अर्चना कुमारी। सेकुलर देश में दारुल उलुम देवबंद ने गजवा ए हिन्द मान्यता देने वाला फतवा जारी किया। सूत्रो ने बताया दारूल उलूम देवबंद ने अपनी वेबसाईट के माध्यम से इस तरह का विवादित फतवा जारी किया है। इसमें गजवा ए हिन्द को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध करार दिया है।
कहा गया है कि गज़वा ए हिन्द में मरने वाले बलिदानी होंगे। इसमें एक किताब का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस किताब में गजवा ए हिन्द को लेकर एक अध्याय है। जिसमें बताया गया अल्लाह के मैसेंजर ने ‘भारत पर हमला’ करने का वादा किया था। अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए मैं खुद और अपनी धन सम्पदा को कुर्बान कर दूंगा। मैं सबसे महान बलिदानी बनूंगा। इस बात का भी जिक्र किया गया है कि देवबंद की मुख्तार कंपनी ने इस किताब को प्रिंट किया है।
इसको लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सहारनपुर जिले के डीएम और एसपी को एक नोटिस जारी कर इस मामले में पार्थमिकी दर्ज करने को कहा है। आयोग का कहना है कि दारुल उलुम देवबंद मदरसे में बच्चों को भारत विरोधी शिक्षाएं दे रहा है। जो गलत है। इससे इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है।
बाल आयोग ने इस किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंघन करार दिया है। आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम की धारा 13 (1) टीजे) के तहत मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि इस तरह के फतवे की सामग्री से देश के खिलाफ नफरत फैल सकती है।इसके साथ आयोग ने जिला प्रशासन से दारुल उलुम की बेवसाइट की जांच करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इसके जरिए देश की जनता को गुमराह किया गया है। इसलिए इस वेबसाइट की जांच कर इसे तुरंत ब्लॉक करने को कहा गया।
यह भी बताया गया है जल्द ही इसको लेकर कोई कारवाई नहीं किया गया तो खुद जिला प्रशासन भी समान रूप से इसके लिए जिम्मेदार होगा। आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, दारुल उलुम देवबंद में बच्चों को ये पढ़ाया जा रहा है कि किस तरह से ‘गजवा ए हिन्द’ किया जाए। जो भी गजवा ए हिन्द के लिए अपनी जान देगा वो सर्वोच्च बलिदानी कहा जाएगा। यह संस्था पूरे दक्षिण एशिया में मदरसों को संचालित करती है। इस तरह से बच्चों को भारत पर हमले के लिए उकसाना बहुत ही खतरनाक है। इस मामले में हमने जिला प्रशासन से देश द्रोह की धाराओं के तहत केस दर्ज करने को कहा है,अब कारवाई की इंतजार है।