विपुल रेगे। देश के केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के जीवन पर बनाई गई बॉयोपिक ‘गडकरी’ इसी माह प्रदर्शित हो रही है। नितिन गडकरी लोहा-सीमेंट-रेत से भारत के भविष्य का राजमार्ग बना रहे हैं। गडकरी देश के हर वर्ग में लोकप्रिय और हर राजनीतिक दल में सम्मानित हैं। राजनेताओं के जीवन पर बनाई गई फ़िल्में आमतौर पर कामयाब नहीं होती क्योंकि उनकी रुह में सच का उजाला नहीं होता। लेकिन गडकरी जैसे नेताओं के साथ ऐसा नहीं है।
ये किसी से छुपा नहीं है कि नितिन गडकरी को ‘हाईवे मैन ऑफ़ द इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। भारत में सड़कों के परिवहन और राजमार्गों के लिए गडकरी ने उल्लेखनीय कार्य किया है। देश में कुल 1.46 लाख किलोमीटर का हाईवे नेटवर्क है और इस समय नितिन गडकरी इस लंबे नेटवर्क के गड्ढों को भरने की माथापच्ची कर रहे हैं। जब वे ये कार्य कर रहे होंगे, तब उनकी जीवन यात्रा ‘गडकरी’ के माध्यम से लाखों दर्शक परदे पर देख रहे होंगे। आगामी 27 अक्टूबर को महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में ‘गडकरी’ रिलीज होने जा रही है।
कहा जा रहा है कि बाद में ये फिल्म हिन्दी व अन्य भाषाओं में प्रदर्शित होगी। पिछले दिनों नागपुर की सिविल लाइंस के खचाखच भरे सभागार में ‘गडकरी’ का साठ सेकंड का ट्रेलर रिलीज किया गया था। उस समय मीडिया में इसे एक रणनीति कहकर प्रचारित किया गया था। कहा जा रहा है कि गडकरी को सर्वमान्य नेता बनाने और उनकी इमेज बिल्डअप करने के लिए ‘गडकरी’ बनाई गई है। विदर्भ के इस शक्तिशाली क्षत्रप ने उनके जीवन पर बनी इस फिल्म पर इतना ही कहा कि इसे रिलीज होने से पहले मेरे एक दो दोस्तों को दिखा देना, ताकि कुछ विवादास्पद न चला जाए। उनकी यही सादगी और बेलागपन उन्हें सबसे अलग करता है।
अनुराग भुसारी फिल्म के निर्देशक है। अनुराग चोपड़ा ने नितिन गडकरी की भूमिका निभाई है। ट्रेलर से अनुमान हो रहा है कि कंटेंट बेहतर है और गडकरी के जीवन पर विस्तृत शोध किया गया है। अक्षय देशमुख फिल्म के निर्माता हैं। फिल्म में नितिन गडकरी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दिखाया जाएगा। उनका संघर्ष, जनसंघ से जुड़ना और उसके बाद भाजपा तक की यात्रा, संघ के स्वयंसेवक के रुप में उनका योगदान, उनकी राजनीतिक यात्रा के उतार-चढ़ाव आदि को फिल्म में दिखाया जाएगा। विश्व के महान राजनेताओं के जीवन पर बनी बॉयोपिक्स की सूची देखे तो उसमे ‘गाँधी’ का नाम अवश्य आता है। अस्सी के दशक में बनी ‘गाँधी’ रिचर्ड एटनबरो द्वारा निर्देशित थी और आज तक प्रासंगिक बनी हुई है।
भारत के किसी और राजनेता पर बनी कोई फिल्म इतनी सफल क्यों नहीं हो सकी, इसका जवाब शायद देश का आम आदमी दे सके। वल्लभ भाई पटेल पर बनी ‘सरदार’ की प्रशंसा हुई लेकिन आम दर्शक के बीच जगह नहीं बना सकी। मनमोहन सिंह पर बनी ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे पर बनी ‘ठाकरे’, जयललिता पर बनी ‘थलाईवी’ और नरेंद्र मोदी पर बनी ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ को सफलता नहीं मिल सकी। अब नितिन गडकरी पर बनी फिल्म की बारी है।
इस समय देश की राजनीति में अच्छा-खासा उबाल आया हुआ है। एक दल तीसरी बार सत्ता में आने के लिए कमर कसे बैठा है और विपक्ष एकजुट होकर उसे रोकने की कोशिश में है। भारत की जनता का मिज़ाज़ बड़ा ही अबूझ है। इसी जनता ने देश की राजधानी से दो बड़े दलों को बाहर का रास्ता दिखाकर एक नई पार्टी को राजपाट सौंप दिया था।
नितिन गडकरी पर बनी फिल्म के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसा फिल्म रिलीज की टाइमिंग को देखकर कहा जा रहा है। वैसे तो केंद्र की राजनीति के गलियारें इन दिनों ‘वन वे’ बने हुए हैं। इन गलियारों में नितिन गडकरी के नाम की हवा बहना अभी बाकी है। फिल्म रिलीज होगी तो गडकरी की और उनके कार्यों की चर्चा भी होगी। फिल्म सफल हुई तो चर्चा और भी बढ़ेगी। क्या चर्चाएं राजनीतिक गलियारों का ‘एकाधिकार’ तोड़ सकती हैं ?