Archana Kumari. दुनियाभर को ज्ञान बांटने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद कुमार केजरीवाल अपने ही घर वालों को साइबर क्राइम के बारे में नहीं बता पाए जिसके चलते उनकी बेटी साइबर ठगी का शिकार हो गई।
पुलिस का दावा है कि मुख्यमंत्री की पढ़ी लिखी बेटी हर्षिता केजरीवाल ने अपने घर पर पड़ा पुराना सोफा और कंप्यूटर बेचने के लिए ओएलएक्स पर विज्ञापन डाला था।
लेकिन एक शातिर युवक ने दोनों को खरीदने की इच्छा जताते हुए सौदा तय किया। बताया जाता है कि बाद में पेमेंट करने के नाम पर हर्षिता को एक क्यूआर कोड भेज दिया।
इसके बाद आरोपी ने हर्षिता का विश्वास जीतकर क्यूआर कोड स्कैन करवाकर तीन अलग-अलग बार में कुल 34 हजार रुपये ठगी कर लिए । हर्षिता केजरीवाल ने इसकी जानकारी अपने माता-पिता को दी और साथ ही मामले की सूचना सिविल लाइंस थाना पुलिस को दी।
दिल्ली पुलिस का कहना है इस संबंध में ठगी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई। लोकल पुलिस के अलावा उत्तरी जिले की साइबर सेल और स्पेशल स्टाफ को भी जांच में लगाया गया है।
चूंकि मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री से जुड़ा है, इसलिए मामले पर दिल्ली पुलिस का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन इतना तय है कि अभी आरोपी का पता नहीं चल पाया है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार हर्षिता केजरीवाल अपने पूरे परिवार के साथ सीएम हाउस, सिविल लाइंस इलाके में रहती हैं। जबकि हर्षिता दिल्ली आईआईटी से इंजीनियर हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हर्षिता के यहां पर एक पुराना सोफा और कंप्यूटर टेबल पड़ी हुई थी। उसे बेचने के लिए उन्होंने ओएलएक्स पर पिछले दिनों एक विज्ञापन डाला था।
जिसके बाद विज्ञापन देखकर रविवार को हर्षिता से राधवेंद्र प्रताप सिंह नामक युवक ने संपर्क किया। उसने बताया कि वह उसका सोफा और कंप्यूटर टेबल खरीदना चाहता है।
दोनों में बातचीत होने के बाद सौदा 21 हजार रुपये में तय हो गया। आरोपी ने हर्षिता का विश्वास जीतने के लिए पहले उसके खाते में गूगल-पे से दो रुपये डाले। इसके बाद साइबर क्राइम का जानकार शातिर आरोपी ने कहा कि वह एक क्यूआर कोड उसे भेज रहा है।
उसे स्कैन करते ही उसके खाते में सारे रुपये आ जाएंगे। इसके बाद उसकी बातों में आकर हर्षिता आरोपी के जाल में फंस गई।
उन्होंने जैसे ही उस क्यूआर कोड को स्कैन किया, उनके खाते से 10 हजार रुपये कट गए। बताया जाता है कि हर्षिता ने आरोपी से संपर्क किया तो उसने बताया कि शायद गलत नंबर चला गया, उसने दोबारा दूसरा क्यूआर कोड भेजा।
इस बार फि दोबारा 10 हजार कट गए। पूछने पर आरोपी ने अपनी गलती मानी और तीसरी बार वैसा ही किया। इस बार हर्षिता के एसबीआई खाते से 14 हजार रुपये कट गए। कुल 34 हजार रुपये जाने के बाद हर्षिता को ठगी का अहसास हुआ।
बाद में हर्षिता ने मामले की सूचना सिविल लाइंस थाना पुलिस को दी। फौरन इस संबंध में मामला दर्ज कर आरोपी का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन आरोपी का अभी पता नहीं चल पाया है
हालांकि उसके मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी एकत्र कर ली गई है, इसके अलावा रुपए खाते में स्थानांतरित हुए हैं उसके बारे में भी जानकारी जुटा ली गई है लेकिन इसके बावजूद आरोपी पकड़ा नहीं जा सका है।
लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं जिसमें जालसाजों ने इस तरह ऑनलाइन फ्रॉड किया। इससे पहले दिल्ली पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त से लेकर डीसीपी रैंक के अफसर तक जालसाजों का शिकार बन चुके हैं।
यह जानकर दिल्ली के मुख्यमंत्री खुश हो सकते हैं कि उनकी बेटी सिर्फ इस तरह की ठगी की शिकार नहीं हुई है और भी लोग हैं जो इस तरह से बेवकूफ बन चुके हैं
लेकिन हाई प्रोफाइल मामलों में तो आरोपी पकड़े जाते हैं लेकिन बाकी मामलों में पुलिस कोई खास अनुसंधान नहीं करती। जिसके चलते इस तरह के क्राइम लगातार बढ़ते जा रहे हैं।