अयोध्या में राम मंदिर को लेकर विलंब करने के तहत सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर बहुप्रतिक्षित फैसला आज आ गया। इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व के पांच जंजों के फैसले के साथ रहते हुए कहा है कि मसजिद इसलाम का अभिन्न अंग नहीं है नमाज पढ़ने के लिए मसजिद की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा नेता तथा सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह साफ कर दिया है कि 1994 में इस्माइल फारुकी मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों द्वारा दिए गए फैसले को अब सात जजों वाली संविधान पीठ को रेफर नहीं किया जाएगा! इससे साफ हो गया है कि इस मामले की सुनवाई तीन जजों वाली पीठ ही करेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से हाईकोर्ट के फैसले में विसंगतियों और गलतियों के बारे में इंगित करने को कहा है।
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मुख्य बिंदु
* जिन्हें मौलिक अधिकार और मूलभूत कर्तव्य में अंतर नहीं पता वे नेता भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं
* सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से हाईकोर्ट के फैसले में कहां और क्या विसंगतिया है उसे इंगित करने का निर्देश दिया है
उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब राम मंदिर का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले साल होली तक राम मंदिर बनने का पूरा रास्ता क्लियर हो जाएगा। उपाध्याय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया है कि इस मामले की सुनवाई बिल्कुल टाइटल सूट के तहत होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुछ नेता अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं, लेकिन हमें उनके बयानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। क्योंकि उन्हें मौलिक अधिकार और मूलभूत कर्तव्यों के बीच फर्क नहीं पता है, वे राष्ट्रीय गीत और राष्ट्र गान में अंतर नहीं जानते लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने से बाज नहीं आएंगे।
URL: Ayodhya verdict: SC refuses to revisit 1994 judgement case will not be referred to larger bench
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