कितनी अजीब बात है कि देश की राजधानी दिल्ली में देश का बहुसंख्यक समुदाय हिंदू डरा हुआ है। यह डर तब है जब देश में हिंदूवादी नेता नरेंद्र मोदी की सरकार है। हम उस दंगा प्रभावित इलाके में रहने वाले हिंदुओं की बात कर रहे हैं ,जहां इसी साल फरवरी माह में हिंदू -मुस्लिम दंगे हुए हुए थे।
उत्तर पूर्वी दिल्ली के सघन मुस्लिम आबादी के बीच तीन मोहल्लों में थोड़े से हिंदू परिवार रहते हैं। ये लोग स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रताड़ित हैं। लिहाजा वह किसी तरह अपना घर बेचकर कहीं और सुरक्षित स्थल पर जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
पिछले दिनों जब यहां के सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज तिवारी को इस बारे में पता चला तो वह मौके पर भी आए और हिंदू परिवारों को भरोसा दिलाया कि उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है और ना ही उन्हें घर छोड़कर या बेचकर जाने की जरूरत है। लेकिन इसके बावजूद यहां रहने वाले लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर करते हुए यहां से पलायन करने को विवश हैं। यही वजह है कि उन लोगों ने अपने घर के बाहर “यह मकान बिकाऊ है” का बोर्ड लगा रखा है ।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम बहुल उत्तरी घोंडा का सुभाष मोहल्ला, मधुबन मोहल्ला और मौजपुर के मोहनपुरी ऐसे मोहल्ले हैं, जहां हिंदू परिवार भय के साए में जी रहे हैं। यहां हिन्दुओं के घरों के बाहर एक लाइन से ऐसे पोस्टर देखने को मिलेंगे, जिसमें मकान बेचने के बोर्ड लगे हुए हैं। तीनों मोहल्लों में थोड़े से हिंदू परिवार रहते हैं। इसके आसपास के इलाकों में मुस्लिमों की सघन बस्ती है।
आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के लोग यहां हिंदुओं को चैन से रहने नहीं देते हैं। आए दिन हिंदुओं के साथ मारपीट की घटनाएं होती रहती है। मुस्लिम समुदाय के बदमाश हिंदुओं की बहू बेटियों को छेड़ने से बाज नहीं आते।
दिल्ली दंगे में भी इन मोहल्लों में जमकर आगजनी तथा लूटपाट की गई थी। यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि मुस्लिम समाज के लोग अक्सर उन लोगों के साथ बुरे बर्ताव करता है और विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की जाती है। उन लोगों को मुस्लिम समाज के लोग अक्सर यह धमकी देते हैं कि उन्हें किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा जबकि दंगे के समय भी चुन-चुन कर कई हिन्दुओं की दुकानें, मकान और गाड़ियाँ जला दी गई थीं।
मुस्लिमों के द्वारा यह भी कहा जाता है कि तुम लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाकर यहां से घर बेच कर भागने पर मजबूर कर देंगे। यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि कई लोगों को मुस्लिमों ने झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भी भिजवा दिया है और इस काम में दिल्ली पुलिस भी मुस्लिमों की मदद कर रही है।
इन मोहल्लों में डर का आलम यह है कि मंदिर तो है लेकिन उसमें साउंड बॉक्स और लाउडस्पीकर पर भजन नहीं बजा सकते। पूजा के समय हिंदुओं द्वारा गाए जाने वाले आरती के स्वर भी मंदिर की चहारदीवारी में रह जाती है। अगर आवाज तेज हुई और पड़ोस के गलियों तक पहुँच गई तो दर्जनों की तादाद में मुस्लिम आकर धमकी दे जाते हैं कि बंद कर लो, यहाँ यह सब नहीं चलेगा। पूजा और भजन की आवाज हमारी कानों तक नहीं आने चाहिए। हिंदुओं को यहां अपने धार्मिक क्रियाकलापों और पूजा- उत्सवों से भी वंचित करने की कोशिश हो रही है।
दंगों के बाद से यह दबाव और बढ़ा है। जो हिंदू पूजा पाठ करना चाहते हैं उन्हें देख लेने की धमकी दी जाती है। इन मोहल्लों से कोई भी मुस्लिम गुजरते हुए तंज कसता हुआ निकल जाता है कि बना लो मकान, रहना तो उन्हें ही है। छोड़ के जाना होगा। तो कोई घर के बाहर पोस्टर देखकर यही पूछता हुआ निकल जाता है कि यह मकान तो वही ख़रीदेंगे।
मुस्लिमों के डर से पलायन करते हिन्दू परिवारों से हाल ही में सांसद मनोज तिवारी मिलने गए थे। इलाके में पहुँचकर उन्होंने खुद पीड़ितों का दर्द जाना और मौजूदा हालात का मुआयना कर इलाके के सभी हिन्दू परिवारों को सुरक्षा का आश्वासन देते हुए गली के बाहर एक पिकेट लगाने की बात कही। लेकिन उनकी पहल पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। हिंदू परिवार अभी भी खौफ के साए में जीने को मजबूर है।