अर्चना कुमारी। उत्तर पूर्व में हुए दंगे की सुनवाई कर रहे कड़कड़डुमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि बहुत सारे मामलों में जांच का मापदंड ‘बहुत घटिया’ है और ऐसे में दिल्ली पुलिस आयुक्त के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े अधिकतर मामलों में पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है और एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को मामले में हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया है।
संबंधित कोर्ट ने अशरफ अली नामक एक व्यक्ति पर 25 फरवरी, 2020 को सांप्रदायिक दंगे के दौरान पुलिस अधिकारियों पर कथित रूप से तेजाब, कांच की बोतलें और ईंटे फेंकने को लेकर आरोप तय करते हुए यह टिप्पणी की गई है। कोर्ट ने कहा कि यह कहते हुए पीड़ा होती है कि दंगे के बहुत सारे मामलों में जांच का मापदंड बहुत घटिया है ।
अदालत का कहना है ज्यादातर मामलों में जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं। जज ने कहा कि पुलिस आधे-अधूरे आरोपपत्र दायर करने के बाद जांच को तार्किक परिणति तक ले जाने की बमुश्किल ही परवाह करती है ,जिस कारण कई आरोपों में नामजद आरोपी सलाखों के पीछे बने हुए हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी और 24-25 फरवरी 2020 में भड़की हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जबकि करीब 700 लोग घायल हो गए थे। अदालत इस टिप्पणी पर पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस की इस लापरवाही का फायदा अपराधियों को मिलेगा जबकि अदालत ने जिस तरीके से दिल्ली दंगों को लेकर उनकी जांच पर टिप्पणी की है, वह बेहद गंभीर है और दिल्ली पुलिस को इस पर विचार करना चाहिए