अर्चना कुमारी। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और उसी के अधीन दिल्ली पुलिस आती है । जंतर-मंतर पर रविवार आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान धर्म विशेष के खिलाफ नारेबाजी हुई थी या नहीं यह जांच का विषय है लेकिन इस बारे में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। ऐसा तब हुआ जब इस कार्यक्रम से संबंधित सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए और कुछ कथित मुस्लिम चिंतकों ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए पुलिस पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया और जिसके बाद वायरल वीडियो पर दिल्ली पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है।
पुलिस का कहना है कि वीडियो को कब्जे में लेकर कनॉट प्लेस थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन कार्यक्रम के आयोजकों का साफ-साफ कहना है कि उनके कार्यक्रम में ऐसी कोई नारेबाजी नहीं की गई। जिन लोगों ने यह नारेबाजी की है, उनसे उनका कोई संबंध नहीं है। उन लोगों ने यह भी कहा है कि भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर मौजूदा समय में भी जारी 222 अंग्रेजी कानूनों के विरोध में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था और किसी धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणी करना उन लोगों के एजेंडा में नहीं था।
दरअसल सारा विवाद तब खड़ा हुआ जब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ । कथित तौर पर वीडियो में कुछ लोग नारेबाजी कर एक धर्म विशेष के बारे में अपशब्द कह रहे थे। दावा किया गया है कि वीडियो जंतर-मंतर पर आयोजित कार्यक्रम का है और जैसे ही पुलिस को इसकी जानकारी मिली, तुरंत पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू होने की बात कहीं। इस कार्यक्रम को लेकर भारत छोड़ो आंदोलन कार्यक्रम की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व भाजपा प्रवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
जन व्यापी कार्यक्रम में अंग्रेजी कानूनों का विरोध कर उनको समाप्त करने के लिए कहा गया। उनका कहना था कि उन्होंने वीडियो देखा है, लेकिन उनको नहीं पता कि धर्म विशेेष के खिलाफ नारेबाजी करने वाले कौन लोग हैं। शिप्रा ने पुलिस से नारेबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के लिए कहा है। इस बीच कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता अश्विनी उपाध्याय ने भी नारेबाजी करने वाली बात से इंकार किया । उनका कहना है कि उनके कार्यक्रम में किसी ने भी नारेबाजी नहीं की।
जबकि उन्होंने खुद दिल्ली पुलिस को शिकायत देकर इस मामले की जांच करने के लिए कहा है। उनका साफ कहना था कि उनको नहीं पता है कि नारेबाजी करने वाले कौन लोग हैं और यह कहां से आए। उन्होंने कहा कि जब तक वह कार्यक्रम में रहे तब तक उन्होंने किसी को ऐसी नारेबाजी करते हुए नहीं देखा। इसकी जांच जरूर करना चाहिए।
यदि वीडियो फर्जी है तो उनके भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है और ऐसे लोगों की पहचान कर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए। बहरहाल पुलिस के पाले में गेंद है और पुलिस को देखना है कि यह किसी भी साजिश है या फिर कार्यक्रम के आयोजकों को बदनाम करने की नियत से सोशल मीडिया पर वीडियो फैलाई गई।
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस अश्विनी उपाध्याय को गिरफ्तारी करेगी, ऐसा ऊपर से भी निर्देश है लेकिन कोर्ट में पेश आज नहीं करेंगे इसलिए आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की जा रही है। अभी पूछताछ चल रही है ऐसा अधिकारी बता रहे हैं। आधिकारिक तौर पर डीसीपी दीपक यादव कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।