विपुल रेगे। राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर पर ‘पठान’ की स्क्रीनिंग के बाद कहने को कुछ नहीं रह गया है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई छोटी सी ‘अनावश्यक नसीहत’ डायनासोर का रुप धारण कर चुकी है। सिनेमा पर आम नागरिक की स्वाभाविक प्रतिक्रियाओं से उपजे एक स्वस्फूर्त आंदोलन ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ को इस डायनासोर ने खाना शुरु कर दिया है। लोकतंत्र की पक्षधर भाजपा में प्रधानमंत्री की ‘अनावश्यक नसीहत’ को एक घोषित नियम की तरह अनुसरण किया जा रहा है।
ख़ान फैक्टर पुनः वापसी कर चुका है और राष्ट्रपति भवन में ‘पठान’ की स्पेशल स्क्रीनिंग संकेत दे रही है कि 2024 के चुनावी अभियान में ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ आंदोलन पूरी तरह समाप्त हो सकता है। इस मंच से ये आशंका पहले ही व्यक्त कर दी गई थी कि प्रधानमंत्री की नसीहत आगे जाकर बड़ा रुप धारण करेगी। नसीहत के ठीक बाद भाजपा ने ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ पर अपने बढ़े हुए क़दमों को वापस ले लिया।
इस पर सबसे अधिक बोलने वाले डॉ.नरोत्तम मिश्रा के सुर बदल गए। प्रधानमंत्री की नसीहत को घोषणा में बदलने का काम देश के सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कर दिया। ठाकुर के मीडिया को दिए बयान से ऐसा लग रहा कि सरकार सोशल मीडिया पर कहने की आज़ादी पर अघोषित सेंसरशिप लागू कर देना चाहती है। अनुराग ठाकुर ने कहा ‘हमारी फ़िल्में दुनिया में नाम कमा रही हैं।
तब बॉयकॉट की बातें सामने आने से वातावरण पर प्रभाव पड़ता है।’ देश की जनता मंत्री जी से ऐसा भावभीना भाषण बॉलीवुड के लिए भी सुनना चाहती थी। ऐसा भाषण इनसे पहले के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी नहीं सुनाया था। क्या कभी देश के सूचना व प्रसारण मंत्री ने बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं को कहा कि ऐसी फ़िल्में न बनाए, जिनसे देश की संस्कृति और युवा पीढ़ी पर बुरा असर हो रहा है।
यदि मंत्री जी ऐसा कहते तो बॉलीवुड की तथाकथित ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ खतरे में पड़ सकती थी। हां, लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की परवाह मंत्री जी को नहीं है। मंत्री जी ने ये भी कहा कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन सभी पहलुओं पर नज़र रखती है। तो मंत्री जी ये भी बता दीजिये कि इस जिम्मेदार संस्था में पाकिस्तानी प्रेमी कौन है ?
यदि पाकिस्तानी प्रेमी न होता तो ‘पठान’ फिल्म में एक पाकिस्तानी एजेंट की महत्वपूर्ण भूमिका पर आपत्ति पहले ही ले ली जाती। मंत्री जी उस रिपोर्ट को याद कीजिये, जिसमे कहा गया था कि हमारे पड़ोसी देश चीन ने सेंसर बोर्ड में घुसपैठ कर ली है। ये समाचार पब्लिक डोमेन में है। मंत्री जी चाहे तो खोजकर पढ़ सकते हैं। मंत्री जी ने देश के लोगों को जो नसीहत दी है, क्या वह बाहर की दुनिया नहीं देखेगी ?
क्या तब भारत के कानून-व्यवस्था मानने वाले नागरिकों की छवि मंत्री जी के बयान से खराब नहीं होगी ? शाहरुख़ खान की ‘पठान’ राष्ट्रपति भवन में दिखाने की योजना को गहरे में देखने की आवश्यकता है। 2024 के चुनावी अभियान में संभवतः सत्तारुढ़ दल भाजपा अपने माथे से ‘मुस्लिम विरोधी’ की छवि मिटा देना चाहता है।
प्रधानमंत्री की नसीहत, उसके बाद मंत्री जी की अनावश्यक नसीहत, इसके बाद राष्ट्रपति भवन में ‘पठान’ की स्पेशल स्क्रीनिंग से समझ आ रहा है कि भाजपा के चुनावी अभियान में बॉलीवुड को दुलारा जाने वाला है। सत्ता अगले चुनाव से पहले बॉलीवुड को लेकर सारे विरोध समाप्त करने की इच्छुक दिखती है।
एक दल की दीवानगी में अपने मित्रों और परिवार से लड़ लेने वाले भटक चुके लोग शांति से मनन करें कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के नाम पर वोट बटोरने वाली पार्टी अब उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ताला लगाना क्यों चाहती है। यदि ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ समाप्त होता है तो मानकर चलिए कि भारतीय फिल्म उद्योग से नागरिकों द्वारा लगभग उखाड़ी जा चुकी दाऊद इब्राहिम की सत्ता पुनः मजबूत होगी।