विपुल रेगे। पाकिस्तान के पेशावर में हिन्दी सिनेमा के भीष्म पितामह पृथ्वीराज कपूर की चार मंज़िला हवेली हुआ करती थी। सन 2020 में ये विरासत ढहा दी गई। पेशावर की उस हवेली की मानिंद कपूर ख़ानदान की सांस्कृतिक विरासत भी ढह गई है। दिवंगत ऋषि कपूर के पुत्र रणबीर और महेश भट्ट की पुत्री आलिया भट्ट के विवाह को देखकर तो यही नज़र आया कि रणबीर और आलिया ने मिलकर पृथ्वीराज की सौ वर्ष पुरानी सांस्कृतिक परंपरा को गर्त में पहुंचा दिया है।
पृथ्वीराज कपूर ने पाकिस्तान के लाहौर में अपनी शिक्षा पूर्ण की थी। उनके पिता बशेस्वरनाथ कपूर पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत थे। ये पंजाबी हिन्दू परिवार धर्म और संस्कृति के मूल्यों को मानने वाला परिवार था। पृथ्वीराज की पत्नी राम सरनी एक धर्म परायण महिला थी। कपूर खानदान की तीसरी पीढ़ी तक धर्म और संस्कृति का पालन होता रहा।
ऋषि के पिता राज कपूर का विवाह रीवा के एक पुलिस अधिकारी करतार नाथ मल्होत्रा की बेटी कृष्णा से किया गया था। पूरे रीति-रिवाज के साथ ये विवाह एक सरकारी बंगले में हुआ था। ऋषि की पत्नी नीतू ने भी अपने विवाह पर पारंपरिक जोड़ा पहना था। कपूर खानदान की चौथी पीढ़ी में रणबीर की बहन रिद्धिमा के विवाह की तस्वीरें देखिये, तो मन प्रसन्न हो जाएगा।
लाल जोड़े में सजी-धजी रिद्धिमा इस विवाह में संपूर्ण भारतीय नारी दिखाई दे रही थी। हालाँकि कपूर्स की चौथी पीढ़ी के चश्मों चिराग़ रणबीर के विवाह में भारतीयता नदारद थी। रणबीर और आलिया को देखकर लगा ही नहीं कि हम एक पंजाबी हिन्दू परिवार का विवाह देख रहे हैं। जैसे ही इस विवाह के फोटो मीडिया में आना शुरु हुए, आलोचनाओं का दौर शुरु हो गया।
आलिया के जोड़े का फीका रंग देख लोगों ने ट्रोलिंग शुरु कर दी। विवाह पर शैम्पेन के जाम टकराने वाला फोटो आलिया और रणबीर के प्रशंसकों को नागवार गुज़रा। सोशल मीडिया पर इस विवाह को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आने लगी। बात सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित नहीं रह गई। पंजाबी हिन्दू परिवार के इस विवाह पर महेश भट्ट इफेक्ट साफ़ दिखाई दिया है।
देश के बड़े अख़बार के अनुसार महेश भट्ट ने अपना चिर-परिचित सेकुलरिज्म अपनी बेटी के विवाह पर भी दिखाया है। जब विवाह की रस्मे चल रही थी तो महेश भट्ट ने विवाहित जोड़े को सातवां वचन लेने से रोक दिया। उल्लेखनीय है कि सातवें वचन लेने का अर्थ है कि पत्नी सारे कार्य पति से पूछकर ही कर सकती है। भट्ट ने तर्क दिया कि उन्होंने भी अपनी पत्नी से ऐसा कोई वचन नहीं लिया था।
आलिया के भाई राहुल भट्ट ने विवाह के बाद इंटरव्यू देकर इस बात की पुष्टि की। उन्होंने इस विवाह के बारे में नई जानकारी देते हुए बताया कि रणबीर और आलिया ने सात की जगह केवल चार फेरे ही लिए थे। उल्लेखनीय है कि मुंबई पर हुए 26/11 आतंकी हमले में राहुल भट्ट का नाम आया था। 26/11 हमले का आरोपी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली राहुल भट्ट का करीबी हुआ करता था।
देखा जाए तो ये विवाह कपूर की मर्जी से कम और भट्ट की मर्जी से अधिक किया गया है। पूरे विवाह में भट्ट की शर्तें हावी रही है। ऐसी भी खबर है कि बेटी की शादी को लेकर बड़े भट्ट ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। विवाह एक संस्कार है और कोई पिता इस संस्कार को अपनी ज़िद से पूरा न होने दे, ऐसे उदाहरण तो हिन्दी फिल्म उद्योग की शादियों में ही अधिक देखने को मिलते हैं।
देखा जाए तो कथित नारी सशक्तिकरण इस विवाह पर हावी होता दिखाई दे रहा है। महेश भट्ट द्वारा बेटी को सातवां वचन देने से रोकना तो यही दर्शा रहा है। क्या होता यदि आलिया भट्ट का विवाह किसी मुस्लिम परिवार में हुआ होता। फिर महेश भट्ट कोई रस्म रोकने का साहस दिखा सकते थे क्या ? फिर क्या वर-वधु के शैंपेंन पीते फोटो जारी किये जा सकते थे ? आलिया भट्ट और रणबीर का विवाह बता रहा है कि जो फ़िल्मी घराने धर्म और संस्कृति के निर्वाह के लिए विख्यात थे, वहीँ अब कुख्यात हो चले हैं।