संदीप देव। चुनाव के दो चरण के बाद चुनाव आयोग द्वारा लगातार कई दिनों तक वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों में बदलाव और पहले चरण का डाटा अपने एप से गायब करने का मुद्दा मैंने 28 अप्रैल को उठाया था, अब कुछ अखबार भी उठा रहे हैं।
चुनाव आयोग ने पहले चरण के 11 दिन और दूसरे चरण के 5 दिन बाद भी अभी तक फाइनल डाटा अपलोड नहीं किया है। एक प्रेस रिलीज के जरिए औसत डाटा कल जारी कर दिया है, जो दिखा रहा है कि चुनाव आयोग आंकड़ों से बाजीगरी करने का प्रयास कर रहा है। यही नहीं चुनाव संबंधित बहुत सारा डाटा चुनाव आयोग ने अपने एप और वेबसाइट से गायब कर दिया है! जैसे एक क्षेत्र में कितने वोटर रजिस्टर्ड हैं, यह डाटा तक गायब है! क्या इसलिए कि बाद में इसे अपने हिसाब से दर्शा सके? आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ, जैसा इस बार डाटा छिपाने का खेल हो रहा है! आश्चर्य है!
EVM आने के बाद इतिहास में इतने लंबे समय तक डाटा को छिपाए रखने और अपनी सुविधानुसार कई- कई दिनों तक डाटा जारी न करने का मामला कभी सामने नहीं आया था! एक-एक प्रदेश और बूथ में पांच-पांच दिन डाटा अपडेट के नाम पर 5 से 7 प्रतिशत तक मत % चुनाव आयोग ने बढ़ा दिए हैं। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में चुनाव आयोग द्वारा जारी पहले आंकड़े और फिर पांच दिन बाद जारी आंकड़े में करीब 10% का अंतर है?
नियमानुसार चुनाव आयोग को चुनाव वाली रात या अगले दिन सुबह तक आखिरी डाटा जारी कर देना चाहिए, लेकिन यहां तो 11 दिन बाद भी फाइनल डाटा आयोग की साइट पर अपलोड नहीं हुआ है? तकनीक के इस दौर में बैलेट बाक्स से भी डिले चल रहे चुनावी आंकड़े अब संदेह पैदा कर रहे हैं!
मैंने जो आशंका जाहिर की थी, अब एक-दो अखबार लिखने लगे हैं, लेकिन अधिकांश अभी भी चुप हैं! कौन जीत रहा है या कौन हार रहा है, इसको छोड़कर कम से कम पत्रकारिता तो करिए, लेकिन लगता है जानबूझकर अधिकांश मीडिया इस पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि चल रहे चुनाव के बीच यह सबसे बड़ा मुद्दा होना चाहिए!
जनता लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कड़कड़ाती धूप में खड़ी होकर मतदान कर रही है और चुनाव आयोग आंकड़ों के साथ खेल करने में जुटा हुआ है। यदि खुद ही सब करना है तो इतना नाटक, इतना खर्च क्यों? चुनाव आयोग चुनाव की नौटंकी बंद कर घोषित कर दे किसी पार्टी को विजेता! बात खत्म!
अभी आए लोकनीति के एक सर्वे में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता सबसे निचले पायदान (केवल 28%) पर पहुंच चुकी है। इससे पहले की लोगों का पूरा भरोसा चुनाव आयोग से उठे वह आंकड़ों की बाजीगरी बंद कर हर चरण के दूसरे दिन फाइनल आंकड़ा जारी करे, अन्यथा यही माना जाएगा कि चुनाव आयोग कंप्रोमाइज है और लोकतंत्र की हत्या करने में जुटा हुआ है! #SandeepDeo
28 अप्रैल का इस पर मेरा ट्वीट: