सड़क:2 का प्रोमो पिट जाना फिल्म उद्योग की ऐतिहासिक घटना में दर्ज हो चुकी है। विश्व में ये ऐसा चौथा प्रोमो है, जिसे दर्शकों ने नापसंद किया है। 87 लाख से अधिक लोगों ने इसे डिस्लाइक किया। इसके बाद भट्ट परिवार ने तय कर लिया है कि वे फिल्म चलाने के लिए सारे तरीके आजमाएंगे। दरअसल अब भट्ट परिवार का युद्ध प्रतिष्ठा बचाने का अधिक है, क्योंकि अपनी फिल्म ओटीटी पर बेचकर वे पहले ही लाभ कमा चुके हैं। चारो ओर से हो रहे विरोध का नुकसान तो डिज़्नी और हॉटस्टार को होगा, यदि दर्शक ये फिल्म नहीं देखेंगे। तो स्पष्ट है कि भट्ट परिवार प्रतिष्ठा बचाना चाहता है ताकि उनकी ब्रांड इमेज मार्केट में बनी रहे।
महेश भट्ट को कल्पना भी नहीं होगी कि उनको देश के लोगों की ओर से ऐसा तीव्र विरोध झेलना पड़ेगा। निश्चय ही यहाँ पर सुशांत सिंह राजपूत फेक्टर काम कर रहा है। भट्ट की सिनेमाई प्रतिष्ठा को संकट में देख उनके मीडियाई संकट मोचक मोर्चे पर आ डटे हैं। जैसे फिल्म समीक्षक कोमल नाहटा महेश भट्ट का पक्ष ले रहे हैं।
उस विरोध को वे बेवजह का हंगामा बता रहे हैं और कह रहे हैं फिल्म तो बिक चुकी है, महेश भट्ट सेफ हैं। कोमल नाहटा को कौन समझाए कि भारत की जनता इतनी गंवार नहीं है कि वह ओटीटी के कायदे-कानून नहीं जानती होगी। लोग गुस्सा प्रकट कर रहे हैं। उनको जहाँ मौक़ा मिलता है, वे भड़ास निकाल दे रहे हैं। सुशांत की हत्या के बाद और सुशांत की हत्या से पहले के भारतीय दर्शकों में बहुत फर्क है नाहटा जी।
प्रोमो पिट जाने के बाद चिंतित महेश भट्ट हरकत में आ गए और दर्शकों को खींचने के लिए नया पैंतरा खेला। शनिवार को आलिया भट्ट ने फिल्म की एक पिक शेयर की। पिक में आलिया और आदित्य राय कपूर चुंबन करते दिखाई दे रहे हैं। क्या ऐसे मूव्ज उस आक्रोशित दर्शक को आकर्षित कर पाएंगे, जो नेपोटिज्म और सुशांत की हत्या से नाराज़ है।
वैसे महेश भट्ट चतुर फ़िल्मकार हैं। उन्होंने अपनी विदेशी नकल को दोबारा महंगे दाम में बेच दिया है। महेश की बेटी पूजा भट्ट का रिएक्शन भी आ गया है। पूजा भट्ट प्रोमो को मिले रिस्पॉन्स से खफा है। क्या उन्हें नहीं पता कि नेपोटिज़्म से अधिक इस फिल्म पर सुशांत की हत्या की काली छाया पड़ी हुई है।
किसी ने फिल्म की विषय वस्तु की बात अभी तक नहीं उठाई है। फिल्म में आलिया भट्ट का किरदार धर्म गुरुओं की पोल खोलता है। आदतन महेश भट्ट ने अपनी फिल्म में वही कंटेंट डाले हैं, जो विवाद पैदा करेंगे। विवाद को जन्म देना इन फिल्मकारों की आदत बन चुकी है।
करण जौहर वायु सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद भी फिल्म में वायुसेना के प्रति विषवमन करते हैं। अपनी फिल्म को हिट बनाने के लिए तथाकथित सिनेमेटिक लिबर्टी लेते हैं। महेश भट्ट ने इस सिनेमेटिक लिबर्टी का बहुत गलत प्रयोग किया है। इसका सहारा लेकर उन्होंने फिल्मों में डार्क शेड लाया। उनकी फिल्म में हर पात्र ऐसा होता है, जो मनोवैज्ञानिक विकार से ग्रस्त होता है, जैसे सड़क की महारानी।
महेश भट्ट की ये दूसरी सड़क ऐसे डेड एन्ड पर आ फंसी है, जिसके आगे जाने की राह नहीं सूझ रही है। निश्चित ही दर्शकों का विरोध बढ़ता चला जाएगा। प्रोमो पर करोड़ डिस्लाइक चिपका दिए जाएंगे। संभवतः पहली बार फिल्म इंडस्ट्री को अहसास हुआ है कि उनके दर्शक केवल दर्शक नहीं हैं, वे बुद्धिजीवी हैं, वे कामगार हैं, वे आम आदमी हैं। महेश भट्ट जैसे फ़िल्मकार जान गए हैं कि अब उनकी मनमानी नहीं चलेगी। भले ही महेश भट्ट की फिल्म बहुत बेहतर होगी लेकिन वह इस समय सुशांत की हत्या से उपजे आक्रोश का शिकार हो गई है।
एक बार डिज्नी और हॉटस्टार को भी नुकसान होना भी हमारे लिए फायदेमंद हैं ताकि ये समझ जाएं हमे कौन सी मूवी दिखानी हैं, जानता तो हर कोई था मूवी पिटेगी फिर डील करने की क्या जरूरत थीं।
??अभी तो केवल चुम्बन वाले पोस्टर का प्रयोग किया गया है।अगर आगे भी जागरूक दर्शकों ने ऐसे ही मजबूती से हिन्दुविरोधी एजेंडा फैलाने वाली फिल्मों का विरोध करना जारी रखा तो थोड़े ही समय के बाद इनको दर्शकों को लुभाने के लिए पूरे कपड़े भी उतारने पड़ेंगे।लेकिन अब हम इससे भी पिघलने वाले नहीं।
#boycott_bollywood ये मुहिम अब लगातार जारी रहने वाली है।
Very nice bro