वृद्ध हो चुके जितने हिंदू ! भीष्म-पितामह बनना है ;
होने वाला है युद्ध भयंकर , लड़कर विजयी होना है ।
अब्बासी – हिंदू की गंदी करनी , उसे भोगना ही होगा ;
विष्णु – कृपा से भक्त बचेगा , धर्म के दुश्मन मिटना होगा ।
वृद्ध व्यक्ति पहले तो जवां था , अब जवान का बाप है ;
तेरा काटा पानी न मांगे , अपना जवाब तू आप है ।
अनुभव की ताकत बहुत बड़ी है , उसका इस्तेमाल करो ;
गलत राह जा रहे हैं बच्चे , उनका परिष्कार करो ।
अब्बासी-हिंदू हिंदू-बच्चों को , सदा-सदा भटकाता आया ;
झूठे-इतिहास की गंदी-शिक्षा , धार्मिक-शिक्षा हटवाता आया ।
सबसे बड़ा हिंदू का दुश्मन , अब्बासी – हिंदू जो नेता ;
हिंदू ! अब तो इसको समझो , सदा-सदा से धोखा देता ।
सदियों से धोखा खाते आये , लाखों-करोड़ों शीश कटाये ;
यदि अब भी अक्ल नहीं आयी तो,फिर तो तुमको राम बचाये।
धर्म – सनातन सर्वश्रेष्ठ है , हिंदू ! वापस आ जाओ ;
आप बचो – परिवार बचाओ , अपना भारतवर्ष बचाओ ।
धीरे – धीरे नष्ट कर रहा , अब्बासी – हिंदू भारत को ;
मंदिर तोड़े तीर्थ मिटाये , ये कटवाता भारत को ।
कई हजारों एकड़ भूमि , बांग्लादेश को डर कर दी ;
चीन से डरकर थर-थर कांपे , लाखों-एकड़ उसको दी ।
इतनी सारी कमजोर नसें हैं , भेदों के खुलने से डरता है ;
जीवन भर ही पाप किये हैं , परिणामों से डरता है ।
सिद्धांत कर्म का सदा अटल है, परिणामों से बच न सकेगा ;
एक-एक पापों का फल , इसको अभी भोगना होगा ।
भोग काल आ चुका है इसका , हिंदू ! सोते से जाग गया है ;
चौकीदार को चोरी करते , रंगे-हाथ ही पकड़ लिया है ।
अब तो ये अब्बासी-हिंदू , हारी हुयी लड़ाई लड़ता ;
सारे कस-बल निकल चुके हैं,पर मरता मानव क्या न करता ?
इसका दिया है बुझने वाला , अंतिम बार भभकता है ;
सारे हिंदू ! धर्म में आओ , धर्म-विरोधी तो मरता है ।
स्वर्णिम-अवसर ये चुनाव है , हिंदू ! इसको नहीं चूकना ;
शत-प्रतिशत मतदान को करके , हिंदू-वादी सरकार बनाना ।
एकमात्र हिंदूवादी दल , जो भारतवर्ष बचा सकता है ;
“एकम् सनातन भारत” दल ही , “राम-राज्य” ला सकता है ।