अर्चना कुमारी । चार्ल्स शोभराज जिसे बिकनी किलर के नाम से जाना जाता है, उसे अब नेपाल जेल से रिहा कर दिया गया है। महिलाओं से दोस्ती किए जाने के बाद ड्रग्स खिलाकर लूटपाट कर हत्या करने वाले चार्ल्स शोभराज को कौन नहीं जानता।
इसके कई गर्लफ्रेंड और पत्नियां थी और एक नेपाली लड़की ने तो उसे जेल में रहने के दौरान प्यार जताते हुए बिना उम्र का फासला देखे शादी कर ली थी। उसे घमंड था कि सिर्फ 10 मिनट में वह किसी भी लड़की को प्रभावित कर सकता था। उसे ऐसे ही नहीं जरायम की दुनिया का बादशाह कहा जाता ।
उसकी शिकार कई महिलाओं की लाश बिकनी में मिली तो वह ‘बिकनी किलर’ से मशहूर हो गया। रिहा होने के बाद चार्ल्स शोभराज ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है और अखबार की सुर्खियों में है। इसका असली नाम है सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज उर्फ हतचंद भाओनानी गुरुमुख चार्ल्स शोभराज , जो 19 साल बाद नेपाल की जेल से रिहा हो गया। बताया जाता है कि 2003 से नेपाल की जेल में सजा काटने के बाद नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने उसकी रिहाई का आदेश दे दिया है।
चार्ल्स शोभराज 70 के दशक में कई देशों के लिए सिरदर्द था और अब वो खुली हवा में सांस लेने जा रहा है। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि बचपन की कुंठा और अपने माता पिता से नफ़रत की वजह से शोभराज एक खूंखार अपराधी बन गया । बता दें कि चार्ल्स की मां वियतनामी और पिता भारतीय थे। उनकी मां उसके पिता से अलग रहने लगी थी, क्योंकि दोनों कभी शादी के बंधन में बंधे ही नहीं थे, जिसकी वजह से चार्ल्स के हिन्दुस्तानी पिता ने उसे कभी अपनाया ही नहीं। ऐसे में उसके सामने एक ऐसा वक़्त भी आया जब वो किसी भी देश का नागरिक नहीं था। कुख्यात चार्ल्स शोभराज 1944 में वियतनाम के साइगॉन में पैदा हुआ था। उस वक़्त इस शहर पर जापानियों का कब्ज़ा था।
शोभराज की मां ने बाद में वियतनाम में तैनात एक फ्रांसीसी फौजी से शादी की और पेरिस चली गई। फ्रांसीसी फौजी ने चार्ल्स को अपना लिया जिससे उसे फ्रांस की नागरिकता हासिल हो गई।जुर्म की दुनिया का ये ऐसा इकलौता शख्स है, जिसकी ज़िंदगी तिलिस्म, रोमांच और ग्लैमर से भरी हुई है और वह कई दशकों तक अपराधियों का सिरमौर बना रहा । इस अपराधी ने भारत, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, फ्रांस, ईरान, ग्रीस और तुर्की समेत कई अन्य देशों में वारदात को अंजाम दिया ।
बताया जाता है कि उसने 1970 के दशक में दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग हरेक देश में जाकर विदेशी सैलानियों को शिकार बनाया और उन्हें मौत के घाट उतार दिया। मरने वालों में ज्यादातर यूरोप और अमेरिका के साथ भारत, नेपाल और थाईलैंड की थीं। लेकिन कहा यह भी जाता है कि इस शातिर ने असल में कितने लोगों को मौत के घाट उतारा, इसका राज़ आज भी शोभराज के दिल में ही क़ैद है। लगभग 6 या 7 भाषाएं बोलने वाला चार्ल्स ने जुर्म की दुनिया का ऐसा कोई गुनाह नहीं जो न किया हो। मशहूर है कि वो सांप की तरह अपने शिकार को अपनी कुंडली में जकड़ लिया करता था और कई भाषाओं में बात करने का उसका लहजा मकड़ी के जाल की तरह उसके शिकार को पूरी तरह से उसके मोहपाश में बांध देता था।
यह वही शख्स है जो एशिया के सर्वाधिक सुरक्षित कहे जाने वाले तिहाड़ जेल से फरार हो गया था। इसके बारे में बताया जाता है कि उसने 1972 से 1976 के बीच क़रीब 24 हिप्पियों को मौत के घाट उतारा था और अधिकांश उसने विदेशी सैलानी महिलाओं को ही अपना शिकार बनाया, जिनमें से ज़्यादातर की लाश जब पुलिस को मिली तो वो सभी बिकनी में ही थी, इसीलिए वह बिकनी किलर के नाम से कुख्यात हो गया। बताया जाता है शिकार हुई ज़्यादातर महिलाओं ने ड्रग्स या नशीली दवाओं का सेवन किया था और मौत के घाट उतरने से पहले चार्ल्स के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए थे। 1976 में चार्ल्स शोभराज ने एक बड़ा हाथ मारा और भारत की सैर पर आए एक फ्रांसीसी ग्रुप के चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया ।
इसके साथ ही चार्ल्स ने एक इजराइली सैलानी की भी हत्या कर दी थी, जिसकी वजह से उसे पकड़ा गया और पहले सात साल और फिर पांच साल की सज़ा देकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। इसके बारे में कहा जाता है कि चार्ल्स शोभराज पहली बार 18 साल की उम्र में जेल गया था। 1971 में चार्ल्स शोभराज ग्रीस की रोड्स पुलिस स्टेशन की छत से कूद कर भाग निकला था। वहां से भागकर वो सीधा हिन्दुस्तान आ गया। उसी साल चार्ल्स शोभराज बंबई में लूट और चोरी के इल्ज़ाम में पुलिस के हत्थे चढ़ा लेकिन उसने एपेंडिसाइटिस के दर्द का ऐसा बहाना बनाया कि उसे अस्पताल में भर्ती किया गया और वहां से भी वो पुलिस को चकमा देकर निकल भागा। 1972 में वो अफ़ग़ानिस्तान में काबुल की जेल में बंद था।
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लेकिन वहां उसने जेल के पहरेदार को नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश कर दिया और वहां से भी भाग निकला। इसके अलावा 1975 में एक बार फिर चार्ल्स शोभराज को ग्रीस में पुलिस ने पकड़ लिया और वहां की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली एजिना टापू की जेल में बंद कर दिया था। ये जेल उस समय शायद सबसे सुरक्षित थी, क्योंकि उसके चारो तरफ दूर-दूर तक समंदर था। मगर चार्ल्स शोभराज वहां से भी पुलिस की आंख में धूल झोंककर भाग निकला।
भारत में पकड़े जाने पर 10 साल तिहाड़ में बिताने के बाद चार्ल्स शोभराज ने तिहाड़ से निकल कर चंपत हो गया था। तीन हफ्ते की भागदौड़ के बाद आखिरकार पुलिस को कामयाबी मिल गई और चार्ल्स शोभराज गोवा में फिर पकड़ लिया गया लेकिन भागना उसका एक शैतानी खुराफात योजना थी । बताया जाता है कि 1977 में थाईलैंड की तरफ से चार्ल्स शोभराज की गिरफ़्तारी के लिए वॉरंट जारी किया गया था, जिसकी 20 साल तक की डेडलाइन थी और थाईलैंड में उसके ख़िलाफ़ क़त्ल के ही मामले दर्ज थे।
लिहाजा उन इल्ज़ामों पर उसे सिर्फ और सिर्फ सज़ा-ए-मौत ही मिल सकती थी। इसीलिए उसने तिहाड़ जेल से भागकर अपने लिए एक फुलप्रूफ प्लान बनाया जिससे वो हिन्दुस्तानी क़ानून के मुताबिक पकड़े जाने पर आसानी से कुछ और साल तिहाड़ में ही काट सके।1986 में जेल से फरार होने के बाद दोबारा पकड़े जाने पर चार्ल्स शोभराज अगले 11 साल तक तिहाड़ में रहा और 1997 में वो अपनी सज़ा पूरी करने के बाद बाहर निकला। तब तक थाईलैंड के वारंट की मियाद ख़त्म हो चुकी थी।भारत की जेल से रिहा होने के बाद चार्ल्स पेरिस रवाना हो गया
1997 में भारत की जेल से रिहा होने के बाद चार्ल्स शोभराज पेरिस चला गया था। फ्रांस के एक डॉयरेक्टर और प्रोड्यूसर ने तो चार्ल्स शोभराज पर एक फिल्म तक बनाने के अधिकार हासिल कर लिए थे। जिसके एवज में उसने चार्ल्स को क़रीब 97 करोड़ रुपये दिए। जबकि एक मीडिया हाउस से इंटरव्यू के एवज में उसने 5 हज़ार डॉलर मांग लिए थे।बताया जाता है कि पेरिस में किंगसाइज़ जिदंगी जीते-जीते अचानक 2003 में चार्ल्स शोभराज नेपाल पहुंच गया।
वहां एक कसीनों के बाहर उसकी फोटो अखबार में छपी तो नेपाल पुलिस हरकत में आई और उसे पकड़ लिया गया। नेपाल में पहले ही चार्ल्स से ख़िलाफ़ हत्या के मामले दर्ज थे। साथ ही फर्जी पासपोर्ट से नेपाल में दाखिल होने का भी एक मामला शोभराज के ख़िलाफ दर्ज हो गया।12 अगस्त 2004 को चार्ल्स शोभराज को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई। लेकिन अब सजा काटने के बाद रिहा हो गया है । चार्ल्स शोभराज पर की रिहाई के पीछे नेपाल का वरिष्ठ नागरिक अधिनियम है।
इसका जिक्र फैसले में किया गया है। शोभराज इस वक्त 78 साल का हो चुका है। यही अधिनियम उसकी रिहाई का बड़ा कारण बना है। उसके ऊपर कई किताबें और फिल्में बनीं। थॉमस थॉम्पसन की सर्पेन्टाइन (1979), रिचर्ड नेविल और जूली क्लार्क की द लाइफ एंड क्राइम्स ऑफ चार्ल्स शोभराज (1980) और नोएल बार्बर की “द बिकिनी मर्डर्स” शोभराज पर ही लिखी गईं। 2015 की हिंदी फिल्म ‘मैं और चार्ल्स’, जिसे प्रवाल रमन और सिज़्नूर नेटवर्क द्वारा निर्देशित किया गया था, कथित तौर पर नई दिल्ली में तिहाड़ जेल से शोभराज के भागने पर आधारित है। फिल्म में रणदीप हुड्डा, ऋचा चड्ढा, आदिल हुसैन, टिस्का चोपड़ा, और एलेक्स ओ’नेल प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
मिनी वेब सीरीज “द सर्पेंट’ भी शोभराज के ऊपर ही बनी थी। अप्रैल 2021 में नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होने से पहले बीबीसी द्वारा कमीशन की गई इस सिरीज को जनवरी 2021 में यूके में प्रसारित किया गया था। इसमें ताहर रहीम ने शोभराज की भूमिका निभाई थी। यह व्यक्ति जितना रहस्यमई है उतना ही इसके दीवाने वे लोग हैं जो इस किस्से को जानना और सुनना पसंद करते हैं लेकिन इसकी कहानी का कोई अंत नहीं