उपचुनाव में भाजपा को मिलने वाली सफलता ‘अंधे के हाथ बटेर’ लगने जैसी नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति और उनके निर्णयों को लोगों ने सराहा है जिसके कारण भाजपा ने त्रिपुरा में लेफ्ट और कांग्रेस को आखिरी पायदान पर धकेल दिया है। त्रिपुरा में भाजपा 12,395 वोट लेकर दूसरे पायदान पर रही वही कांग्रेस को 804 वोट मिले।
विकास प्रीतम। देश के छह राज्यों और एक केन्द्रशासित प्रदेश की कुल चार लोकसभा और आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के कल घोषित हुए नतीजे उन लोगों के लिए जरूर निराशा का सबब बने होंगे जो इन चुनावों को सरकार के नोटबन्दी के फैसले पर जनमत संग्रह मानकर चल रहे थे क्योंकि जनता ने न केवल भाजपा पर अपना भरोसा जताया है बल्कि नतीजों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि देश का जनमानस प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रहित में उठाये गए साहसिक फैसलों के साथ है।
भाजपा ने जहाँ मध्य प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में अपनी बढ़त को बरक़रार रखा वहीँ ऐसे राज्य और सीटें जहाँ उसे अपेक्षाकृत कम आँका जाता है वहां भी अपने बेहतर प्रदर्शन से विरोधियों को चौंकाया। विशेषकर पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में जहाँ पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर रहे और देश में सरकार के विरोध का झंडा थामे कांग्रेस पार्टी अपनी सम्मानजनक उपस्थिति भी दर्ज नहीं करवा सकी।
इन चुनावों के नतीजों से यह भी स्पष्ट है कि विपक्ष का सरकार के फैसलों का विरोध महज विरोध करने की मानसिकता का परिणाम है। घपले-घोटालों और भ्रष्टाचार से मुक्त इस सरकार के आगे विपक्ष मुद्दाविहीन है जिसकी हताशा के चलते वह सरकार के उन क़दमों का भी अंध विरोध कर रहा है जहाँ उसे देश हित में सरकार के साथ रचनात्मक सहयोग करना चाहिए। इसके बावजूद भी भाजपा सरकार नोटबंदी सहित तमाम विषयों पर संसद में संवाद और चर्चा करवाने के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष के आचरण उसका असल मकसद जाहिर कर रहा है जो सिर्फ हंगामा बरपाने का है। वैसे जनता सब देख रही है और तय भी कर रही है ।