देश के राजधानी में छठ पूजा सार्वजनिक तौर पर मनाने की अनुमति नहीं है जबकि दिवाली पर प्रदूषण के नाम पर पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध है और दोनों नियम कायदे नहीं मानने वाले पर न केवल मुकदमा दर्ज होगा बल्कि उनकी गिरफ्तारी भी सुनिश्चित की जाएगी। इससे पहले रामलीला, दुर्गापूजा, दशहरा और अन्य धार्मिक आयोजनों को ध्यान में रखते हुए फिलहाल 16 अक्तूबर तक लाउडस्पीकर चलाने की अनुमति दी गई है।
लेकिन इसके लिए पहले दिल्ली पुलिस की अनुमति भी लेना होगी। लाउड स्पीकर को तय सीमा में ही चलाना होगा। जबकि अब रामलीला के ऊपर कोविड-19 को लेकर नियम कानून नहीं पालन किए जाने के चलते चालान भी शुरू कर दिया गया है । कोविड-19 के चलते रामलीला में कम ही लोग आ रहे हैं जबकि कड़ी शर्तों के साथ रामलीला कमेटियों को रामलीला की इजाजत दी गई।
एक समय रामलीला में यहां खूब भीड़ होता और बड़े-बड़े फिल्म स्टार इसमें रावण, मेघनाथ तथा लक्ष्मण आदि की भूमिका करते थे। लेकिन आज के रामलीला में कुर्सी खाली नजर आती है। दिल्ली की बड़ी रामलीलाओं में शुमार होने वाली लवकुश रामलीला आयोजकों के खिलाफ कोतवाली थाने में कोविड नियमों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया ।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान पाया गया कि यहां मौजूद कुछ लोगों ने मास्क नहीं लगाया हुआ था। इसके अलावा सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं किया जा रहा था। इसके बाद रामलीला कमेटी के आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। चालान कटने के बाद और प्राथमिकी होने पर रामलीला के आयोजकों ने अब नियमों का सख्ती से पालन करवाने का आश्वासन दिया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि लालकिला पर आयोजित होने वाली लवकुश रामलीला दिल्ली की बड़ी रामलीला है। कोविड की वजह से इस साल यहां 400 लोगों के साथ रामलीला को आयोजित करने की इजाजत दी गई है। पुलिस टीम रामलीला में मौजूद थी। वहां देखा गया कि आयोजक रामलीला देखने आ रहे लोगों से कोविड नियमों का पालन नहीं करवा रहे थे।
इसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए आयोजकों के खिलाफ 188 की धारा में मामला दर्ज करवाया गया। इस तरह हिंदुओं के त्यौहार में भी हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है पर यह हालत तब है जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और प्रदेश के केजरीवाल सरकार तो चाहती भी नहीं कि वह किसी तरह का हिंदुओं के पर्व के लेकर कोई आयोजन करने दे।