990 के बाद से सबसे ज़्यादा थीं.
कौन होंगे मतदाता और कैसे करेंगे मतदान
गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं. इनमें 27 एसटी, 13 एससी और 142 सामान्य श्रेणी की सीटें हैं.
गुजरात में कितनी तरह के विधानसभा क्षेत्र
सामान्य (142), एससी (13), एसटी (27)

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की एसटी सीटों पर मज़बूत पकड़ रही है. कांग्रेस ने 2007 और 2012 में 59 प्रतिशत और 2017 में 55 प्रतिशत एसटी सीटें जीती थीं.
बीजेपी ने 2007 के चुनाव में 11 एससी और 11 एसटी सीटें हासिल की थीं. 2012 में बीजेपी ने एक-एक एससी और एसटी सीट खो दी थी और उनकी अधिकतम सीटें सामान्य श्रेणी की विधानसभा क्षेत्रों से आई थीं.
साल 2017 में एससी, एसटी और सामान्य विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी की सीटें घटी हैं
सामान्य, एससी और एसटी सीटों पर राजनीतिक दलों ने सीटें जीतीं (2007-2017)

लेकिन, साल 2017 में ये सारे समीकरण बदल गए. इन चुनाव में कांग्रेस ने ना सिर्फ़ अपनी एससी और एसटी सीटें बचाए रखीं, बल्कि सामान्य श्रेणी की सीटों में भी बढ़ोतरी कर ली. कांग्रेस को 2017 में 57 सामान्य सीटें मिली थीं, जो 2012 में 43 और 2007 में 41 सीटें थीं.
वहीं, 2007 के मुक़ाबले 2017 में बीजेपी के हाथ से 4 एससी, 2 एसटी और 12 सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीटें चली गईं.
सौराष्ट्र में घटता मतदान
2017 में सौराष्ट्र में मतदान में गिरावट
साल 2012 के बाद मतदान में हुआ बदलाव (%)

साल 2017 के चुनाव में गुजरात के अन्य राज्यों के मुक़ाबले सौराष्ट्र में मतदान में सबसे ज़्यादा गिरावट आई है.
क्या इससे क्षेत्र के मतदाताओं के बारे में कुछ अहम संकेत मिलते हैं? बिल्कुल, सौराष्ट्र में मतदान में आई कमी से कांग्रेस को फ़ायदा मिला है.
सौराष्ट्र में कांग्रेस को सबसे ज़्यादा मतदान मिला
2012 और 2017 के बीच वोट शेयर प्रतिशत में हुआ बदलाव

रुख़ बदलते विधानसभा क्षेत्र
बीजेपी ने अहमदाबाद और सूरत में 40 प्रतिशत से ज़्यादा अंतर के साथ नौ सीटें जीती थीं. इसमें मणिनगर सीट भी शामिल थी जहां से पीएम मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते चुनाव लड़ा था.
अहमदाबाद और सूरत में मजबूत होती बीजेपी
12 सीटों पर जीत का अंतर 1% से कम है

हालांकि, 12 ऐसी सीटें थीं जिनमें जीत का अंतर एक प्रतिशत से भी कम था. 2017 चुनाव के आंकड़ों के आधार पर देखें तो ये सीटें इस बार किसी भी राजनीतिक दल की तरफ़ झुक सकती हैं.
कपराडा (एसटी), गोधरा, ढोलका, मनसा, बोताड, दियोदर, दंग (एसटी), छोटा उदयपुर (एसटी), वांकानेर, विजापुर, हिम्मतनगर और मोडासा ऐसे क्षेत्र हैं जहां 2017 में बीजेपी का जीत का अंतर सबसे कम रहा था. इन 12 सीटों में से सात पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. कपराडा एकमात्र ऐसी सीट थी जहां कांग्रेस की जीत का अंतर पूरे राज्य में सबसे कम
नोटा पर पड़े सबसे ज़्यादा वोट
साल 2017 में पूरे राज्य में दांता, रापर और छोटा उदयपुर (एसटी) में सबसे ज़्यादा मतदान नोटा पर हुआ. इन विधानसभा क्षेत्रों में नोटा पर 3.5 प्रतिशत मतदान किया गया. हालांकि, ये बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन इससे दिलचस्प संकेत मिलते हैं. इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की जीत का अंतर बहुत ज़्यादा था.
2012 और 2017 के बीच बीजेपी के वोट शेयर में बदलाव
