सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से इस देश का जितना नुकसान कांग्रेस ने किया है उतना शायद किसी ने नहीं किया। कांग्रेस पार्टी ने 1991 में एक ऐसा कानून बनाया जिससे एक तरफ जहां मुसलिम अपने ही मजहब से नीचे गिर गए, वहीं दूसरी तरफ हिंदुओं को अपने पुराने मंदिरों से महरूम होना पड़ा।अयोध्या में भगवान राम मंदिर, मथुरा के कृष्ण मंदिर, जौनपुर में अटल देव मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, विदिशा में विजय मंदिर, बटना (गुजरात) में रूद्र महालय मंदिर और अहमदाबाद में भद्रकाली मंदिर के अलावा हिंदुओं, जैन और बौद्धों के ऐसे मंदिर हैं जिन्हें तोड़कर मुगलों ने मसजिद बना ली थी। इन सब मंदिरों को लेकर आज भी विवाद चल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस ने मुसलिम वोट बैंक के चलते कानून बना कर हिंदुओं को इस मंदिर से अलग कर दिया।
कांग्रेस ने 1991 में कानून बनाकर काशी मथुरा जौनपुर विदिशा दिल्ली पांडुआ बटाना अहमदाबाद सहित देश के अन्य भागों में मुगलों द्वारा मंदिरों को तोड़कर बनाई गई अवैध मस्जिदों को वैध घोषित कर दियाI इस कानून को समाप्त करना चाहिए और एक कानून बनाकर इन स्थानों की पूर्व स्थिति बहाल करना चाहिए pic.twitter.com/wikuF25Euv
— Ashwini Upadhyay अश्विनी उपाध्याय (@AshwiniUpadhyay) January 4, 2019
इसी संदर्भ में भाजपा के नेता अश्विनी उपाध्याय ने ट्वीट कर बताया कि किसी प्रकार कांग्रेस ने एक तानाशाही कानून से हिंदू और मुसलमान दोनों समुदायों को आपस में भिड़ाकर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास किया है।
मालूम हो कि मुसलमानों के लिए पाक किताब माने जाने वाले कुरान और हदीस में साफ-साफ लिखा है कि किसी विवादित जमीन पर या फिर किसी दूसरे धार्मिक स्थलों पर मसजिद बनना हराम है। ऐसे मसजिद में मुसलमान नमाज भी नहीं पढ़ते क्योंकि उसे वे नाजायज मानते हैं। ऐसे में आपसी बातचीत के जरिए मुसलमानों द्वारा तोड़े गए मंदिर या हड़पे गए धार्मिक स्थल वापस होने का रास्ता खुला हुआ था। लेकिन कांग्रेस ने 1991 में पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के तहत मुगलों द्वारा तोड़े गए मंदिरों या धर्मस्थलों पर बनाई गई मसजिदों को वैध कर दिया। इस प्रकार कांग्रेस ने इस कानून के माध्यम से दोनों समुदायों के बीच विवाद की एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी जिए सामाजिक सौहार्द से कभी नहीं तोड़ी जा सकती है। उसे बदलने के लिए किसी न किसी सरकार को कानून ही लाना होगा। कांग्रेस ने यह कानून समाज में सौहार्द स्थापित करने के लिए नहीं बनाया बल्कि मुसलिम समुदायों के कट्टरपंथियों को वोट के लालच में खुश करने के लिए बनाया था। इस प्रकार कांग्रेस ने तो विवादित धार्मिक स्थलों का समाधान बातचीत के माध्यम से निकालने का रास्ता ही बंद कर दिया।
कांग्रेस ने इस कानून को बनाने से पहले न तो कहीं किसी से चर्चा की न ही इसके लिए कोई सर्वे कराया न ही इसके बारे में शोध कराया था। कांग्रेस ने मनमाने तरीके से कुछ वोट के लालच में देश पर यह कानून लाद दिया।
कांग्रेस के इस तानाशाही कानून के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हो गई है। इसी संदर्भ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे इस कानून को निरस्त करने की मांग की जा रही है। मोदी को लिखे पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस का यह कानून न केवल हिंदू,जैन और बौद्ध विरोधी है बल्कि इसलाम की भावनाओं के भी प्रतिकूल है। इसलिए इस कानून को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाना चाहिए। मोदी से यह भी अनुरोध किया गया है कि देश के सारे विवादित धार्मिक स्थलों की जांच कराई जानी चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन कर इसकी जांच करवानी चाहिए। आयोग में दो इतिहासकारों और पुरातत्व विशेषज्ञों को सदस्य बनाकर इस मामले में छह महीने के अंदर रिपोर्ट देने को कहा जाना चाहिए। मोदी को कहा गया है कि देश की एकता, अखंडता तथा भाईचारा कायम रखने के लिए इस प्रकार के आयोग का गठन करना काफी जरूरी है।
गौरतलब हो की सन 1991 से पहले देश में इस प्रकार का कोई कानून नहीं था। चूंकि अवैध रूप से कब्जाए गए स्थानों पर बनाई गई मसजिदों में नमाज अदा नहीं होने के कारण हिंदुओं को एक न एक दिन अपना पुराना मंदिर मिलने की उम्मीद थी। लेकिन कांग्रेस ने कानून बना कर हिंदुओं की उम्मीद तक की हत्या कर दी । इस कानून के रहते मुसलिम समाज चाहकर भी अवैध मसजिद हिंदुओं को नहीं सौंप सकता है। इसलिए हिंदुओं को अपना पुराना मंदिर वापस करने के लिए कांग्रेस का बनाया एक तरफा कानून को खत्म करना होगा। इसके एक ऊच्च स्तरीय आयोग के गठन की आवश्यकता है।
URL : Congress made the illegally created mosques valid by breaking the temples!
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