अर्चना कुमारी। विजयवाड़ा में सिद्धार्थ लॉ कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश कहा कि यह धारणा बिल्कुल गलत है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायाधीश ही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारियों के चयन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में एक भूमिका न्यायाधीशों की भी है।
उन्होंने कहा हाल के दिनों में न्यायिक अधिकारियों पर हमले बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, अगर न्यायाधीश किसी पार्टी के अनुकूल आदेश नहीं देते हैं तो कई बार प्रिंट व सोशल मीडिया पर भी उनके खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमण ने यह भी कहा कि न्यायिक अधिकारियों को पूर्ण स्वतंत्रता की आवश्यकता है, उन्हें न्यायपालिका के प्रति जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
आजकल यह कहना फैशनेबल हो गया है कि न्यायाधीश ही न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। जबकि तथ्य यह है कि वे सिर्फ एक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इसमें कई प्राधिकरण शामिल हैं, जिनमें केंद्रीय कानून मंत्रालय, राज्य सरकारें, राज्यपाल, उच्च न्यायालय कोलेजियम, खुफिया ब्यूरो शामिल है, जिन्हें सभी उम्मीदवारों की उपयुक्तता की जांच करने के लिए नामित किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को न्यायपालिका पर हो रहे हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है। सरकारें एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए बाध्य हैं ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी निडर होकर काम कर सकें।