अर्चना कुमारी। दिल्ली दंगा को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट ने मामले से जुड़े एक मामले में आरोपी रहे नूर मोहम्मद नूरा को सभी आरोपों से किया बरी। कोर्ट ने कहा आरोपी को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए दोषी ठहराने के लिए रिकॉर्ड पर कोई ठोस और विश्वसनीय सबूत नहीं मिला । इसके बाद उसे रिहा कर दिए जाने का आदेश दिया गया ।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने नूर मोहम्मद नूरा को इस आधार पर गिरफ्तार किया था कि वह गैरकानूनी हरकत करने वाली टीम का हिस्सा था , जिसने एक दुकान में तोड़फोड़ की, बाद में डकैती की और फिर उसे आग लगा दी। लेकिन इस मामले में आरोपी रहे नूर मोहम्मद नूरा को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए दोषी ठहराने के लिए रिकॉर्ड पर कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला ।
इसी हिंसा को लेकर आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में सवाल किया कि क्या देश के प्रधानमंत्री के लिए ‘जुमला’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करना ठीक है। इतना ही नहीं आगे कोर्ट ने कहा कि सरकार की आलोचना करते समय ‘लक्ष्मण रेखा’ का ख्याल रखना जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें कि आप कैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस पर उमर खालिद के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को अमरावती में दी गई पूरी स्पीच सुनाई जबकि इस पर कोर्ट ने कहा कि भाषण में पीएम के लिए ‘चंगा’ और ‘जुमला’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया, क्या यह उचित है?। अदालत में भाषण को आपत्तिजनक और अप्रिय बताया गया और कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए खालिद के वकील त्रिदीप पेस ने तर्क दिया कि सरकार की आलोचना करना गलत नहीं लेकिन जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए खालिद के भाषण को आपत्तिजनक और अप्रिय बताया