आज जब पूरे विश्व के हिन्दू अपने प्रभु श्री राम के 500 वर्षों उपरान्त अयोध्या में मंदिर के उल्लास में मगन है, वह उस विजय में मगन हैं, जिस विजय को उन्होंने इतने वर्षों तक न्यायालय की चौखटों पर ठोकर खाने के बाद पाया है, जिस विजय के लिए न जाने कितने हिन्दुओं ने अपना जीवन खुशी खुशी त्याग दिया। उसे चाहिए ही क्या था, बस अपने प्रभु श्री राम का मंदिर! उसे चाहिए ही क्या था, बस प्रभु श्री राम अपने घर आ जाएं! और उसने इसके लिए किसी का खून नहीं किया, उसने पहले याचना की, प्रार्थना की और फिर बातचीत की।
कौन अब तक इतिहास का वह दौर नहीं भूला है जब आततायी बाबर ने भारत में आकर किस प्रकार हिन्दुओं का वध किया, अपने मजहब को स्थापित करने के लिए उसने अपनी सेना को काफिरों का क़त्ल करने की खुली आज़ादी दी! यह आज़ादी कितनी खौफनाक थी इसे भारत की जमीन पर गिरे हुए रक्त से पहचाना जा सकता था।
जो अयोध्या अब तक अपने राम पर इठलाती थी, अब खून खराबे के बाद वह सूनी हो गयी थी। राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बन गई थी। उन्हें जरा भी लाज नहीं आई थी कि वह उस धर्म की आस्था को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जो इस पूरी भारत भूमि को एक साथ जोड़ता है। मगर नहीं, वह तोड़ते रहे हमारे आराध्य के जन्मस्थान को, और हमारा समाज विरोध करता रहा, हम इतने वर्ष लड़ते रहे, न जाने कितने शीश कटे होंगे, न जाने कितनी माओं की गोद सूनी हुई होगी और न जाने कितनी मांगों का सिन्दूर उजड़ा होगा! और जब यह मामला न्यायालय में पहुंचा तो हिन्दू हो या मुसलमान दोनों ही पक्षों की तरफसे यह आश्वासन दिया गया कि जो भी निर्णय आया, उसे खुले दिल से अपना लेंगे।
और फिर जब नवम्बर 2019 में जो निर्णय आया, एक सबसे बड़ा प्रश्न है कि क्या उसे मुस्लिम पक्ष ने स्वीकार किया है? आज जब विश्व का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू अपने ही देश में अपने ही आराध्य के उस मंदिर की नींव डाले जाने का उत्सव मना रहा है तो आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड खुलकर धमकी दे रहा है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का साफ़ कहना है कि वह समय आने पर बदला लेगा। उसका कहना है कि बाबरी मस्जिद थी और हमेशा रहेगी।
इसी के बाद वह उस ट्वीट में आगे तुर्की की हागियासोफिया मस्जिद का भी उल्लेख करता है। पहले पर्सनल लॉ बोर्ड का ट्वीट पढ़ते हैं और फिर हागियासोफिया और छिपी हुई धमकी को जानते हैं।
अभी हाल ही में तुर्की में हागियासोफिया मस्जिद बहुत चर्चा में आई थी। 11 जुलाई को बीबीसी की एक खबर के अनुसार हागिया सोफिया 86 वर्ष बाद फिर से बनी मस्जिद।
आखिर यह था क्या? तुर्की में इस्तांबुल में जो आज से 1500 साल पहले कुंस्तुन्तुनिया (Qustuntunia) कहलाता था, सम्राट जस्टिनियन ने वर्ष 532 में एक भव्य चर्च के निर्माण का आदेश दिया था। किन्तु उससे भी पहले वह एक धार्मिक संरचना के रूप में मौजूद था। परन्तु इसे भव्य रूप सम्राट जस्टिनियन ने दिया और ईसाई स्थापत्य कला का यह नायाब उदाहरण जब बनकर तैयार हुआ तो सब उसे देखते ही रह गए। इसका नाम हागिया सोफिया रखा गया, जिसका अर्थ है पवित्र ज्ञान या पवित्र विवेक।
तुर्की में जब इस्लामी आक्रमणकारियों ने हमला किया तो हर जगह की भांति यहाँ के धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाने लगे। वर्ष 1453 में ऑटोमन साम्राज्य के सुलतान मेहमद द्वितीय ने कुंस्तुन्तुनिया पर हमला करके उसे इस्तांबुल किया और हागिया सोफिया को एक मस्जिद में बदल दिया गया।
जब प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा, तो विजेताओं ने उस साम्राज्य को कई टुकड़ों में बाँट लिया, और जो यह तुर्की देश है वह उसी विभाजित साम्राज्य का हिस्सा है।
सर्वसम्मति से हागिया सोफिया को मस्जिद से म्यूजियम में मुस्तफा कमाल पाशा ने बदल दिया। मगर धीरे धीरे कट्टरपंथियों की आवाजें उठने लगीं और राष्ट्रपति एर्दोआन इन भावनाओं का समर्थन करते रहे कि वह उसे फिर से मस्जिद में बदल देंगे और इस वर्ष न्यायालय के माध्यम से उसे मस्जिद बनवा लिया है।
यदि आप गूगल पर हागिया सोफिया के निर्णय पर सर्च करेंगे तो कई इस्लामिक वेबसाइट पर हागिया सोफिया के इस निर्णय को भारत की बाबरी मस्जिद के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। मगर जो भी इस्लामिक वेबसाइट इसका ज़िक्र कर रही हैं, उन्हें राम का इतिहास नहीं पता था। सोफिया मूल में चर्च था और उसे तोड़कर मस्जिद बनाया था, जैसे राम मंदिर को तोड़कर उस पर बाबरी मस्जिद बनाई गयी थी,
तो यह वह वर्ग हैं जो चर्च को तोड़कर बनाई गयी मस्जिद को म्यूजियम भी नहीं देख सकते हैं, और चाहते हैं कि हिन्दू अपने शलाका पुरुष के जन्मस्थान पर विधर्मी द्वारा बनाई गयी संरचना को देखता रहे?
यह बहुत अजीब स्थिति है, कि आप आएं, दूसरों के विश्वास और विश्वास पुरुष को नष्ट करें। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने खुलेआम कहा कि जब भी मौका मिलेगा अयोध्या में राम मंदिर को नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा तो हम क्या यह मान लिया जाए कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक आतंकवादी संगठन बन चुका हैं ?
इस संगठन ने अपना जेहादी और खून खराबे वाला चेहरा दिखा दिया है। समय आ गया है कि अब इस संगठन को बंद कर दिया जाए!
इनके लिए कोई कानून की कीमत नहीं
सिर्फ आक्रांता सोच में निहित धर्म और इनका
ज्ञान आधुनिक असुरों का आभास है??
इनसे संभल कर रहना होगा सनातन लोगों को भविष्य में ये धोखा देंगे ये अताताई लोग।