अर्चना कुमारी। किसान सड़क पर है। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने किसानों के आंदोलन को लेकर हरियाणा सरकार के रवैए पर नाराजगी व्यक्त की है। हाई कोर्ट ने कहा कि बल प्रयोग अंतिम विकल्प होना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था हाथ से नही निकले। हाई कोर्ट ने रास्ता रोकने का कारण भी हरियाणा सरकार से पूछा।
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनवाई में हरियाणा सरकार की खिंचाई की। कोर्ट में वकील उदय प्रताप सिंह की तरफ से याचिका दाखिल करके किसानों को रोकने वाले कदमों पर रोक लगाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने पूछा कि किससे पूछकर आपने हाईवे बंद कर रखे हैं, आपको जनता को परेशान करने का अधिकार किसने दिया। हरियाणा सरकार की तरफ से अपनी सफाई में कहा गया कि किसानों ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं ले रखी है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसानों के अपने अधिकार हैं। वो आपके राज्य में प्रदर्शन नहीं कर रहे, सिर्फ यहां से गुजर रहे हैं। रास्ते पर चलना सबका अधिकार है।
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अब 15 फरवरी की तारीख तय की है। इसके साथ हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है।हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की बेंच ने सिविल रिट पीटिशन पर सुनवाई करते हुए नाराजगी व्यक्त की। सुनवाई के दौरान डबल बेंच ने हरियाणा सरकार से रास्ता रोकने का कारण पूछा। संतोष जनक जवाब नहीं मिलने पर नाराजगी भी व्यक्त की। कोर्ट के सवालों पर हरियाणा की तरफ से कहा गया कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है।
कोर्ट में पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह बात गलत है, किसानों का आंदोलन बिलकुल शांतिपूर्ण है। किसान बिना हथियारों के सिर्फ बात करने दिल्ली जा रहे हैं, इसलिए हमने उनका रास्ता नहीं रोका। किसानों ने एमएसपी की मांग के साथ दिल्ली चलो मार्च का ऐलान किया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एस पी जैन से सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों का ब्योरा कोर्ट को दिया। कोर्ट ने आखिर में कहा कि बल प्रयोग अंतिम विकल्प होना चाहिए।
कोर्ट ने इस मामले का सभी पक्षों के साथ बैठकर हल निकालने को भी कहा।ज्ञात हो दाखिल याचिका में कहा कि किसान आंदोलन के कारण आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है। हरियाणा के कई जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं हैं। ऐसे में जिन छात्रों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं वो परेशानी में हैं। प्रदर्शन को रोकने के लिए किए गए उपायों से न केवल किसानों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है, बल्कि इससे आम लोगों को भी परेशानी हो रही है।
शंभू बॉर्डर पर कार्रवाई की निंदा एक तरफ से जहां पंजाब के किसानों का रास्ता रोकने पर कोर्ट ने हरियाणा सरकार की खिंचाई की है। दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से शंभू बॉर्डर पर किसानों हमले की निंदा की है। एसकेएम ने 16 फरवरी 2024 को पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।