अर्चना कुमारी । जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय फिर सुर्खियों में है और इस बार वहां पर पूरे कैंपस में ‘ब्राह्मण परिसर छोड़ो’, ‘रक्तपात होगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ और ‘ब्राह्मणों और बनिया, हम तुम्हारे पास बदला लेने आ रहे हैं’ के नारे लिखे हुए हैं और इतना ही नहीं साथ ही इमारतों की दिवारों की तोड़फोड़ भी की गई।
इससे पहले यहां पर दो गुटों में मारपीट में कई छात्र जख्मी हुए थे जबकि हिंदू सेना भी यहां पर कई पोस्टर लगाकर चर्चा बटोर चुका है। देश विरोधी नारे लगाकर चर्चा में आए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से निकले उमर खालिद फिलहाल दिल्ली हिंसा को लेकर जेल में बंद है तो कन्हैया कुमार कांग्रेस की राजनीति कर रहा है लेकिन इस बार जेएनयू परिसर में ब्राह्मण विरोधी नारे लिखे गए हैं और यह नारे किसने लिखे हैं यह ज्ञात नहीं है लेकिन जय भीम का नारा लगाने के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि यह काम वामपंथी संगठनों का हो सकता है।
सूत्रों का दावा है कि इस तरह के नारे लिखे जाने के बाद वहां की राजनीति गर्म हो गई है और विवाद बढ़ गया है। जेएनयू के छात्रों ने दावा किया कि ब्राह्मण और बनिया समुदाय के खिलाफ नारों के साथ स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज-द्वितीय की इमारत में तोड़फोड़ की गई है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।
जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि कम्युनिस्टों ने जेएनयू की दीवारों पर ऐसी अभद्र बातें लिखीं। उन्होंने आगे कहा कि हमें विश्वास है कि शिक्षण संस्थानों को सिर्फ चर्चा और बहस के लिए उपयोग किया जाएगा ना कि समाज और छात्रों के समुदाय में जहर घोलने में लेकिन हैरत की बात यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बारे में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
बताया जाता है कि नारा लिखने वाले उस महिला प्रोफेसर के केबिन के दरवाजे पर भी शाखा लौट जाओ’ का नारा लिखा गया है, जिसे नवंबर 2019 में वामपंथियों ने 3 दिन के लिए हिरासत में रखा था। ये नारे 31 नवंबर की रात को लिखे गए ।
वंदना मिश्रा को 8 नवंबर 2019 को वामपंथी दल ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की उनकी ही क्लास में बंधक बना लिया था। आरोपों के मद्देनजर वामपंथी छात्र संगठन के एन साईं बालाजी ने आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता यह किसका करतूत है।
सूत्रों का दावा है कि इससे पहले यहां 11 नवंबर की शाम छात्रों के दो गुटों में जमकर मारपीट हुई। इस दौरान कैंपस में बाहरी लोग भी आए और दोनों गुटों में जमकर लाठी-डंडे चले और कई लोग जख्मी हुए थे। उससे पहले
अप्रैल में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस के बाहर भगवा झंडे लगाए गए थे जिसे पुलिस ने बाद में हटा दिया था।