मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने लोकतंत्र में फिर भरोसा दिखाते हुए बम्पर मतदान किया है। बुधवार शाम तक मध्यप्रदेश में लगभग 74.61 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। औसत से अधिक मतदान के तुरंत बाद भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी जीत के दांवे ठोंक दिए हैं। इस बार प्रदेश के मतदाताओं ने अपना पिछला कीर्तिमान ध्वस्त कर दिया है। ऐसा मतदान केवल दो ही परिस्थितियों में किया जाता है। जब जनता सरकार से नाराज़ हो या जनता अपनी सरकार को ‘खतरे’ में देख रही हो।
‘इंडिया स्पीक्स डेली’ ने मतदान के तुरंत बाद मतदाताओं, विशेषज्ञों और नेताओं से बात करने के बाद ये निष्कर्ष निकाला है कि मध्यप्रदेश में दोनों पार्टियों के बीच कड़ा संघर्ष हुआ है। इस ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ मुकाबले में भाजपा के पुनः सरकार बनाने की संभावनाएं तगड़ी दिखाई दे रही है। मध्य प्रदेश में 1,094 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 2,899 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 2,644 पुरुष, 250 महिलाएं और पांच ट्रांसजेंडर शामिल हैं। मध्य प्रदेश में 65,367 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जिसमें से 17,000 मतदान केंद्र संवेदनशील घोषित किए गए थे।
बुधवार की सुबह सात बजे से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लम्बी कतारों ने अहसास दिला दिया था कि मध्यप्रदेश में जमकर वोट पड़ने जा रहे हैं। सुबह धीमी गति से शुरू हुआ मतदान जब शाम को 74 प्रतिशत तक जा पहुंचा तो कांग्रेस ने दावा कर दिया कि जनता ने सरकार के विरुद्ध वोट किया है। भाजपा प्रदेश में अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई दे रही है। हालांकि शाम होते-होते ‘200 पार’ के नारे विलुप्त हो गए। भाजपा अब 130+ के प्रति आश्वस्त है। एक बात गौर करने लायक है कि कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ में जबर्दस्त संघर्ष किया है। मालवा-निमाड़ मध्यप्रदेश में सत्ता की कुंजी माने जाते हैं। यहाँ का वोट स्विंग सरकार बदलने के लिए पर्याप्त होता है।
लगातार तीन चुनावों से यहां बढ़त बनाकर भाजपा सरकार बनाती आ रही है। 2013 में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से भाजपा को 56 और कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं और अन्य के खाते में एक सीट गई थी। मालवा-निमाड़ इलाके में भारी मतदान हुआ है। इसके अलावा बालाघाट, छिंदवाड़ा, शाजापुर, बड़वानी, राजगढ़ सहित कुछ जिलों में 75 प्रतिशत से भी ज्यादा मतदान हुआ है। इन्दौर में 65 प्रतिशत मतदान हुआ। यहाँ भाजपा और कांग्रेस में कड़ा संघर्ष देखने को मिला है।
राजनीतिक विशषज्ञों का मानना है कि मध्यप्रदेश में मुकाबला बराबरी का है। कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही है लेकिन भाजपा का समर्पित वोटर घर से बाहर निकला है। मतदाताओं से चर्चा करने के बाद ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने कई निष्क्रिय विधायकों को दोबारा टिकट देकर गलती की है। इसका नतीजा प्रदेश की कई महत्वपूर्ण सीटों पर देखने को मिल सकता है। हालांकि अधिकांश मतदाता भाजपा में भरोसा जताते नजर आए। निश्चित ही चुनाव में ‘मोदी फेक्टर’ हावी रहा है। प्रचार के अंतिम दौर में प्रादेशिक मुद्दों का स्थान राष्ट्रीय मुद्दों ने ले लिया। इसका फायदा भाजपा को मिला है। मतदान से ठीक पूर्व राहुल गाँधी का ‘गोत्र प्रकरण’ और कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू की ‘राफेल टिप्पणी’ ने भाजपा को लाभ ही पहुँचाया है।
वरिष्ठ पत्रकारों का अनुमान है कि इस बार प्रदेश में भाजपा को भारी नुकसान होने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिरोठिया के मुताबिक भाजपा के दो तिहाई उम्मीदवार चुनाव हारने जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक बाजार की मंदी के चलते भाजपा को खामियाजा उठाना पड़ेगा। मंदसौर के गोलीकाण्ड को भी विशेषज्ञ चुनावी फेक्टर मान रहे हैं। हालांकि भाजपा इससे इंकार करते हुए जीत के प्रति आश्वस्त है। भाजपा का कहना है कि मतदान में जागरूकता अभियान के कारण मतदान बढ़ा है। भाजपा मान रही है कि उनकी सरकार बनने जा रही है।
वोटिंग के तुरंत बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचना भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा काम है। फिर भी ये कहा जा सकता है कि भाजपा प्रदेश में वापसी करने जा रही है। कुछ भाजपा विधायकों का निकम्मापन ‘मोदी फेक्टर’ ने छुपा लिया है। ये कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि शिवराज सिंह चौहान की अच्छी छवि, मोदी फेक्टर, प्रदेश में किये गए विकास के कार्य, बिजली-पानी की सुविधा भाजपा के लिए फायदेमंद रहेंगे लेकिन सवर्ण समाज का आक्रोश इस चुनाव में अवश्य दिखाई पड़ेगा।
भाजपा का अनुमान 130 +
कांग्रेस का अनुमान 150 +
इंडिया स्पीक्स डेली का अनुमान
भाजपा 125 +
कांग्रेस 90+
अन्य 15
ख़ास बातें
-पिछली बार 72.13 प्रतिशत हुआ था मतदान।
-100 से ज्यादा केंद्रों से शिकायत प्राप्त हुई।
-प्रदेश में कहीं भी बूथ केप्चरिंग नहीं हुई।
-हर जिले से एवीएम खराब होने की शिकायत मिली।
-प्रदेश में कहीं नहीं होगा रिपोल।
-ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा प्रदेश में परिवर्तन की आंधी चल रही है।
-883 बैलट यूनिट और 881 कंट्रोल यूनिटों को बदला गया।
-230 सीटों पर हुआ मतदान।
-कुछ जिलों में 75 से 80 प्रतिशत के बीच वोट डाले गए
-कांग्रेस ने फिर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किये।
-इंदौर, गुना और धार जिले में तीन मतदान कर्मचारियों की मृत्यु हृदयाघात और अन्य बीमारियों से हुई।
URL: About 74.61 percent voting was registered in Madhya Pradesh
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