अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा हमेशा इस बात से इंकार करती रही है कि ब्रम्हाण्ड में एलियन का वजूद है। नासा के इंकार के बावजूद इसी एजेंसी का वैज्ञानिक एलियन के होने का दावा करे तो दुनिया का ध्यान उस ओर चला ही जाता है। नासा के कंप्यूटर वैज्ञानिक सिल्वानो पी कोलंबानो के एक रिसर्च पेपर की खबर बाहर आते ही मीडिया ने इसे हाथोहाथ लिया। नासा एम्स रिसर्च सेंटर में काम करने वाले सिल्वानो के मुताबिक संभव है कि ‘दूसरे ग्रहों के प्राणियों ने ऐसी तकनीक हासिल कर ली है जिसकी मदद से वे आकाशगंगाओं के बीच यात्रा करने में सक्षम हैं।’
प्रोफेसर सिल्वानो का रिसर्च पेपर बाहर आते ही अमेरिका समेत पूरी दुनिया में उनका नाम चर्चित हो गया। इस बात से परेशान सिल्वानो ने दूसरे ही दिन सफाई देते हुए कहा कि ‘फॉक्स न्यूज़’ ने उनके रिसर्च पेपर को गलत ढंग से दुनिया के सामने पेश कर दिया। यदि ऐसा होता तो दूसरे मीडियाई संस्थान की ख़बरें फॉक्स न्यूज़ से अलग होती लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सभी की ख़बरों में एक ही बात समान थी कि सिल्वानो ने एलियन तकनीक के बारे में अपनी बात कही है।
गौर करने वाली बात ये है कि ये रिसर्च पेपर ठीक उस समय सामने आया जब नासा ने सन 2020 में एक विशेष रोवर मंगल ग्रह की एक विशेष साइट पर उतारने की घोषणा की है। ये रोवर कार के आकार का होगा। ये रोवर मंगल के ‘जेजीरो ज्वालामुखी’ के मुहाने पर उतारा जाएगा। मार्शियन भूमध्य रेखा के उत्तर में नासा को एक साइट मिली है। गहरी संभावनाएं जताई जा रही है कि इसी ‘प्राचीन साइट’ में ‘एलियन लाइफ’ के प्रमाण मिल सकते हैं। 5 मई 2018 को मंगल ग्रह पर उतरे नासा के ‘इनसाइट मार्स प्रोब’ ने बताया है कि ज्वालामुखी के पास की वह साइट ‘रहस्यमयी’ है।
इस नए खुलासे के बाद हमेशा की तरह नासा से जुड़े लोगों ने इसे झुठलाना शुरू कर दिया है। वे मीडिया पर दोषारोपण कर रहे हैं कि वह मामले को बढ़ा चढ़ाकर बता रहा है। सिल्वानो की स्थिति इस मामले में सांप-छछूंदर की हो गई है। जो बाते उन्होंने अपने रिसर्च पेपर में लिखी है, पूर्णतः वैज्ञानिक तर्क के साथ लिखी है। इस बात से भी नासा इंकार नहीं कर सकता कि वह ‘एलियन लाइफ’ की खोज में एक और रोवर मंगल पर उतारने जा रहा है। एक तरफ वह एलियंस की खोज के लिए अरबों डॉलर का खर्च कर देता है और दूसरी ओर अपने एक वैज्ञानिक के रिसर्च पेपर को झूठा साबित करता है। क्या नासा अन्य देशों से कोई महत्वपूर्ण रहस्य छुपा रहा है।
सिल्वानो के रिसर्च पेपर की मुख्य बातें
– नासा ने बहुत पहले एलियंस की खोज के लिए सेटअप बनाया था। हम बहुत पहले ही एलियंस का सामना कर चुके हैं लेकिन उनकी जीव संरचना ‘कार्बन आधारित’ नहीं थी इसलिए हम उन्हें डिटेक्ट नहीं कर सके। गौरतलब है कि दुनिया के हर जीवधारी का ‘बायोलॉजिकल कवच’ कार्बन का ही बना होता है।
– हमें एलियंस को पहचानने की अवधारणाओं को बदलना होगा। जब हम मान्यताएं बदलेंगे तो जान सकते हैं कि तीव्र बुद्धिमता और एलियन तकनीक को किस तरह पहचाना जाए। जब वे पृथ्वी पर आए तो उनके अलग तरह के ‘बायोलॉजिकल कवच’ के कारण हमारा विज्ञान उनकी पहचान नहीं कर सका।
– पृथ्वी पर सभ्यताओं का विकास लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व हुआ। 500 वर्ष पूर्व हमारी तकनीक का विकास होना शुरू हुआ। हमारी अंतरिक्षीय समझ पिछले बीस साल में विकसित हुई है। यही कारण है कि ब्रम्हाण्ड में घट रहे विभिन्न तकनीकी विकास की श्रंखला को वर्तमान के विज्ञान से नहीं समझा जा सकता है।
– ‘रेडियो तरंगों’ का समय अब खत्म हो गया। हमें रेडियो तरंगों को रिटायर कर देना चाहिए। हमें एलियंस का पता लगाना है तो पुराने तौर तरीके छोड़ने होंगे। आमतौर पर वैज्ञानिक समुदाय इस पर विमर्श करने से बचता है। हमें उसे झूठ न मानकर वैज्ञानिक पड़ताल करनी चाहिए।
– जरुरी नहीं वे मनुष्यों जैसे दो हाथ दो पैरों वाले हो। वे जैली फिश की तरह हो सकते हैं या इतने छोटे होंगे कि नज़रें उन्हें देख ही न सके। एलियन सुई जितने बौने हो सकते हैं और हमसे ज्यादा बुद्धिमान भी।
URL: Earth may have already been visited by extraterrestrials
Keywords: NASA, Aliens, Mars, Space, Silvano P Colombano, carbon-based organisms
Hello sir !!
very nice post .
.
.
.
kindly publish my comment on you website
https://tourkro.in/kaha-hai-alien-kya-khete-hain-vegyanik-tourkro-in-hindi