प्रेम दिवस के अवसर पर प्रभास की आगामी फिल्म ‘राधे-श्याम’ का नया प्रोमो रिलीज किया गया। रिलीज होने के कुछ घंटों के भीतर ही इसे चार लाख से अधिक लोगों ने देख लिया था। प्रभास आज की तारीख में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले अभिनेता बन चुके हैं। दक्षिण के साथ देश की हिन्दी बेल्ट में भी उनके लाखों प्रशंसक हैं। राधे-श्यामअब तक चले आ रहे एक्शन फिल्मों के ट्रेंड को बदलकर रख देने वाली है।
राधे श्याम के पहले प्रोमो से स्पष्ट हो गया था कि दीपिका पादुकोण अब इस फिल्म का हिस्सा नहीं होंगी। एक वर्ष पूर्व प्रभास के साथ मुख्य कलाकारों में दीपिका का नाम था लेकिन अब उनकी जगह पूजा हेगड़े ने ले ली है। अनुमान है कि दीपिका पादुकोण के जेएनयू स्टैंड के बाद इस फिल्म से उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
वेलेंटाइन दिवस के दिन प्रदर्शित इस प्रोमो ने बताया कि प्रभास की ये फिल्म युवा दर्शक को खींचने की पूरी क्षमता रखती है। पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि फिल्मों में एक ट्रेंड सेट हो जाता है तो वह कई वर्षों तक चलता रहता है। ये ट्रेंड सेटिंग बॉलीवुड में अधिक होती है। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और बंगाली सिनेमा की तरह बॉलीवुड न विविधतापूर्ण है, न प्रयोग करने में विश्वास रखता है।
सन 2009 में सलमान ख़ान की ‘वांटेड’ की अभूतपूर्व सफलता ने बॉलीवुड में एक्शन-थ्रिलर का ट्रेंड सेट कर दिया। इसके बाद के वर्षों में बॉलीवुड ने दक्षिण भारतीय फिल्मों का संपूर्ण दोहन किया। हर चौथी फिल्म दक्षिण की कॉपी होती है और उसे सलमान, अक्षय या आमिर को लाकर भव्यता के साथ प्रस्तुत किया जाता है। राधे-श्याम के अद्भुत प्रोमो देखकर बॉलीवुड के अघोषित मालिक करण जौहर के होश उड़ गए होंगे।
बॉलीवुड को ये मालूम होना चाहिए कि राधे-श्याम की सफलता के साथ ही एक्शन फिल्मों का रुझान कुछ समय के लिए कमज़ोर पड़ जाएगा। वैसे भी लार्जर देन लाइफ फ़िल्में देख-देखकर दर्शक अब ऊब चुका है। वह हीरो को पच्चीस लोगों को पीटते देख बोर हो चुका है। दक्षिण भारत का फिल्म उद्योग ट्रेंड सेट करने में हमेशा से सफल रहा है।
अब ज़रा बॉलीवुड की आगामी फ़िल्में देखे तो समझ में आता है कि वे कोई नया प्रयोग करना ही नहीं चाहते। इस वर्ष प्रदर्शित होने वाली अधिकांश बड़ी फ़िल्में अक्षय कुमार के नाम है। भगवान ही जानता है इन फिल्मों का क्या होने जा रहा है। बॉलीवुड अब तक ऑटोबायोग्राफी से ही बाहर नहीं निकल सका है। आत्मकथाओं को बाजार बनाने का परिणाम ये हुआ कि अधिकांश आत्मकथाएं पिट गई।
ये आत्मकथाएं ‘एम एस धोनी’ की प्रचंड सफलता से प्रेरित होकर बनाई गई थी। स्पष्ट है कि बॉलीवुड विविध फ़िल्में बनाने की अपेक्षा भेड़चाल चलता है। राधे-श्याम से बॉलीवुड को भयभीत होना चाहिए। इस फिल्म के प्रोमो में जो ताज़गी दिखाई दे रही है, वह दिखा रही है कि फिल्म निर्माण की विधा में दक्षिण नित नए प्रतिमान स्थापित करता जा रहा है।
नए प्रोमो को देखने पर आप पाएंगे कि ये एक पीरियड प्रेम कथा है, जो इटली की सुंदर पृष्ठभूमि में रची गई है। प्रोमो के एक दृश्य में प्रभास एक रेलवे स्टेशन पर दिखाई देते हैं। ये दृश्य मुझे अतीत में ले गया। स्टेशन पर खड़ा भाप का इंजन, चालीस के दशक की वेशभूषा में विचरते लोग और प्लेटफॉर्म पर प्रकट हुई सुंदर नायिका।
एक दृश्य में प्रभास कह रहे हैं ‘रोमियो ने प्यार में अपनी जान दे दी थी लेकिन मैं उस टाइप का नहीं हूँ।’ प्रभास की अपार लोकप्रियता देखिये, उस एक दृश्य को बार-बार देखा जा रहा है। क्या ऐसी दिलचस्पी बॉलीवुड का कोई प्रोमो जगा पा रहा है? जवाब आप भी जानते हैं।
नए साल में बॉलीवुड के सामने कड़ी चुनौतियाँ हैं। एक तो बहिष्कार कर रहे लोगों को मनाना उनके लिए बड़ी चुनौती है तो दूसरी ओर दक्षिण भारतीय सिनेमा प्रेम कहानियों का ट्रेंड सेट करने जा रहा है और बदकिस्मती से नए साल में बॉलीवुड के पास प्रेम कहानियां बहुत कम हैं।