1- इससे वोटर्स को बुद्धिमान और ईमानदार जनप्रतिनिधियों को चुनने में मदद मिलेगी.
2- बगैर चुनाव चिह्न के ईवीएम और बैलट से चुनाव होने पर न केवल जातिवाद और सांप्रदायवाद की समस्या खत्म होगी, बल्कि लोकतंत्र में कालेधन का इस्तेमाल भी रुकेगा.
3- इससे पार्टियों की तानाशाही रुकेगी. टिकट बंटवारे में खेल नहीं होगा. पार्टी प्रमुख, उन उम्मीदवारों को टिकट देने को मजबूर होंगे, जिनकी क्षेत्र में अच्छी पहचान होगी.
4- चुनाव चिह्न के धंधे पर रोक लगेगी. इससे देश का लोकतंत्र राजनीतिक दलों के प्रमुखों का निजी जागीर नहीं बनेगा.
5- बैलट और ईवीएम पर पार्टी सिंबल न होने से राजनीति का अपराधीकरण रुकेगा. टिकट दिलाने में सत्ता के दलालों पर अंकुश लगेगा.
6- सिंबल व्यवस्था बेअसर होने से अच्छे समाजिक कार्यकर्ताओं और ईमानदारों लोगों का राजनीति में आना आसान हो जाएगा.
7- अच्छे, कर्मठ और ईमानदार जनप्रतिनिधियों के संसद और विधानसभाओं में जाने से जनहित में अच्छे कानूनों का निर्माण संभव होगा.
8- ईमानदार सांसद, जब संसद में पहुंचेंगे तो सांसद निधि का सही तरह से इस्तेमाल करेंगे.
9- इससे भाषावाद और क्षेत्रवाद पर भी अंकुश लगेगा जो कि लोकतांत्रिक राजनीति के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
10- अगर सही लोग चुनकर सदन में पहुंचेंगे तो देश में लंबे समय से लंबित इलेक्शन रिफार्म, जुडिशियल रिफार्म, एजूकेशन रिफार्म, प्रशासनिक सुधार आदि जल्द से जल्द हो सकेगा.