शारदा चिट फंड घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के पुलिस आयुक्त से पूछताछ करने गई सीबीआई अधिकारियों को रोक कर जिस प्रकार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संविधान का मजाक उड़ाया है उसका भुगतान उन्हें करना पड़ेगा। शारदा चिट फंड घोटाले के सबूत मिटाने और अपने साथ हुई कार्रवाई के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी है। सीबीआई की अर्जी को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई कल यानि मंगलवार को तफ्तीश से करेंगे। इसी बीच जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की शह पर पुलिस आयुक्त राजीव कुमार द्वारा सारे सबूत मिटाने की आशंका है। उनके इस बयान पर न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि अगर ऐसा किया गया तो फिर पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को इसके लिए पछताना पड़ेगा। मालूम हो कि रविवार की शाम जैसे ही सीबीआई के अधिकारी शारदा चिट फंड घोटाले की जांच के मामले में पश्चिम बंगाल के पुलिस आयुक्त के घर पहुंचे, वैसे ही ममता बनर्जी स्वयं पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के घर पहुंच गई और अपनी पुलिस से सीबीआई के अधिकारियों को गिरफ्तार करवा दिया। संविधान का मजाक उड़ाकर खुद को फंसा देख वह राजीव कुमार के साथ धरने पर बैठ गईं।
#MamataVsCBI: Mehta seeks urgent hearing today due to "extraordinary" situation in #WestBengal. #CJI fixes the matter for hearing tomorrow. "Lay the material if #Kolkata police commissioner is trying to destroy evidence, and we will come down so heavily that he will regret. https://t.co/R7F1UrSoPO
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) February 4, 2019
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष आनंद ने अपने ट्वीट में बताया है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से कहा कि अगर इस मामले की तत्काल सुनवाई नहीं की गई तो हमे डर है कि सारे सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे। उनकी इस आशंका पर न्यायधीश गोगोई ने कहा कि अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो फिर हम उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई करेंगे कि उन्हें जिंदगी भर पछताना पड़ेगा।
ममता की करतूत की वहज से राज्यपाल को देना पड़ा दखल
सीबीआई अधिकारियों का पश्चिम बंगाल के पुलिस आयुक्त के पूछताछ को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूरे प्रदेश में अराजकात का माहौल बना दिया। ममता बनर्जी ने न केवल प्रदेश की विधि व्यवस्था अपनी पार्टी के गुंडे कार्यकर्ताओं के हवाले कर दिया बल्कि सीबीआई अधिकारियों को रोकने के लिए स्वयं पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के घर पहुंच गईं। एकतरफ राजीव कुमार के साथ खुद धरने पर बैढ गईं दूसरी तरफ टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर का घेराव कर पूरे प्रदेश में आगजनी शुरू कर दी। टीएमसी कार्यकर्ताओं की सरेआम गुंडागर्दी को देखते हुए ही राज्यपाल को सीबीआई समेत बंगाल के सभी सरकारी दफ्तरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को लेने का आदेश देना पड़ा। ममता ने प्रदेश के सारे पुलिस महकमे को धरनास्थल पर बुला लिया और पूरे प्रदेश को अपने गुंडे कार्यकर्ताओं के हवाले कर दिया है।
आधी रात को पूरे देश के ‘चोरों’ में हड़कंप मच गया
एक तरफ देश के संविधान के साथ खिलवाड़ कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पुलिस आयुक्त को बचाने के साथ खुद को बचाने के लिए धरना पर बैठ गई वहीं दूसरी तरफ देश के सारे ‘चोर’ नेता उनके समर्थन में जुटने शुरू हो गए। उनके समर्थन में आने वाले कोई भी ऐसा नेता ऐसा नहीं था जो या तो भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता नहीं था या उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला नहीं चल रहा हो। सबसे पहले चारा घोटाले के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर ममता का समर्थन का ऐलान किया। उसके बाद कई भ्रष्टाचार मामले के आरोपी उसके बेटे तेजस्वी ने कोलकाता जानकर ममत का समर्थन करने का ऐलान किया।
इसके बाद अखिलेश यादव, जिनके खिलाफ खनन घोटाले की जांच चल रही है, के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू, उमर अब्दुल्ला ने भी अपना समर्थन देने का ऐलान किया। इसके अलावा नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर चल रहे राहुल गांधी ने अपना समर्थन दिया है। ये सारे लोग एक साथ मिलकर ममता की हां में हां मिलाने लगे हैं। यह समर्थन यूं ही नहीं है। ममता तो बहाना है दरअसल ये लोग खुद को बचाने के लिए एकजुट हो गए हैं।
शारदा घोटाले के सारे सबूत मिटाने का प्रयास
कहा जाता है कि ममता बनर्जी यूंही सीबीआई अधिकारियों को गिरफ्तार करने का आदेश नहीं दिया। यह नौटंकी इसलिए की ताकि अपने पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के साथ सबूत मिटा सके। आरोप है कि उन्होंने राजीव कुमार के साथ मिलकर वे सारे सबूत जला दिया गया है जो उन्हें दोषी साबित करने वाला था। इस मामले में सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव का कहना है कि पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने शारदा घोटाले के सबूत मिटाने का काम किया है।
पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के घर ममता के राज की फाइल
जिस प्रकार सारे प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पुलिस आयुक्त के घर पहुंच गई हैं इससे साफ होता है कि उनकी राज की सारी फाइलें वहीं थीं। इसलिए ममता बनर्जी ने सीबीआई अधिकारियों को गिरफ्तार कर राजीव कुमार को बचाया ताकि उनकी राज वाली फाइलें सीबीआई के हाथ न लग जाए। असल में ममता बनर्जी ने राजीव कुमार को नहीं बल्कि खुद को सीबीआई के गिरफ्त से बचने के लिए उसे गिरफ्तार करवाया।
सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही शारदा घोटाले की जांच कर रही है
गौर हो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी करतूतों को छिपाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार पर यह कार्रवाई करने की तोहमत लगा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि इस मामले में मोदी सरकार का कोई लेना देना है ही नहीं। क्योंकि शारदा घोटाले की जांच सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कर रही है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में इस घाटोले की जांच सीबीआई से करने का आदेश दिया था। खास बात है कि सीबीआई यह जांच सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग में ही कर रही है। यह कार्रवाई भी सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के आधार पर ही की जा रही थी।
केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ान के लिए ही ममता ने राजीव कुमार के साथ धरना पर बैठीं
शारदा घोटाला मामले में खुद को फंसती देख ममता बनर्जी ने दबाव का खेल खेलना शुरू कर दिया है। इस मामले में केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए ही उन्होंने प्रदेश में अराजकता पैदा करने के लिए पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के साथ धरना पर बैठ गई। उन्हें लगा कि ऐसा करने से केंद्र सरकार सीबीआई अधिकारियों को वापस बुला लेगी। लेकिन ममता शायद यह नहीं जानती है कि शारदा घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई कर रही है
आगजनी करने पर उतरे टीएमसी कार्यकर्ता, सीबीआई दफ्तर को भी घेरा
देश में पहली बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश की सुरक्षा अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के रहमो करम पर छोड़ा हो। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलिस आयुक्त के साथ धरना पर बैठकर पूरे प्रदेश में अपने पार्टी के गुंडे कार्यकर्ताओं को आगजनी करने की छूट दे दी। मालूम हो कि जब ममता बनर्जी धरना पर बैठी थी उसी समय उनके गुंडे कार्यकर्ता पूरे राज्य में आगजनी कर रहे थे। आसनसोल हो या हूबली हर जगह टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने वाहनों और अन्य सरकारी संपत्तियों को जला रहे थे। कल रात की घटना बिहार में लालू प्रसाद यादव के 1990 के दशक की अराजकता की याद दिला दी।
आखिर क्या है शारदा चीटफंड घोटाला
गौरतलब है कि यह घोटाला 4,000 करोड़ रुपये का है। इस घोटाले को अंजाम देने से पहले कंपनी ने लोगों 34 गुना अधिक पैसे वापस देने के वादे के साथ पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के 10 लाख लोगों से पैसे उगाह लिए। लेकिन जब पैसे वापस करने की बारी आई तो कंपनी के लोग सभी के पैसे लेकर नौ दो ग्यारह हो गए। इस घोटाले में कई राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम सामने आए। बताया जाता है कि इस कंपनी को बचाने में ममता बनर्जी की अहम भूमिका मानी जाती है। इस घोटाले में फंसे अपने भतीजे को बचाने में ममता जुटी हैं। इस घोटाले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में सीबीआई को आदेश दिया था।
शारदा चिट फंड घोटाले से राजीव कुमार का कनेक्शन
सीबीआई का कहना है कि शारदा चिट फंड घोटाले का सारा राज राजीव कुमार के पास छिपा है। क्योंकि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास राजदारों में से एक हैं। राजीव कुमार के पास इस घोटाले के सबूत होने के पीछे महत्वपूर्ण कारण भी है। जब यह घोटाला सामने आया तो ममता बनर्जी ने इसी राजीव कुमार के नेतृत्व में एसआईटी गठित की थी। उस समय राजीव कुमार पर जांच में गड़बड़ी करने का आरोप है। मालूम हो कि इस मामले में जब सुदीप्त सेन गुप्ता और देवयानी को गिरफ्तार किया था तो उनके पास से एक डायरी मिली थी। उस डायरी में पैसों के लेनदेन के सारे डिटेल थे। राजीव कुमार पर उस डायरी को गायब करने का आरोप है। बाद में कोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई ने राजीव कुमार को भी इस मामले में आरोपी बनाया था। इससे साफ है कि सीबीआई शारदा घोटाला मामले में एक आरोपी से पूछताछ करने गई थी।
चार बार समन देने के बाद भी राजीव कुमार सीबीआई के सामने पेश नहीं हुआ था
जो ममता बनर्जी अपने राजदार राजीव कुमार को बचाने के लिए सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ अनाप-शनाप आरोप लगा रही है वे सारे निराधार है सीबीआई एक बार नहीं बल्कि चार बार राजीव कुमार के खिलाफ समन जारी कर चुकी है। इसके बाद भी सीबीआई अधिकारी के पास राजीव कुमार से पूछताछ करने के सारे जरूरू कागजात थे। इसके बाद भी जिस प्रकार राजीव कुमार को बचाने के लिए ममता बनर्जी मैदान में आई है इससे साफ है कि वह राजीव कुमार को नहीं खुद को और भतीजे को बचा रही हैं।
शारदा चिट फंड घोटाले में कब क्या हुआ ?
– 2009 में सबसे पहले सांसद सोमेंद्र नाथ मित्रा, अबु हसीम खान चौधरी और तत्कालीन उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री साधन पांडे ने इस संबंध में आवाज उठाई थी। इसी साल बाजार नियामक संस्था सेबी ने इस मामले को संज्ञान में लिया।
– ET की रिपोर्ट के मुताबिक पोंजी स्कीमों के जरिये जुटाई गई करीब 988 करोड़ रुपए की रकम से मीडिया में निवेश किया गया। इसके अखबारों और चैनलों में करीब 1500 पत्रकारों को नौकरी दी गई।
– 17 अप्रैल 2013 के दिन शारदा के करीब 600 कलेक्शन एजेंट्स ने टीएमसी ऑफिस के बाहर एकजुट होकर कार्रवाई की मांग की।
– इसके एक हफ्ते बाद ही सेबी ने शारदा ग्रुप के और पैसे जुटाने पर रोक लगा दी और सुदीप्तो सेन और देबजानी मुखर्जी को गिरफ्तार किया।
– 2014 में ही शारदा घोटाले की जांच के लिए IPS राजीव कुमार (वर्तमान कोलकाता पुलिस कमिश्नर) के नेतृत्व में SIT बनाई गई।
– अप्रैल 2014 में ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने सीबीआई को पूर्वी भारत में चल रही शारदा समेत अन्य पोंजी स्कीमों की जांच का आदेश दिया।
– सीबीआई ने SIT प्रमुख राजीव कुमार पर दस्तावेज गायब करने का आरोप लगाया।
– निवेशकों के पैसे से ग्रुप की शारदा टूर एंड ट्रैवल्स, शारदा रियल्टी, शारदा हाउसिंग और शारदा गार्डन, रिसॉर्ट्स और होटल्स ने जुटाई गई रकम से काफी ज्यादा की कमाई की।
– फुटबॉल क्लब्स से दुर्गा पूजा के कार्यक्रमों तक में पैसा लगाने को लेकर शारदा ग्रुप चर्चा में रहा।
– अप्रैल 2013 में शारदा ग्रुप के बंद होने से पहले 239 निजी कंपनियों वाले इस समूह ने करीब 17 लाख निवेशकों से 1983 करोड़ रुपए की रकम जुटाई थी। इस रकम का करीब 90 फीसदी पैसा कभी बैंकों में गया ही नहीं। करीब 80 फीसदी पैसा निवेशकों को वापस ही नहीं लौटाया गया।
– 2014 में बॉलीवुड अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मिथुन चक्रवर्ती से करीब आठ घंटे तक ईडी ने पूछताछ की।
– 2015 में शारदा समूह की एक मीडिया यूनिट के ब्रैंड एंबैसडर रहे मिथुन ने ईडी को 1.19 करोड़ रुपए की रकम लौटा दी। उन्होंने कहा था कि उनके संबंध पूरी तरह से पेशेवर हैं, धोखाधड़ी का उनका इरादा नहीं था।
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