अर्चना कुमारी। करोना की आड़ में ठगी का गोरख धंधा तो चल ही रहा है दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ऐसे एक रैकेट का पर्दाफाश किया है जो नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाता था। इस इंजेक्शन को उत्तराखंड के कोटद्वार में मनाया जाता और पूरे देश में इसका बिक्री किया जाता था।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि आरोपी दूसरी एंटीबायोटिक दवाईयों को रेमडेसिविर का लेबल लगाकर या दूसरी शीशियों में भरकर बेच रहे थे। पुलिस को छापेमारी में आरोपियों के पास से 198 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 3000 खाली शीशियां, पैकिंग मशीन, पैकिंग का अन्य सामान, दूसरी कंपनी की एंटीबायोटिक दवाईयां, कंप्यूटर, एक स्कोर्पियो गाड़ी व स्कूटी बरामद हुई है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि आरोपी कोटद्वार की नेक्टर हर्ब्स एंड ड्रग्स कंपनी में सारा गोरखधंधा कर रहे थे। पुलिस ने फिलहाल इस फैक्ट्री को सील कर दिया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पुलिस टीम ने 23 अप्रैल को संगम विहार, एमबी रोड, दिल्ली से मो. शुएब खान और मोहन कुमार झा को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की काला बाजारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
जांच कार्रवाई के दौरान इनके पास से कुल 10 इंजेक्शन बरामद हुए। क्राइम ब्रांच को आरोपियों ने बताया कि यह लोग बड़े-बड़े शहरों में 25 से 40 हजार रुपये का नकली इंजेक्शन बेच रहे हैं।
दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने 25 अप्रैल को दिल्ली के यमुना विहार इलाके में छापेमारी कर मनीष गोयल और पुष्कर चंद्रकांत को गिरफ्तार कर इनके पास से 12 और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद कर लिये। इसके बाद दोनों से पूछताछ के बाद अगले दिन 26 अप्रैल को साधना शर्मा को यमुना विहार से गिरफ्तार उसके पास से 160 नकली इंजेक्शन बरामद हुए।
पूछताछ के बाद इन लोगों ने बताया कि इंजेक्शन इन लोगों को कोटद्वार, हरिद्वार का वतन कुमार सैन उपलब्ध करा रहा है। क्राइम ब्रांच 27 अप्रैल को हरिद्वार के कोटद्वार में छापा मारा। उत्तराखंड से वतन कुमार सैनी को गिरफ्तार कर पैकिंग मशीन, 3000 खाली इंजेक्शन की शीशियां, लेबल व कुछ दूसरी एंटी बायोटिक दवाईयां बरामद हुई।
वतन कुमार सैनी से पूछताछ के बाद मुख्य आरोपी मास्टर माइंड आदित्य गौतम को उत्तराखंड के रुड़की से धर दबोचा गया । पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गोरखधंधे का मास्टर माइंड आदित्य गौतम है। बीकॉम करने के बाद वह हरिद्वार में एक कंपनी में अकाउंट्स की नौकरी करने लगा। उसने 2016 तक उसने नौकरी की।
इसके बाद एक दवाईयों की कंपनी में वह प्लांट हेड हो गया। बताया जाता है कि 2019 में उसने कंपनी छोड़कर खुद की नेक्टर हर्ब्स एंड ड्रग्स के नाम से कंपनी लीज पर ले ली। बाद में वह वतन कुमार सैनी के साथ मिलकर नकली दवाईयां बनाने लगा। कोविड के समय में जब रेमडेसिविर की मांग बढ़ी तो आरोपियों ने उसे नकली बनाने की तैयारी शुरू की और पूरे देश में इस दवा की कालाबाजाारी में जुट गया था।