बहुत दिन नहीं बीते शारदा चिट फंड घोटाला मामले में ममता बनर्जी के खिलाफ विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने खुब क्रांतिकारी भाषण दिया था। गरीब और मजबूरों की मेहनत की कमाई डकार जाने के अपराधियों के सिर पर ममता के हाथ होने की बात कहकर राहुल ने आम बंगालियों को न्याय दिलाने की बात की थी। उसी बंगाल में सीबीआई शारदा चिटफंड घोटाले मामले में कोलकाता के कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई गिरफ्तार न कर ले इसलिए ममता बनर्जी अनशन पर है। ममता शारदा चिट फंड में लूटे पीटे बंगालियों के बदले मामले की जांच में बाधक रहने के आरोपी अधिकारी को बचाने की आड़ में संविधान को खतरे में बताने का नाटक करते हुए अशन पर चली गई।
MamtaVsCBI ममता बनर्जी के ‘राजदार’ पर एक साथ चला सुप्रीम कोर्ट और गृहमंत्रालय का हथौड़ा!
तब जब उनकी पुलिस ने जांच करने आई सीबीआई अधिकारियों को गिरफ्तार कर खुद असंवैधानिक काम करने का इतिहास रचा। कांग्रेस पार्टी के मुखिया उसी शारदा घोटाले में अरोपियों को बचाने वाली मुख्यमंत्री के साथ कंधे मिलाने लगे। जिसके खिलाफ कभी जोरदार आवाज बुलंद किया था। बंगाल कांग्रेस अपने आलाकमान के इस रवैये से हैरान होकर ममता बनर्जी की गिरफ्तारी की मांग कर दी। तो सवाल लाजमी था कि आखिर राहुल किस दवाब में यकायक शारदा चिटफंड के शातिरों को बचाने वाली ममता के साथ खड़े हो गए।
देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि राज्य पुलिस ने अपराधिक मामले की जांच करने आई सीबीआई की टीम को ही गिरफ्तार कर लिया। कुछ घंटों बाद गिरफ्तार सीबीआई अधिकारियों को तो छोड़ दिया गया। लेकिन ममता का अनशन जारी है । राहुल गांधी ने ममता के साथ खड़े होने का एलान कर संदेश दिया कि मोदी सरकार द्वारा सीबीआई के दुरुपयोग के मामले में वे ममता के साथ हैं ।लेकिन राहुल के इस स्टैंड के खिलाफ बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधि रंजन ने ममता बनर्जी की गिरफ्तारी और राज्यपाल शासन की मांग कर दी।
कोलकाता में अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्षरत कांग्रेस के जमीनी नेताओं की दलील को नजरअंदाज कर राहुल गांधी बंगाल में बिहार और उत्तर प्रदेश की तरह ही ममता की बी टीम बनने को मजबूर क्यों है? सीबीआई ममता जंग में राजनीति फायदा सिर्फ ममता को मिल रहा है, यह जानते हुए राहुल कांग्रेस के लिए बंगाल में आत्मघाती फैसला क्यों ले रहे है?
राहुल के ट्वीट के अलावा दिल्ली में कांग्रेस ने बंगाल के इतने गर्म मुद्दे पर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कि कोई बयान नहीं जारी किया लेकिन बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष का स्टैंड दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं के दिमाग में भी गूंजता रहा उनका मानना है यदि कांग्रेस आलाकमान बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष के स्टैंड को स्वीकार नहीं करेगा तो भविष्य में कांग्रेस की दुर्गति बंगाल में भी तय है। कांग्रेसी नेताओं का मानना है ममता बनर्जी बंगाल में जो कुछ भी कर रही है सिर्फ अपने वोट बैंक को मजबूत करने और अपनी जमीनी आधार को तंदुरुस्त करने के लिए कर रही है।
कांग्रेस उनके साथ खड़ी होकर सिर्फ ममता को मजबूत कर सकती है। अपनी जमीन तो कमजोर ही करेगी। कांग्रेस को लगता है कि भले ही बंगाल में उसकी जमीन कमजोर हो जाए लेकिन वजूद बचना जरूरी है। कल को यदि प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार कर लिया उम्मीद की जा सकती है कि ममता समेत अपोजिशन उनके साथ खड़ी होगी। आज ममता के साथ कांग्रेस खड़ी नहीं होती है तो जमानत पर चल रहे रॉबर्ट वाड्रा, सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जब गिरफ्तारी की तलवार लटकेगी तो उन्हें बचाने कोई नहीं आएगा। यही डर हाईकमान से लेकर कांग्रेस के आला अधिकारियों को सता रहा है।
इसीलिए यह जानते हुए भी कि ममता के साथ खड़े होने से बंगाल में उसकी दुर्गति तय है। राहुल बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष की दलील को खारिज करते हुए यह कह रहे हैं कि वो ममता बनर्जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। जो डर राहुल गांधी को सता रहा है वहीं अखिलेश यादव को भी है। वही डर तेजस्वी यादव को है । इसीलिए ममता के खिलाफ डर की अगवाई राहुल गांधी कर रहे हैं और पीछे अखिलेश और तेजस्वी हल्ला बोल रहे हैं।
यह यह जानते हुए भी शारदा चिटफंड घोटाले मामले की जांच सीबीआई कर रही है और सीबीआई जो कुछ भी कर रही है वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कर रही है,यह जानते हुए कि कोलकाता के कमिश्नर के खिलाफ चार बार वारंट जारी हो चुका था। उनकी पूछताछ जरूरी थी, क्योंकि वह सीबीआई से पूछताछ में मदद नहीं कर रहे थे। इस लिहाज से सीबीआई यकायक उनके घर पहुंची थी। मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रही है। इन तमाम चीजें चीजों को समझते हुए राजनीतिक दलों ने एक माहौल बनाने की कोशिश की। सीबीआई की खौफ को दिखाने की कोशिश की। यह दिखाने की कोशिश की सीबीआई केंद्र सरकार के इशारे पर काम करती है।
ठीक इसी तरह से 22 साल पहले सीबीआई पटना में लालू यादव पर कार्रवाई करना चाहती थी, तो लालू यादव ने बिहार पुलिस का इस्तेमाल करने की तैयारी की थी इससे पहले ही केंद्र सरकार ने वहां सीआरपीएफ जमा कर दिए तो डर के मारे पत्नी को बिहार का मुखिया बना कर सीबीआई के सामने समर्पण कर दिया। तब केंद्र में उन्हीं लोगों की सरकार थी जो आज ममता बनर्जी के साथ खड़े होकर सीबीआई पर हल्ला बोल रहे हैं।