अर्चना कुमारी। गोरखपुर के निजी इशू अस्पताल में मुर्दे का इलाज किया जा रहा था। क्योंकि मरीज के परिजनों से ज्यादा से ज्यादा पैसा ऐंठे जा सके। सूत्रो ने दावा किया वेंटिलेटर पर लिटाकर मृत मरीज का इलाज किए जाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित परिवार को लंबा-चौड़ा बिल थमा दिया लेकिन इसकी शिकायत प्रशासन से की गई। जिसके बाद अस्पताल की इस धांधली पर जिला प्रशासन ने कारवाई करते हुए आठ लोगो को पकड़ा।
अब इशू अस्पताल को सील कर दिया गया है। पुलिस सूत्रो ने बताया आरोपी सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को झांसे में लेकर प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर उनसे मोटी रकम ऐंठते थे। इस अस्पताल में देर रात पड़े छापे के दौरान आईसीयू में लाश का भी इलाज किया जा रहा था। इसकी एवज में परिजनों से रुपये ऐंठे जा रहे थे। इस मामले में मृतक मरीज शिव बालक प्रसाद के बेटे ने दोषियों पर सख्त कारवाई की मांग की थी।
उसने कहा कि हमें लगा कि पिता जिंदा हैं, लेकिन डॉक्टर उनके मरने के बाद भी इलाज का ढोंग करते रहे और रकम लेते रहे। बताते है गोरखपुर के डीएम कृष्णा करुणेश, एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर और एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई की मौजूदगी में 8 आरोपियों- ईशू अस्पताल के संचालक, चिकित्सक, प्रबंधक, एंबुलेस चालक और अन्य आरोपियों को पुलिस लाइंस सभागार में पेश किया गया। इस दौरान एसएसपी ने बताया कि जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में 8 मेडिकल माफियाओं को पकड़ा है। सभी लोग बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आने वाले आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और बिहार के मरीज और तीमारदारों को चिकित्सक और मेडिकल स्टॉफ बनकर झांसे में लेते फिर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज करवाने के नाम पर पैसे ऐंठते थे।
यह अस्पताल गोरखपुर जनपद के रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र के पैडलेगंज- रुस्तमपुर रोड पर स्थित है। इसका खुलासा बुधवार को तब हुआ जब जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने ज्वाइंट आपरेशन चलाया। नर्सिंग होम में कोई भी ट्रेंड डॉक्टर नहीं मिला। डिप्लोमा डिग्री वाला स्टाफ गंभीर से गंभीर मरीजों का इलाज कर रहा था। मृत मरीज के बेटे से तो यहां के स्टाफ ने लाखों रुपए इलाज के नाम पर जमा करा लिए थे।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि अस्पताल की संचालक रेनू यादव और उसका पति नितिन यादव है। देवरिया के रहने वाले राम ईश्वर ने बताया कि उसके पिता शिव बालक प्रसाद बेहोश होकर गिर गए थे। जिससे उन्हें चोट लग गई थी। उन्हें सबसे पहले सदर अस्पताल ले गया जहां एक घंटा इलाज चल और फिर से उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया।
राम ईश्वर अपने पिता को सरकारी एंबुलेंस से पीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर गया उसका कहना एक जैसे ही उसने कॉलेज गेट के पास व्हीलचेयर से पिता को नीचे उतर वैसे ही प्राइवेट एंबुलेंस चलाने वाला एक व्यक्ति उसे मिल गया उसने पर्चा उससे मांग कर देखा और बोला कि यहां पर जगह नहीं है और यहां लाया था।
दवा और इंजेक्शन के नाम पर राम ईश्वर को 75000 का बिल थमा दिया। उसने बताया कि अपने पिता के इलाज के लिए उसने पहले ₹5000 जमा किया। फिर 20000 दिया फिर 50000 का बिल बना दिया गया जब छापा पड़ा तो उसके पिता की मौत हो चुकी थी बावजूद इसके अस्पताल का स्टाफ उसके पिता को ऑक्सीजन सपोर्ट वेंटिलेटर पर रखे हुए था। उसने कहा कि पिता के इलाज के नाम पर उससे लाखों रुपए ऐंठ लिए गए।नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन डॉ. रंजय प्रताप सिंह के नाम से है।