मीडिया का एक धड़ा देश में हुए उपचुनाव को नोटबंदी से जोड़कर प्रचारित कर रही थी। इनका कहना था कि यदि उपचुनाव में भाजपा हार गई तो समझ लें कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के निर्णय के खिलाफ वोट दिया है! लेकिन जब उपचुनाव में भाजपा को मध्यप्रदेश,असाम,अरुणाचल प्रदेश में जीत मिली है तो यही पत्रकार अब बंगाल में ममता की जीत और एटीएम की लाइन में लगी जनता को दिखाकर अपनी झेंप मिटाने की कोशिश में जुटे हैं!
गौरतलब है कि देश के छह राज्यों व केंद्रशासित प्रदेश में लोकसभा व विधानसभा के उपचुनाव हुए। इसमें मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, बंगाल, व पुद्दुचेरी में हुए उपचुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं। जहां नहीं आए हैं, वहां के रुझानों से भी जनता के निर्णय की जानकारी स्पष्ट हो चुकी है। चुनाव परिणाम के अनुसार, मध्यप्रदेश के नेपानगर व शाहडोल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा, त्रिपुरा के बरजाला व खोवाई से सीपीआई-एम, पुडुचेरी से कांग्रेसी मुख्यमंत्री नारायण सामी, पश्चिम बंगाल के तमलुक व कूचबिहार से तृणमूल, तमिलनाडु के तीनों से जयललिता की एआईएडीएमके, असम के लखीपुर लोकसभा सीट से भाजपा और अरुणाचल के हयुलिंग सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की है। हयुलिंग से अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्राी कलिखो पुल की पत्नी भाजपा की टिकट पर खड़ी हुई थी, जो जीत गई। कलिखो पुल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरुणाचल में पूर्व सरकार की बहाली के निर्णय के बाद आत्महत्या कर लिया था।
सबसे महत्वपूर्ण त्रिपुरा की बारजाला का परिणाम रहा, जहां मुख्यमंत्री के सामने उपचुनाव लड़ते हुए भाजपा उम्मीदवार को को 35% वोट हासिल हुए और वर्तमान मुख्यमंत्री केवल 3200 मतों से ही जीत पाए, जबकि आम चुनाव में भाजपा को यहाँ केवल 2 % वोट मिले थे। ज्ञात हो कि त्रिपुरा लेफ्ट का इलाका है, जहां भाजपा का कोई वजूद नहीं था! लेकिन पीएम के नोटबंदी के फैसले के बाद त्रिपुरा के लोगों ने भी भाजपा को समर्थन दिया है!
प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी से इन उपचुनाव को जोड़ना कहीं से भी उचित नहीं है, लेकिन चूंकि मीडिया ने इसे नोटबंदी से जोड़ कर इसका प्रचार किया था, इसलिए जब भाजपा मध्यप्रदेश, आसाम और अरुणाचल में जीत चुकी है या जीत रही है तो यही मीडिया अब कोलकाता में तृणमूल की जीत का बीन बजा रही है। चूंकि ममता बनर्जी नोटबंदी के सबसे अधिक खिलाफ थी तो मीडिया ममता चलीसा का पाढ कर रही है। लेकिन जनता के लिए यह जानना जरूरी है कि ममता की पार्टी का मुकाबला भाजपा से नहीं, सीपीआई-एम से थी! लेकिन मीडिया किसी भी तरह जनता को गुमराह करने में जुटी है!
यदि इसे नोटबंदी से जोड़ कर देखा जाए तो कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति पर जनता ने बुलडोजर चला दिया है। पिछले एक दशक से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है, लेकिन कांग्रेस एक सीट तक वहां से नहीं निकाल सकी। अभी हाल तक आसाम और अरुणाचल में भी कांग्रेस की ही सरकार थी, वहां भी वह मुंह के बल गिरी। राहुल गांधी द्वारा नोटबंदी पर जनता के हित की बात करना, लगता है जनता के गले नहीं उतरी है।
जनता अभी तक जुबान से नोटबंदी के पक्ष में थी और अब चुनाव में ईबीएम का बटन दबाकर उसने इस पर एक तरह से लोकतांत्रिक मुहर लगा दी है। जनता द्वारा आए कई वीडिया संदेश से साफ है कि नोटबंदी पर नौटंकी कर रहे नेता, जनता के लिए नहीं, अपने काले धन के रददी हो जाने के कारण बेचैन है! जनता ने राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस की नोटबंदी पर नकारात्मक राजनीति को पूरी तरह से खारिज कर दिया है! सवाल है कि क्या राहुल गांधी व उनकी पार्टी जनता से मिली चुनावी सीख से संभलेंगे या फिर नोट के रद्दी होने के कारण अभी और उछल-कूद मचाएंगे!
#Bypolls
14 Seats By election across India:
BJP – 5 (3 assembly+2 lok sabha)
TMC – 3
Cong -1
ADMK – 3
CPM – 2