दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार के माध्यम से अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह ही दिल्ली में मुसलिम वोटों पर पूरी तरह से कब्जा करना चाहते हैं। तभी तो वह हर वो मुद्दा उठाकर उपराज्यपाल के सिर रख देते हैं जिससे लगे कि वह तो मुसलिमों के हक में काम करना चाहते हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी अड़ंगा लगा रही है। अरविंद केजरीवाल ने ऐसा ही एक मुद्दा अपने विधायक अमानतुल्ला से उठवाने का प्रयास किया है। जब कि आप सरकार के भ्रष्टाचार के कारण ही दिल्ली वक्फ बोर्ड को दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीव जंग ने 2016 में भंग कर दिया था।
मुख्य बिंदु
*कहीं कांग्रेस की तरह ही मुसलिम वोट अपने हक में करने का खेल तो नहीं
*दागी विधायक अमानतुल्लाह खान को फिर से बोर्ड का अध्यक्ष बनाने की मंशा तो नहीं
* अमानतुल्लाह के अध्यक्ष रहते ही पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने बोर्ड को भंग कर दिया था
आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल पर एक निराधार आरोप लगाया है कि वह दिल्ली वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन होना नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि दरअसल भाजपा नहीं चाहती है कि दिल्ली के अल्पसंख्यक समुदाय के हित में कोई काम हो। मालूम हो कि साल 2016 में भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण ही पूर्व उपराज्यपाल नजीव जंग ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया था।
गौरतलब है कि जब जंग ने वक्फ बोर्ड को भंग किया था तब उसके अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान ही थे। बोर्ड के कार्यों में मिली अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को देखते हुए उसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। जबकि दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के इस कदम का विरोध किया था। मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ आप के सारे विधायकों ने बजट सत्र में इस मुद्दे को उठाया था। सवाल यह उठता है कि आखिर केजरीवाल किस कारण बिना जांच पूरी हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन करना चाहते हैं ? कहीं दागी विधायक अमानतुल्लाह से उनकी मिलीभगत तो नहीं?
URL: Arvind kejriwal | another step for vote bank politics
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