आईएसडी नेटवर्क। ओमिक्रॉन वैरियंट के आने के बाद से इसे लेकर इंटरनेट पर कई अफवाहे उड़ाई जा रही है। फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा एक अफवाह के झांसे में आ गए और ट्वीटर पर अपना मज़ाक बनवा लिया। ओमिक्रॉन वैरियंट को लेकर एक पुरानी फिल्म का फोटो साझा किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस नाम से पूर्व में एक फिल्म बनाई जा चुकी है। रामगोपाल वर्मा ने इसी फर्जी पोस्टर को अपने ट्वीट अकाउंट पर साझा कर डाला।
इंटरनेट पर कुछ शरारती लोगों ने सन 1963 में प्रदर्शित हुई एक फिल्म ‘ओमिक्रॉन’ का पोस्टर लेकर उसे फोटोशॉप किया और ‘द ओमिक्रॉन वैरियंट’ के नाम से वायरल कर दिया। पोस्टर इतनी बारीकी से बनाया गया था कि हज़ारों लोग इसके झांसे में आ गए और इसे शेयर करने लगे। रामगोपाल वर्मा ने भी इसे शेयर किया था।
राम गोपाल वर्मा ने ये फर्जी पोस्टर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि ‘ यकीन मानिए या बेहोश हो जाइए… यह फिल्म 1963 में आई थी, जरा टैग लाइन चेक कीजिए।’ हालाँकि इसके बाद कई यूजर्स ने राम गोपाल वर्मा को ध्यान दिलाया कि उनका शेयर किया पोस्टर फोटोशॉप किया हुआ है। एक यूजर ने लिखा ‘वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी के मैसेजेस पर यकीन करना बंद कीजिए।’ जब इस पोस्टर की कहानी लोगों को पता चली तो कई लोगों ने सच्चाई जानने का प्रयास किया।
पता चला कि सन 1963 में वाकई में एक फिल्म आई थी लेकिन उसका नाम केवल ‘ओमिक्रॉन’ था। वायरस से मिलता-जुलता नाम होने के कारण कुछ लोगों ने इसके साथ वैरियंट जोड़कर वायरल कर दिया। हालाँकि ये भी एक संयोग है कि इस फिल्म की कहानी एक वायरस की ही कहानी है। फिल्म में दिखाया गया है कि एक एलियन सभ्यता पृथ्वी पर कब्ज़ा करना चाहती है। इसके लिए वे एक मृत व्यक्ति के शरीर में सूक्ष्म वायरस भेजते हैं और व्यक्ति को जीवित कर अपना उद्देश्य पूर्ण करना चाहते हैं।