आईएसडी नेटवर्क। तमिल भाषा की फिल्म ‘अन्नपूर्णी’ को जनता के आक्रोश के बाद नेटफ्लिक्स से हटा दिया गया है। ये फिल्म पहले सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और दक्षिण भारत में इसे लेकर प्रचंड विरोध का वातावरण बन गया था। जैसे ही ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई, हिन्दी पट्टी ने आक्रामक रुप से विरोध शुरु कर दिया। सरकार को अंततः विरोध के आगे झुकना पड़ा और फिल्म ओटीटी से हटा दी गई। हालाँकि इस मामले में दोषी सेंसर बोर्ड ऑफ़ इंडिया साफ़ बचकर निकल गया। फिल्म को क्लियर करने वालों पर किसी कार्रवाई के कोई समाचार नहीं है।
फिल्म निर्देशक नीलेश कृष्णा की तमिल फिल्म ‘अन्नपूर्णी’ पिछले वर्ष के अंत में दिसंबर को रिलीज हुई थी। रिलीज होते ही आपत्तिजनक विषयवस्तु के कारण फिल्म विवादों में फंस गई। पचास करोड़ की लागत से बनी फिल्म का इतना बुरा हाल हुआ कि सिनेमाघरों में इसका कलेक्शन मात्र छह करोड़ हो सका। लोगों के विरोध के कारण फिल्म को सिनेमाघरों से हटाना पड़ गया। इसके बाद नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने के बाद फिल्म का वही हश्र हुआ। निर्माता जी एंटरटेनमेंट के अनुरोध पर नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म से फिल्म हटा ली गई।
दावा किया गया कि फिल्म ने हिंदू समुदाय, विशेष रूप से ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत किया है। फिल्म के निर्माताओं और कलाकारों के विरुद्ध जबलपुर में मामला दर्ज किया गया। जबलपुर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत मामला दर्ज कर लिया। ‘अन्नपूर्णी’ को लेकर सरकारों द्वारा संज्ञान न लेना भी एक बड़ी चूक है। सेंसर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से फिल्म को मंजूरी दी गई और उसके बाद ये कई भाषाओं में भारत के अलावा दूसरे देशों में भी दिखाई जाती रही।
भारत के समाचार और मनोरंजन समूह जी एंटरटेनमेंट की प्रतिक्रिया देश के हिन्दू समुदाय को राहत देने वाली नहीं लग रही। जी एंटरटेनमेंट का कहना है कि वह फिल्म को एडिट होने तक नेटफ्लिक्स से हटा रहा है। यानी कुछ दृश्यों को हटाए जाने के बाद ये विवादित फिल्म फिर से ओटीटी पर स्ट्रीम कर सकती है। इस प्रकरण को लेकर देश और विदेश का मीडिया नकारात्मक ख़बरें परोस रहा है। एक पोर्टल ने लिखा ‘नेटफ्लिक्स ने भारत में बढ़ती ओटीटी सेंसरशिप की चिंताओं को मजबूत करते हुए सीबीएफसी-स्वीकृत फिल्म ‘अन्नपूर्णानी’ को हटा दिया’ देश-विदेश की मीडिया ने ये सवाल भी किया कि जो फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा क्लियर की गई थी, उसे नेटफ्लिक्स से क्यों हटाया गया।
इस प्रकरण में मुख्य रुप से तलवार सूचना व प्रसारण मंत्रालय और सेंसर बोर्ड के सिर पर लटक रही है। इस प्रकरण में सरकार के किसी मंत्री ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। ‘अन्नपूर्णी’ का विवाद विदेशों तक जा पहुंचा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक बड़ा लेख ‘अन्नपूर्णी’ पर दिया है। इस लेख में लिखा गया है कि ‘भोजन, ब्राह्मणवादी रीति-रिवाज और विशेष रूप से हिंदू-मुस्लिम संबंध तीसरी रेल का हिस्सा हैं जो श्री मोदी के सत्ता में रहने के एक दशक के दौरान और अधिक शक्तिशाली रूप से इलेक्ट्रिफाइंग हो गया है।’ कुल मिलाकर ‘अन्नपूर्णी’ का विवाद देश के हिंदूवादी संगठन बनाम नेटफ्लिक्स हो गया है।
इस मामले में सरकार मुखरता से कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। इस प्रकरण को प्रभास की ‘आदिपुरुष’ से भी जोड़कर देखा जा रहा है। ‘आदिपुरुष’ का भी ऐसा ही तीव्र विरोध किया गया था लेकिन ये फिल्म आज भी नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही है। हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया था लेकिन नेटफ्लिक्स ने फिल्म नहीं हटाई और न फिल्म निर्माता ने ऐसा करने का प्रयास किया। कहा जा रहा है कि फिल्म के निर्देशक ओम राउत और फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुन्तशिर के सरकार से ‘अच्छे संबंधों’ के चलते फिल्म बच गई थी।