हंस से लेकर स्त्रीकाल और गृहशोभा तक साहित्य को सॉफ्ट पोर्न और हिन्दू-विरोधी बनाने की होड़
सोनाली मिश्रा । साहित्य को कभी राजनीति से आगे चलने वाला कहा जाता था। साहित्य को कभी ज्ञान की मशाल कहा जाता था। परन्तु जैसे ही वर्ष 1935 में मुल्क राज आनंद, सज्जाद जहीर...